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पाइअसहमहण्णवो
जेत्त-जोइस
जेत्त देखो जइत्त (पि ६१)
कना । जोइ (कुमा)। भूका. जोइंसु २१७) । ४ रामचन्द्र का स्वनाम-ख्यात एक जेत्ति वि[यावत ] जितना (हे २,
(भग)। वकृ. °जोअंत (कुमाः महा) सुभट (पउम ६७, १०)। जेत्तिल १५७; गा ७१ गउड)जोअ सक [द्योतय ] प्रकाशित करना।
जोइ पुं [ज्योतिस्] १ प्रकाश, तेज (भग; जेत्तिक (शौ) ऊपर देखो (प्राकृ ६५)। जोमइ (सूत्र १, ६, १३); 'तस्सवि य
ठा ४, ३)। २ अग्नि, वह्नि; 'सप्पि जहा जेत्तुल (अप) ऊपर देखो (हे ४, ४३५) । गिहं पुण बालपंडिया जोयए दुहिया' (सुपा
जहा पडियं जोइममें (सूत्र १, १३) । ३ जेत्तुल्ल ६११) । जोएज्जा (विसे ६१२)।
प्रदीप अादि प्रकाशक वस्तु; 'जहा हि अंधे सह जेद्दह देखो जेत्तिअ (हे २, १५७; प्राप्र)।
जोअ सक [योजय] १ समाप्त करना, जाइणावि' (सूप १, १२)। ४ अग्नि का जेम सक [जिम् , भुज ] भोजन करना। खतम करना। २ करना। जोएइ (सुज्ज
काम करनेवाला कल्पवृक्ष (सम १७)। ५ जेमइ (हे ४, ११०; षड्)। वकृ. जेमंत
१०. १२–पत्र १८०: १८१; सुज १२- ग्रह, नक्षत्र आदि प्रकाशक पदार्थ (चंद १)। (पउम १०३, ८५)। पत्र २३३)।
६ ज्ञान । ७ ज्ञान-युक्त। ८ प्रसिद्धि-युक्त। जेम (अप) अ [यथा] जैसे, जिस तरह से
जोअ सक [योजय ] जोड़ना, युक्त करना। ६ सत्कर्म-कारक (ठा ४, ३)। १० स्वर्ग । (सुपा ३८३; भवि) ।
जोएइ (महा) । वकृ. जोइयब्व, जोएअव्व ११ ग्रह वगैरह का विमान (राज)। १२
जोयणिय, जोयणिज्ज (उप ५६६ स ज्योतिष शास्त्र (निर ३, ३)। अंग पु जेमण न [जेमन] जीमन, भोजन (प्रोष जेमणग) ८८ प्रौप)। ५६८० प्रौपः निचू १)।
[°अङ्ग] अग्नि का काम करनेवाला कल्पजोअ पु[दे] १ चन्द्र, चन्द्रमा (दे ३, ४८)। जेमणय न [दे] दक्षिण अंग, गुजराती में |
वृक्ष-विशेष (ठा १०)। रस न [रस] 'जमणु" (दे ३, ४८)। | २ युगल, युग्म (णाया १, १ टी-पत्र रत्न की एक जाति (णाया १,१) । देखो
जोइस = ज्योतिस्। जेमणी स्त्री [जेमनी] जीमन (संबोध
जोअ देखो जोग (अवि २५; स ३६१जोइअपु[दे] कोट-विशेष, खद्योत, जुगुनू,
कुमा) वडय न [वटक चूर्ण-विशेष, पटबीजना (दे ३, ५०)। जेमावण न [जेमन] भोजन कराना, खिलाना
पाचक चूर्ण, हाजमा (स २५२)। जोइअ वि [दृष्ट देखा हुआ, विलोकित (सुर (भग ११, ११)
जोअंगण [दे] देखो जोइंगण (भवि)। ३,१७३; महा भवि)। जेमाविय वि [जेमित] भोजित, जिसको
जोअग वि [द्योतक] १ प्रकाशनेवाला २ न. जोइअ वि [योजित ] जोड़ा हुआ (स भोजन कराया गया हो वह (उप १३६ टी)
व्याकरण-प्रसिद्ध निपात वगैरह पद (विसे २६४) ।। जेमिय वि [जेमित] जोमा हुआ, जिसने | १००३)
जोइअ देखो जोगिय (राज)। भोजन किया हो वह (गाया १, १-पत्र
जोअड पु [दे] खद्योत, कीट-विशेष, जुगनू जोइंगण पु [दे] कीट-विशेष, इन्द्र-गोप (दे ४१ टी) (षड्)।
३, ५०)। जेयव्व देखो जिण - जि ।
जोअण न [दे] लोचन, नेत्र, चक्षु, अाँख जोइक पुन [ज्योतिष्क] प्रदीप मादि प्रकाजेव (शौ) देखो एव = एव (रंभा; कप्पू)।
शक पदार्थः कि सूरस्स दसपाहिगमे जाइक्कंजेव (अप) देखो जिव (हे ४, ३६७)
जोअण न [योजन १ परिमाण-विशेष, चार तरं गवेसीयदि' (रंभा)। जेवड (अप) देखो जेत्तिअ (हे ४, ४०७) ।
कोश (भग; इक) । २ संबन्ध, संयोग, जोड़ना जोइक्ख पुं[दे. ज्योतिष्क] १ प्रदीप, दीपक जेव्व (शौ) देखो एव = एव (पि; नाट)। (पएह १, १)।
(दे ३, ४६; पव ४; वव ७)। २ प्रदीप जेह (अप) वि [यादृश्] जैसा (हे ४,
जोअण न [यौवन] युवावस्था, तरुणता, प्रादि का प्रकाश (ोघ ६५३) ।। ४०२ षड्) ।
जवानी (उप १४२ टी; गा १९७)। | जोइणी स्त्री [योगिनी] १ योगिनी, संन्याजेहिल [जेहिल] स्वनाम ख्यात एक जैन जोअणा स्त्री [योजना] जोड़ना, संयोग सिनी । २ एक प्रकार की देवी, ये चौसठ है मुनि (कप्प)। करना (उप पृ २२१)।
(संति ११) जो । सक [ दृशू ] देखना । जोइ (सण); | जोआ स्त्री [द्यो] १ स्वर्ग। २ प्रकाश जोइर वि[दे] स्खलित (दे ३, ४६)। जोअ 'एसा हु वंकवंक, जोयइ तुह सुंमुहं | (षड़)।
जोइस न [दे] नक्षत्र (दे ३, ४६) जेण' (सुर ३, १२६) । जोयंति (स ३६१)। जोआवइत्त वि [योजयितु] जोड़नेवाला, जोइस देखो जोइ = ज्योतिस् (चंद १; कप्प; कर्म. जोइजइ (रयण ३२)। वकृ. जोअंत | संयुक्त करनेवाला (ठा ४, ३)।
विसे १८७०; जो १; ठा ६) राय ' (धम्म ११ टी; महाः सुर १०, २४४)। जोइ वि [योगिन्] १ युक्त, संयोगवाला। [ राज] १ सूर्य । २ चन्द्र (सुज २०१८)।कवकृ. जोइज्जत (सुपा ५७) । । २ चित्त-निरोध करनेवाला, समाधि लगाने- "लय पुं [ालय] सूर्य प्रादि देव (उत्त जोअ अक [द्युत् ] प्रकाशित होना, चम- वाला । ३ पुं. मुनि, यति, साधु (सुपा २१६ ३६)।
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