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गअ -- मंदि
अब [दे] रुद्ध रोका हुया (षड् ) Iv गंग पुं [दे] लंगर, जहाज को जल-स्थान में थामने के लिए पानी में जो रस्सी आदि डाली जाती है वह (उप ७२८ टी; सुर १३,१६३३ स २०२) ।
गर न [ लाङ्गल] हल, जिससे खेत जोता जंगल | और बोया जाता है (पउम ७२, ७३; परह १, ४ पाच ) ।
जंगल पुंन [] चचु, चांच, चोंच; 'जडाउरणो रुट्टो । नहणंगलेसु पहरइ, दसारणणं विउलवच्छयले' (पउम ४४, ४० ) । जंगल [] एक देव-विभाग (देवेन्द्र १३३) ।
गलिय पुं [लाङ्गलिक ] हल के आकार वाले शस्त्र - विशेष को धारण करने वाला सुभट (कप्पः श्रप)
मंगूलन [लाल] पुण्छ, पूँछ (हा ४, २० १,२५६)
लिवि [लाङ्गुलिन] १ लम्बी पूँछवाला २ पुं. वानर, बन्दर (कुमा) ।
जंगलि पुं [लाङ्गलिन्] बलभद्र, हली (कुमा) | विशेष (सम २९) सिंग न [शृङ्ग एक णंदयावन्त विमान (देवेन्द्र १३३) । २पुं.
[नन्दायसे] १ एक देवदावत विमान (देवेन्द्र १३३) २५. चतुरिन्द्रिय जीव की एक जाति (उत्त ३६, १४८ ) । ३ न लगातार एक्कीस दिनों का उपवास (संबोध ५८ ) ।
णंदा स्त्री [नन्दा] १ भगवान् ऋषभदेव की एक पत्नी (पउम ३, ११९) । २ राजा श्रेणिक की एक पत्नी और अभयकुमार की माता ( गाया १.१ ) । ३ भगवान् श्री शीतलनाथ की माता (सम १५१) ४ भगवान् महावीर के श्रचलभ्रातृ नामक गणधर की माता (श्रावम) । ५ रावण की एक पत्नी ( पउम ७४, १० ) । ६ पश्चिम रुचक-पर्वत पर रहनेवाली एक दिपकुमारी देवी (ठा ८) ७ ईशानेन्द्र की एक महिषी की राजधानी (४२)। ८ स्वनाम ख्यात एक पुष्करिणी (ठा ४, ३) ।
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ज्योतिष शास्त्र में प्रसिद्ध तिथि विशेषप्रतिपदा, षष्ठी और एकादशी तिथि (चंद १०) | गंदा स्त्री [दे] गो, गेया (दे ४, १८) । दावत [नन्दावर्त्त ] १ एक प्रकार का स्वस्तिक ( सुपा ५२ ) । २ क्षुद्र जन्तु की एक जाति ( जीव १ ) । ३ न देव-विमानविशेष (सम २) |
गोलि [लागूलिन, क] १ गंगोलिय ) द्वीप - विशेष । २ उसका निवासी मनुष्य (पि १२७ ठा ४, २) ।
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तन [दे] वस्त्र, कपड़ा (कसः श्रव ५) । णंद अक [न] १ खुश होना, धानन्दित होना २ समृद्ध होगा। ए (ड्)। वह मंदिजमाण (धौप) कृ. मंदि अब अन्य (प)
पाइअसद्दमहण्णवो
वाला ( प ) 1 कंत न ["कान्त ] देवविमान - विशेष (सम २९ ) कूड न [कूट ] एक देव-विज्ञान (सम २१ मायन [ध्वज ] एक देव विमान (सम २६ ) 'पभ न [" प्रभ] देव-विमान- विशेष (सम २) मई ली [ती] [एक अन् साध्वी (प्रन्त २५; राज ) । मित्त पुं [*मित्र ] भरतक्षेत्र में होने वाला द्वितीय वासुदेव (सम १५४) । लेस न [ 'लेश्य ] एक देव - विमान (सम २९) । 'वई स्त्री [ती] १ सातवें वासुदेव की माता (पउम २०, १८६) । २ रतिकर पर्वत पर स्थित एक देव-नगरी ( दीव) 1 वण्णन [वर्ण] देव-विमान
गूलि देखो गोलि (पव २६२) । -
द स्त्री [नन्दा] पक्ष की पहली (प्रतिपदा),
णंगोल देखो णंगूल (णाया १, ३ पि १२७ ) । षष्ठी और एकादशी तिथि ( सुख १०, १५) ।
द न [दे] १ ऊख पीलने या पेरने का काण्ड । २ कुएडा, पात्र विशेष (दे ४,४५) । दग पुं [नन्दक] वासुदेव का खड्ग (पह १.४)
नंदण
[नन्दन] १ पुत्र, सड़का (गा ६०२) । २ राम का एक स्वनाम -ख्यात सुभट
(पउम ६७, १०) । ३ स्वनामख्यात एक बलदेव (सम ६३ ) । ४ भरतक्षेत्र का भावी सातवा वासुदेव (सम १५४ ) । ५ स्वनाम - प्रसिद्ध एक ी (उप ५५०) ६ शिक राजा का एक पुत्र (निर १,२ ) । ७ मेरु पर्वत पर स्थित एक प्रसिद्ध वन (ठा २, ३, इक ) । ८ एक चैत्य (भग ३, १) । ९ वृद्धि ( परह १, ४) । १० नगर विशेष (उप ७२८ टी) M कर वि [कर ] वृद्धि कारक । कूड न [कूट ] नन्दन वन का शिखर (राज) । भद्द
[भद्र ] एक जैन मुनि (कप्पं ) । वण न [वन] १ स्वनाम -ख्यात एक वन जो मेरु
णंद पुं [नन्द ] १ स्वनाम प्रसिद्ध पाटलिपुत्र नगर का एक राजा (मुद्रा १६८; गंदि) । २ भरत क्षेत्र के भावी प्रथम वासुदेव (सम १५४) । ३ भरत क्षेत्र में होने वाले नववें तीर्थंकर का पूर्व-भवीय नाम (सम १५४) । ४ स्वनाम - प्रसिद्ध एक जैन मुनि (पउम २०, २० ) । ५ स्वनाम -ख्यात एक श्रेष्ठी (सुपा ६३८) । ६ न. देव- विमान विशेष (सम २६ ) । ७ लोहे का एक प्रकार का वृत्त आसन (गाया १, १ – पत्र ४३ टी) । वि. समृद्ध होने
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देवमान (सम २१) "सिद्ध ["सृष्ट] 1 न देव-विमान- विशेष (सम २६) सिरी स्त्री [*श्री] स्वनाम - स्यात एक नवी ३७) ५ सेणिया स्त्री [सेनिका] एक जैन साप्पी ( अंत २५) ।
णंद! [नन्द ] गोप- विशेष, श्रीकृष्ण का पाल गोपाल ( वा १२२) ।
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पर्वत पर स्थित है (सम २ ) । २ उद्यानविशेष ( निर १, ५)
णंदण पुं [ दे ] भृत्य, नौकर, दास (दे ४, १६ ) 1
णंदण पुंन [नन्दन] एक देव-विमान (देवेन्द्र १४३२ न. (दि ४२) णंदणा त्री [नन्दना ] लड़की, पुत्री (पान) । णंदणी स्त्री [नन्दनी] पुत्री, लड़की (सिरि १४०) णंदतणय ' [ नन्दतनय ] श्रीकृष्ण (प्राकृ २७) णंदमागग पुं. [नन्दमानक] पक्षी की एक जाति (परह ११)
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मंदि पुंस्त्री [नन्दि] १ बारह प्रकार के वाद्यों का एक ही साथ आवाज ( परह २, ५,
दि) । २ प्रमोद, हर्ष (ठा ५, २) । ३ मतिज्ञान आदि पाँचों ज्ञान (दि) । ४ वाञ्छित अर्थ की प्राप्ति । ५ मंगल (बृह १, श्रजि ३८ ) । ६ समृद्धि (श्रणु) । ७ जैन
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