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३४६ पाइअसहमण्णवो
जणइ-जण्हई ६५; स्पप्न १६)। २ देहाती मनुष्य (सूत्र जणमेअअ पु [जनमेजय] स्वनाम-प्रसिद्ध जगी स्त्री [जनी] स्त्री, नारी, महिला (णाया १, १.२)। ३ समुदाय, वर्ग, लोक (कुमाः नृप-विशेष (चारु १२)।
२-पत्र २५३; पउम १५, ७३)।। पंचव ४)। ४ वि. उत्पादक, उत्पन्न करने- जणमेजय देखो जणमेअअ (धर्मवि ८१) जणु देखो जणि (हे ४,४४४ कुमा; षड्)। वालाः 'जेरण सुहझप्पजणं' (विसे ६६०)। जणय वि [जनक] १ उत्पादक, उत्पन्न
जणुकलिआ स्त्री [जनोत्कलिक मनुष्यों 'जत्ता स्त्री [ यात्रा] जन-समागम, जनकरनेवाला: दिट्ठिबियं पिसुणाणं सव्वं
का छोटा समूह (भग)। संगतिः 'जगजत्तारहियार होइ जइत्तं जईण सव्वस्स भयजणयं' (प्रासू १६) । २ पुं. पिता,
जणुम्मि स्त्री [जनोमि] तरंग की तरह सया (दंस ४)। 'हाण न[स्थान] १ दण्डबाप (पान; सुर ३,२५ प्रासू ७७)। ३ देखो
मनुष्यों की भीड़ (भग)। कारण्य, दक्षिण का एक जंगल । २ नगरजण = जन (सूअ १,६)।४ मिथिला का
जणेमाण देखो जण = जनय । विशेष, नासिक (ती २८)। वइ पुं[पति] एक राजा, राजा जनक, सीता का पिता
जणेर (अप) वि [जनक १ उत्पादक, पैदा लोगों का मुखिया (प्रौप)। वय पुं[ब्रज] (पउम २१, ३३)। ५ ऍन. ब. माता-पिता,
करनेवाला । २ पुं. पिता, बाप (भवि)।'' मनुष्य-समूह (पउम ४, ५)। वाय ',
माँ-बाप; 'जं किपि कोई साहइ. तज्जयाई जणेरि (अप) स्त्री [जननी माता, माँ (भवि)। [°वाद] १ जन-श्रुति, किंवदन्ती, उड़ती खबर
कुएंति तं सव्वं' (सुपा ३५६, ५६८
)ीजण पुं [यज्ञ १ यज्ञ, याग, मख, ऋतु (सुपा ३००)। २ मनुष्यों की आपस में
'तणआ स्त्री [तनया] राजा जनक की (प्रातः गा २२७)। २ देव-पूजा। ३ श्राद्ध चर्चा (प्रौप) । ३ लोकापवाद, लोक में पुत्री, राजा रामचन्द्र की पत्नी, सीता, जानकी
(जीव ३)! इ, जाइ वि [याजिन्] यज्ञ निन्दाः 'जणवायभएणं' (अव १)। स्सुइ (से १, ३७) । दुहिया, धूआ [ दुहित]
करनेवाला (औपः निचू १)। 'इज वि स्त्री [ श्रुति ] किंवदन्ती । विवाय पुं
वही अर्थ (पउम २३, ११:४८, ४) [नीय १ यज्ञ-सम्बन्धी, यज्ञ का। २ [पवाद] लोक में निन्दा (गा ४८४) । 'नदण पु[नन्दन] राजा जनक का पुत्र,
न. 'उत्तराध्ययन' सूत्र का एक प्रकरण (उत्त जणइ स्त्री [जनिका] उत्पादिका, उत्पन्न
भामण्डल (पउम ६५, २५)" नंदणी २५)। 'ट्ठाण न [ स्थान] १ यज्ञ का करनेवाली (कुमा)।
स्त्री [नन्दनी] सीता, राम पत्नी, जानकी स्थान । २ नगर-विशेष, नासिक (ती २०)। जणइउ पु[जनयित्] १ जनक, पिता
(पउम १४, ४६ )1 दिणी स्त्री 'मुह न [°मुख यज्ञ का उपाय (उत्त २५)। जणइत्तु (राज)। २ वि. उत्पादक, उत्पन्न
[ नन्दिनी] वही अर्थ (पउम ४५, १६) वाड ' [वाट] यज्ञ-स्थान (गा २२७)। करनेवाला (ठा ४, ४)।
"निवतणया स्त्री [ नृपतनया1 राजा | सेट्ट [श्रेष्ठ] श्रेष्ठ यज्ञ, उत्तम याग जणउत्त पु[दे] ग्राम का प्रधान पुरुष, गाँव जनक की पुत्री, सीता (पउम ४८, ६०)
(उत्त १२)। का मुखिया (दे ३, ५२ षड़)। २ विट, "पुत्ती स्त्री [पुत्री] वही अर्थ (रयरण ७८)। जण्ण देखो जन्न = जन्य (धर्मसं १००)। भाण्ड, भाँड़, विदुषक (दे ३, ५२) ।
सुअ पु[सुत] जनक राजा का पुत्र,
जण्णय देखो जणय (प्राप्र)। जणंगम पुं [जनङ्गम] चाण्डाल, 'रायणो भामण्डल (पउम ६५, २८)। सुआ स्त्री
जण्णयत्ता स्त्री [दे. यज्ञयात्रा] बरात, हुंति रंका य बंभरणा य जणंगमा' (उप | [सुता] जानकी, सीता (पउम ३७, ६२;
विवाह की यात्रा, वर के साथियों का गमन १०३१ टी पान) से २, ३८; १०, ३)।
(उप ६५४)। जणग देखो जगय (भग; उप पृ २१६ सुर | जणयंगया स्त्री [जनकाङ्गजा] जानकी,
जण्णसेणी स्त्री [याज्ञसेनी] द्रौपदी, पाण्डव२, १३७)। सोता, राजा रामचन्द्र की पत्नी (पउम
पत्नी (वेणी ३७)। जणण न [जनन] १ जन्म देना, उत्पन्न
४१, ७८)।
जण्णहर पु[दे] नर-राक्षस, दुष्ट-मनुष्य करना, पैदा करना (सुपा ५६७; सुर ३, ६; जणवय पु[जनपद] १ देश, राष्ट्र, जन
(षड्)। द्र ५७) । २ वि. उत्पादक, जनक (उर ६, स्थान, लोकालय (औप)। २ देश-निवासी
| जण्णिय पुं[याज्ञिक] याजक, यज्ञ करानेवाला ६ कुमा; भवि ); 'जरणमरणपसायजणणा' जन-समूह, प्रजा (पएह १, ३, प्राचा)।
(प्रावम)। (वसु)।जणवय वि [जानपद देश में उत्पन्न, देश
| जण्णोवईय । न [यज्ञोपवीत यज्ञ-सूत्र, जणगि। स्त्री [जननि, नी] १ माता, ___ का निवासी (आचा)।
जण्णोववीय , जनेऊ (उत्त २; प्रावम)। जणणी अम्बा (सुर ३, २५; महा; पाम)।
| जणस्सुइ स्त्री [जनश्रति 1 किंवदन्ती, जण्योहण पुं [दे] राक्षस, पिशाच (दे २ उत्पन्न करनेवाली नी, उत्पादिका (कुमा)।.
अफवाह, कहावत (धर्मवि ११२)।। जगद्दण पु [जनार्दन श्रीकृष्ण, विष्णु जणि (अप) प्राइव] तरह, माफिक, जैसा जहन [दे] १ छोटी स्थाली। २ वि. (उप ६४८ टी; पिंग)। ( हे ४, ४४४० षड्)।
कृष्ण, काले रंग का (दे ३, ५१)। जगप्पवाद जनप्रवाद जन-रव, लोकोक्ति, | जणिअ वि [जनित ] उत्पादित, उत्पन्न जण्हई स्त्री [जाह्नवी] गंगा नदी, भागीरथी अफवाह (मोह ४३)।
किया हुआ (पान)।
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