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पाइअसहमहण्णवो
जमा-जयंती
जमा स्त्री [यामी] दक्षिण दिशा (ठा १०पत्र ४७८) जमालि जमालि] स्वनाम-ख्यात एक राज-कुमार, जो भगवान् महावीर का जामाता था, जिसने भगवान् महावीर के पास दीक्षा ली थी और पीछे से अपना अलग पन्थ निकाला था (णाया १,८;ठा ७)। जमावण न [यमन] १ नियन्त्रण करना ।
२ विषम वस्तु को सम करना (निच१) जमिअ वि [यमित] नियन्त्रित, संयमित, काबू में किया हुआ (से ११, ४१; सुपा ३)। जमुणा देखो अँउणा (पि १७६; २५१)। जमू स्त्री [जमू] ईशानेन्द्र की एक अग्र
महिषी का नाम (इक)। जम्म प्रक [जन्] उत्पन्न होना । जम्मइ (हे| ४, १३६; षड्)। वकृ. जम्मत (कुमा); 'जम्मंतीए सोगो, बहतीए य बढ़ए चिता (सूक्त ८८)। जम्म सक [जम्] खाना, भक्षण करना।
जम्मइ (षड्)। जम्म पुंन [जन्मन्] जन्म, उत्पत्ति (ठा ६ महा: प्रासू ६०)। जम्मण न [जम्मन्] जन्म, उत्पत्ति, उत्पाद (हे २, १७४ णाया १, १; सुर १, ६)। जम्मा श्री [याम्या] दक्षिण दिशा (उप पू
३७५)। जम्हाअ) देखो जंभाअ । जम्हाअइ, जम्हाह जम्हाहइ, जम्हाहाइ (प्राकृ जम्हाड़ा) ६४)। जय सक [जि] १ जीतना। २ अक. उत्कृष्टपन से बरतना । जयइ (महा) । जयंति (स ३९)। संकृ. जइत्ता (ठा ६)। जय सक [यज्] १ पूजा करना । २ याग करना । जयइ (उत्त २५, ४) । वकृ, जअमाण (अभि १२५)। जय प्रक [यत्] १ यत्न करना, चेष्टा करना। २ ख्याल करना, उपयोग करना । जयइ (उव) । भवि. जइस्सामि (महा)। वकृ. जयंत, जयमाण (स २६०० श्रा २६, प्रोष १२४ पुप्फ २४१)। कृ. जइयव्य (उव; सुर १, ३४)।
जय न [जगत् ] जगत्, दुनियाँ, संसार सयलदेसम्मि' (मुरिण १०६००)। ३ स्वनाम(प्रासू १५५; से ६, १)। त्तय न [त्रय] ख्यात जैनाचार्य-विशेष (सुपा ६५८); 'सिरिस्वर्ग, मत्यं गौर पाताल लोक (सुपा ७६ | जयसिंहो सूरी सयंभरीमण्डलम्मि सुप्रसिद्धो' ६५) नाह ['नाथ] परमेश्वर, परमा- (मुणि १०८७२)। "सिरि श्री [ श्री] स्मा (पउम ८६, ६५)। °पहु ( [प्रभु] विजयश्री, जयलक्ष्मी (पावम)। सेण पुं परमेश्वर (सुपा २८ ८६) । "गणंद वि [°सेन] स्वनाम-प्रसिद्ध एक राजा (महा)। [नन्द जगत् को आनन्द देनेवाला (पउम वह वि ["वह] १ जय को वहन करने११७, ६)।
वाला, विजयी (पउम ७०, ७, सुपा २३४)। जय वि[यत १ संयत, जितेन्द्रिय (भास २ विद्याधर-नगर-विशेष (इक) वहपर ६५)। २ उपयोग रखनेवाला, ख्याल रखने- न [विहपुर] एक विद्याधर-नगर (इक)।। वाला (उत्त १ प्राव ४) । ३ न. छठवाँ गुण- विास न [वास विद्याधरों का एक स्थानक (कम्म ४,४८)। ४ ख्याल, उपयोग, स्वनाम-ख्यात नगर (इक)। सावधानता (णाया १,१-पत्र ३३); 'जय
जय पुं [यत प्रयत्न, चेष्टा, कोशिश (दस ५, चरे जयं चिठे (दस ४)। जय [जव वेग, शोव-गमन, दौड़ (पान) || जय पुंस्त्री [जया] तिथि-विशेष-तृतीया,
अष्टमी और त्रयोदशी तिथि (जं १) जय पुं[जय १ जय, जीत, शत्रु का पराभव ! (प्रौपः कुमा)। २ स्वनाम-प्रसिद्ध एक चक्र
जय देखो जया = यदा । पभिइ प्र वर्ती राजा (सम १५२) । उर न [°पुर]
["प्रभृति] जब से, जिस समय से (स नगर-विशेष (स ६) । 'कम्मा स्त्री [कर्मा विद्या-विशेष (पउम ७, १३६) । 'घोस पुं
जयंत [जयन्त] १ इन्द्र का पुत्र (पान)। [घोष] १ जय-ध्वनि । २ स्वनाम-प्रसिद्ध
२ एक भावी बलदेव (सम १५४) । ३ एक एक जैन मुनि (उत्त २५) । 'चंद पुं
जैन मुनि, जो वज्रसेन मुनि के तृतीय शिष्य [°चन्द्र] १ विक्रम की बारहवीं शताब्दी का
थे (कप्प)। ४ इस नाम के देव-विमान में कन्नौज का एक अन्तिम राजा । २ पन्नरहवीं
रहनेवाली एक उत्तम देव-जाति (सम ५६) । शताब्दी का एक जैनाचार्य (रयण १४)।
५ जंबूद्वीप को जगती के पश्चिम द्वार का एक जत्ता स्त्री [ यात्रा] शत्रु पर चढ़ाई (सुपा
अधिष्ठाता देव (ठा ४, २) । ६ न. देव५४१) । पडाया स्त्री [°पताका] विजय विमान-विशेष (सम ५६)। ७ जम्बूद्वीप की का झंडा (श्रा १२)। 'पुर देखो °उर (वसु)।
जगती का पश्चिम द्वार (ठा ४, २)। ८ रुचक मंगला स्त्री [ मङ्गला] एक राज-कुमारी
पर्वत का एक शिखर (ठा ४) । (दस ३) । लच्छी स्त्री [ लक्ष्मी] जय- जयंती स्त्री [जयन्ती] १ पक्ष को नववीं रात लक्ष्मी, विजयश्री (से ४, ३१, काप्र ७४३)। (सुज १०, १४)। २ भगवान् मरनाथ की
वत वि [°वत् ] जय-प्राप्त, विजयी (पउम दीक्षा-शिविका (विचार १२६)। ६६.४६) । वल्लह [वल्लभ] नृप-विशेष जयंती स्त्री [जयन्ती] १ वल्ली-विशेष, अरणो, (दस १)। संध [सन्ध] पुण्डरीक- वर्ष गाँठ (पएण १)। २ सप्तम बलदेव की नामक राजा का एक मन्त्री (प्राचू ४)। माता (सम १५२)। ३ विदेह वर्ष की एक
संधि पुं[°सन्धि] वही पूर्वोक्त अर्थ नगरी (ठा २, ३) । ४ अंगारक-नामक ग्रह को (भाव ४) सह पुं[शब्द] विजय-सूचक एक अग्र-महिषी (ठा ४, १)। ५ जम्बूद्वीप
आवाज (भोप) । "सिंह पुं[सिंह] १ के मेरु से पश्चिम दिशा में स्थित रुचक पर्वत सिंहल द्वीप का एक राजा (रयण ४४) । २ पर रहनेवाली एक दिक् कुमारी देवी (ठा ८) । विक्रम की बारहवीं शताब्दी का गुजरात का ६ भगवान् महावीर को एक उपासिका (भग एक प्रसिद्ध राजा, जिसका दूसरा नाम 'सिद्ध- १२, २) । ७ भगवान् महावीर के भाठवें राज था: 'जेण जयसिंहदेवो राया भरिणऊण गणधर की माता (मावम)। ८ अंजनक
घोष] १ जय
। चंद पुं
कप्प)। ४ इस
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