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पुं.
आवत्त
श्रागम ग्रंथ - विशेष (दि) । ८ अभिलाष चाह (सम ७१ ) । ग्राम की एक मूर्छना (ठा ७) । १० स्वनाम ख्यात एक राजकुमार (विपा १, १ ) । ११ एक जैन मुनि, जो अपने आगामी भव में द्वितीय बलदेव होगा ( पउम २०, ११० ) । १२ वृक्ष - विशेष (पउम २०, ४२ ) देखो यावत्त (इ) 1° उड्ढ एक प्राचीन कवि का नाम (कप्पू ) । रवि [क] मंगल-कारक (कप्पः गाया ११) गाम ["धाम] ग्राम-विशेष (उप ६१० मा १५ घोल [घोष] १ बारह प्रकार के वाद्यों की आवाज (दि) । २ न. देवविमान विशेष ( सम १७) पुण्यगन [चूर्णक] होठ पर लगाने का एक प्रकार का चूर्ण (सूत्र १, ४, २) तूर न [° तूर्य ] एक साथ बजाया जाता बारह तरह का वाद्य (बृह १) पुर न [ पुर] साण्डिल्य देश का एक नगर (उप १०३१ टी)। "फल पुं [फल] वृक्षविशेष (गाया १, ८१५) ५ भाग न [भाजन ] उपकरण विशेष (बृह १) । 'मित्त पुं ["मित्र ] १ देखो णंद- मित्त (राज)। २ एक राजकुमार, जिसने भगवान् मल्लिनाथ के साथ दीक्षा ली थी (गाया १, ८) मुरंग [द] एक प्रकार का मृदंग, वाद्य-विशेष (राय)) ॰मुद्द न [मुख] पक्ष-विशेष (राज) यर देखो कर (उम ११८, ११७) । यावत्त पुं [आवर्त्त] १ स्वस्तिक विशेष (श्रीपु; परह १, ४) । २ एक लोकपाल देव (ठा ४, १) । ३ क्षुद्र जन्तु विशेष ( पण १) ४ न. देवविमान - विशेष ( राज ) । राय पुं [राज ] पाण्डयों के समकालीन एक राजा (खावा १, १६ – पत्र २०८ ) । राय पुं [रांग ] समृद्धि में हर्ष (भग २, ५) ५ रुक्ख पु [" वृक्ष ] वृक्ष - विशेष (पराग १ ) । वड्ढणा देखो वद्धणा (इक) बद्ध पुं [वर्धन ] १ भगवान् महावीर का ज्येष्ठ भ्राता (कप्प ) । २ पक्ष-विशेष (क) एक राजकुमार ( विपा १, ६) । ४ न, नगर- विशेष (सुपा वा स्त्री [वर्धना] १ एक
८)
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वान्छा,
गान्धार
[वृद्ध] कर,
०
पाइअसद्दमहणवो
दिक्कुमारी देवी (ठा ८) २ एक करो (ठा ४, २) सेण ["पेण] ऐश्व बु वर्ष में उत्पन्न चतुर्थ जिन -देव (सम १५३) । २ एक जैन कवि (अजि ३८ ) । ३ एक राजकुमार (ठा १० ) ४ स्वनाम ख्यात एक जैन मुनि (ब) देव-वशेष (राज) "सेवा श्री [पेणा] पुष्करिणी विशेष (जीव ३) २ एक दिनकुमारी देवी (बी) - "सेणिया श्र ["पेणि] राजा श्रेणिक की एक पत्नी (अंत) सर ["स्वर] १ देखो दीसर (राज) २ बारह प्रकार के वाद्यों का एक ही साथ प्रावाज ( जीव ३ ) । मंदिअ न [दे] सिंह की चिल्लाहट, दहाड़ (दे ४, १६ ) 1मंदिअ नि [नन्दित] जैनमूनि विशेष ( कम )। दक्ख [] नदियोस ] [ नन्दिघोष] दिघोस पु (राय ४६) । दिज्जन [ नन्दीय ] जैन मुनियों का एक (कम्प ।
समुद्र (बीप) २
४,१९)। नाव विशेष वाद्य
+
दि त्री [नन्दिनी] पुत्रौ, लड़की ( पउम ४९, २) पित्र ["पित] भगवान् महावीर का एक स्वनाम ख्यात गृहस्थ उपासक (उवा) 1
नंदिणी स्त्री [दे] गऊ, गैया, गाय (दे ४, १८० पात्र)
णंदिल पुं [नन्दिल] श्रायेंमंगु के शिष्य एक जैनमुनि (दि ५०)। दिस्सर [नन्दीश्वर ] १ एक द्वीप २ नंदीसर एक समुद्र ( सुज १६) । ३ एक देव- विमान (देवेन्द्र १४४)
गंदी देखो मंदि (महाः श्रोष ३२१ भा; परह १, १ औ सम १५२ ; गंदि ) । गंदी स्त्री [दे] गाय या पात्र) 1
४, १
णंदोसर पुं [ नन्दीश्वर ] स्वनाम प्रसिद्ध एक द्वीप (गाया १, ८६ महा)। °वर पुं [वर] नन्दीश्वर-द्वीप (ठा ४, ३) वरोद पुं ["वरोद ] समुद्र- विशेष ( जीव ३ ) 1नंदुत्तर [नन्दोत्तर] देव-विशेष, नागकुमार के भूतानन्द-नामक इन्द्र के रच- सैन्य का अधिपति देव (ठा ५, १; इक) । वडिं
३ पुं |
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दिअ - णक्खन्नण [क] एक देव - विमान (सम
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णंदुत्तरा स्त्री [नन्दोत्तरा ] १ पश्चिम रुचक पर्वत पर रहनेवाली एक दिक्कुमारी देवी (ठा ८ इक) । २ कृष्णानामक इन्द्राणी की एक राजधानी ( जीव ३ ) । ३ पुष्करिणीविशेष (ठा ४, २) । ४ राजा श्रेणिक की एक पत्नी ( अंत ७) ।
णकार
[णार नक्षर '' या 'न' अक्षर (दिवे २०१७) -
णक्क पु [नक्र ] १ जलजन्तु- विशेष, ग्राह, नाका (पराह १, १, कुमा) । २ रावण का एक स्वनाम ख्यात सुभट (पउम ५६, २८)
क्क पुं [दे] १ नाक, नासिका (दे ४, ४६३ विपा १, १३ औप ) । २वि मूक, वाचावाचा-शक्ति से रहित, गूँगा (दे ४, ४६ ) सिरा बी ["सरा ] नाक का छिद्र (पा) । णक्कंचर पुं [नक्तञ्चर ] १ राक्षस । २ चोर । ३ बिडाल । ४ वि. रात्रि में चलने फिरने१. १७७)।
णक्ख पुं' [ नख] नख, नाखून (हे २,६६; प्रा) अवि [ज] नख से उत्पन्न ( गा १७१) आ["आयुध] सिंह, मृगारि (कुमा) ।
णक्खत न [नक्षत्र] कृत्तिका, पश्विनी, भरणी बादि ज्योतिष्क विशेष (पायः प् १०) दमण ' ["दमन] राक्षस वंश का एक राजा, एक लंकेश (पउम ५२६६मास ["मास] ज्योतिष शान में प्रसिद्ध समय-मानविशेष (r "मुह न ["मुख] यदि (रा "संवच्छर पुं [संवत्सर] ज्योतिष-शास्त्रप्रसिद्ध वर्ष विशेष (ठा ६) । णक्खत्त वि [ नक्षत्र ] १ क्षत्रिय जाति के प्रयोग्य कार्य करनेवाला (धर्मवि ३ ) । २ न. एक देव-विमान न्द्र १४२) - णक्खत्त वि [नाक्षत्र ] नक्षत्र-सम्बन्धी, नक्षत्र का (७) । - क्वतमि [दे. नक्षत्रनेमि ] विष्णु, नारायण (दे ४, २२) ।
क्खन्नण न [] नख और कटक निकालने का शस्त्र - विशेष (बृह १) । ~
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