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पाइअसद्दमहण्णवो
डंडि-डाउ
प्रसिद्ध जंगल, दण्डकारण्य (पउम ६८, डज्म )
डवडव भ[दे] ऊंचा मुंह कर के वेग से डझंत देखो डह ।।
इधर-उधर गमन (चंड) डंडि। स्त्री [दे] सिले हुए वन-खण्ड (दे ४, डज्झमाण)
डव्व [दे] वाम हस्त, बायाँ हाथ; गुजराती डंडी परह १,३)
ड? देखो डक्क = दष्ट (हे १, २१७) V .
में 'डाबो' (दे ४, ६) डंबर पुं[दे] धर्म, गरमी, प्रस्वेद (दे ४, ८) डड्ढ वि [दग्ध] प्रज्वलित, जला हुमा (हे
डस देखो डंस । इसइ (हे १, २१८, पि डंबर पुं [डम्बर] प्राडम्बर, पाटोप (उप १, २१७ गा १४६)
२२२) । हेकृ. डसिउं (सुर २, २४३)10 डड्ढाडी स्त्री [दे] दव-मार्ग, प्राग का रास्ता १४२ टी पिंग) डंभ देखो दंभ (हे १, २१७) ।
डसण न [दशन] १ दंश, दत से काटना डंभण न [दम्भन] दागने का शस्त्र-विशेष
(हे १, २१७) । २ दाँत (कुमा) (विपा १, ६)। विशेष (दे ४, ७)।
डसण वि [दशन] काटनेवाला (सिरि ६२०)। डंभण न [दम्भन वंचना, ठगाई (पव २)। डब्भ पुं[दर्भ] डाभ, कुश, तृण-विशेष (हे | डसिअ वि [दष्ट] डसा हुमा, काटा हुआ डंभणया। स्त्री [दम्भना] १ दागना । २
१,२१७)।
(सुपा ४४६; सुर ६, १८५) डंभणा । माया, कपट, दम्भ, वञ्चना (उप
डमडम प्रक [डमडमाय ] 'डम-डम' डह सक [दह. ] जलाना, दग्ध करना। पृ ३१५पएह २, १) आवाज करना, डमरू आदि का प्रावाज
डहइ, डहए (हे १, २१८ षड् महा; उव)। डंभिअ [दे] जुआरी, जुए का खेलाड़ी (दे
होना । वकृ, डमडमंत (सुपा १९३) भवि. डहि हिइ (हे ४, २४६)। कवकृ.
डमडमिय वि [डमडमायित जिसने 'डम- डउभंत, डज्झमाण (सम १३७, उप पृ३३ डंभिअ वि [दाम्भिक] वञ्चक, मायावी,
डम' आवाज किया हो वह (सुपा १५१, | सुपा ८५) । हेकृ. डहिउँ (पउम ३१, १७)। कपटी (कुमाः षड्)। ३३८)।
कृ. डज्झ (ठा ३, २; दस १०)। डंस सक [दंश् ] डसना, काटना । डंसइ,
डमर पुन [डमर] १ राष्ट्र का भीतरी या डंसए (षड्)
डहण न [दहन] १ जलाना, भस्म करना
बाह्य विप्लव, बाहरी या भीतरी उपद्रव डंस पुं[दंश क्षुद्र जन्तु-विशेष, डाँस, मच्छर
(बृह १)। २ पुं. अग्नि, वह्नि माग (कुमा)। ३ (णाया १,१, जं २: पद ४; प्रौप)। २ (जी १८)।
वि.जलानेवाला: 'तस्स सुहासुहडहणो प्रप्पा डंस पु[देश १ दन्त-क्षत। २ सपं आदि का
कलह, लड़ाई, विग्रह (पएह १,२; दे ८, जलणो पयासेई' (पारा ८४)
३२)। काटा हुआ घाव। ३ दोष । ४ खंडन । ५ दाँत
डहर पुं[दे] १ शिशु, बालक, बच्चा (दें ४, डमरुअ) पुंन [डमरुक] वाद्य-विशेष, ६ वर्म, कवच । ७ मर्म-स्थान (प्राकृ १५)
पामः वव ३ दस ६,१; सून १,२, डमरुग, कापालिक योगियों के बजाने का डंसण पुन [दंशन] वर्म, कवच, 'डंसो
१, २, ३, २१, २२, २३)। २ वि. लघु, बाजा, डमरू (दे २,८६; पउम ५७,२३; सुपा (प्राकृ १५) ।
छोटा, क्षुद्र (ोध १७८,२६० भा)। ग्गाम ३०६ षड्)। डक वि [दष्ट] डसा हुआ, दाँत से काटा हुआ
पुं[प्राम] छोटा गाँव (वव ७)। डर अक[ स् ] डरना, भय-भीत होना। (हे २, २; गा ५३१)।
डहरक [दे] वृक्ष-विशेष । २ पुष्प-विशेषः
डरइ (हे ४, १९८) डक वि [दे] दन्त-गृहीत, दाँत से उपात्त (दे |
'डहरकफुल्लणुरत्ता भुंजंती तप्फलं मुसि' डर पुं[दर] डर, भय, भीति (हे १, २१७ (धर्मवि ६७)।
सण) डक स्त्रीन [डक्क] वाद्य-विशेष (सुपा १६५) ।
डहरिया स्त्री [दे] जन्म से अठारह वर्ष तक डरिअ वि [त्रस्त] भय-भीत, डरा हुआ |
की लड़की (वव ४)। डक्कुरिजंत वकृ [दे] पीडित होता हुआ |
(कुमाः सुपा ६५५ सण)।
| डहरी स्त्री [दे] अलिञ्जर, मिट्टी का घड़ा (दे (सूत्र० चू० गा० ३१५)।
डल पुं[दे] लोष्ट, मिट्टी का ढेला (दे ४,७)। ४, ७) डगण न [दे] यान-विशेष (राज)।
डल्ल सक [पा] पीना । डल्लइ (हे ४, १०) डाअल न [दे] लोचन, पाँख, नेत्र (दे ४,६). डगमग अक [दे] चलित होना, हिलना,
डल्ल न [दे] पिटिका, डाला, डाली, बाँस डाइणी स्त्री [डाकिनी] १ डाकिनी, डायन, कापना । डगमगीति (पिंग)।
डल्लग) का बना हुआ फल-फूल रखने का | चुडैल, प्रेतिनी । २ जंतर मंतर जाननेवाली डगल न [दे] १ फल का टुकड़ा (निचू १५)। | पात्र (दे ४, ७ आवम)।
स्त्री (पएह १, ३, सुपा ५०५; स ३०७; २ ईंट, पाषाण वगैरह का टुकड़ा (ोष डल्ला स्त्री [दे] डाला, डाली (कूप्र २०६)। महा)। ३५६ ७८ भा)।
डल्लर वि [पात] पीनेवाला (कुमा)। डाउ पुं[दे] १ फलिहंसक वृक्ष, एक जाति डग्गल पुं[दे] घर के ऊपर का भूमि-तल, | डव सक[आ + रम् ] आरम्भ करना, शुरू का पेड़। २ गणपति की एक तरह की छत (दे ४, ८)। ! करना । डवइ (षड्)
प्रतिमा (दे ४, १२)
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