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जायगाथा २४)
१ माँगनेवार
३५४ पाइअसहमहण्णवो
जाणय-जाल जाणय वि [ज्ञापक] जनानेवाला, समझाने- | जाम देखो जाव = यावत् (पारा ३३)। जाय वि [यात] गत, गया हुआ (सूत्र १, वाला (औप) जामाइ देखो जामाउ (पिंड ४२४)।
३, १)। २ प्राप्त (सूत्र १, १०)। ३ न. जाणया स्त्री [ज्ञान] ज्ञान, समझ, जानकारी; जामग्गहण न [यामग्रहण] प्राहरिकत्व,
गमन, गति (प्राचा)। 'एएसि पयाणं जाणजाए सवरणयाए' (भग)।
जाय पु. [जात] गीतार्थ, विद्वान् जैन मुनि पहरेदारी (सुख २, ३१) । जाणवय वि [जानपद] १ देश में उत्पन्न,
जामाउ । [जामातृ, क] जामाता, देश-संबन्धी (भगः णाया १,१-पत्र .)।। जामाउय । दामाद, लड़की का पति (पउम
जायग वि [याचक] १ माँगनेवाला। २
पुं. भिक्षुक (श्रा २३; सुपा ४१०)। जाणाव सक [ज्ञापय् ] ज्ञान कराना, ८६,४ हे १, १३१, गा ६८३)।
जायग वि [याजक] यज्ञ करानेवाला (उत्त जनाना । जाणावइ, जाणावेइ (कुमाः महा)। जामि स्त्री [जामि, यामि] बहिन, भगिनी | हेकृ. जाणाविउं, जाणावेउं (पि ५५१)। (राज)।।
जायण न [याचन] याचना, प्रार्थना (श्रा कृ. जाणावेयव्व (उप पृ २२)। जामिअ देखो जामिग (धर्मवि १३५) ।
१४; प्रति ६१)।जाणावगन ज्ञापन] ज्ञापन, बोधन (पउम
जामिग पुं [यामिक] प्राहरिक, पहरुप्रा. जायण न [यातन] कदर्थन, पोड़न (पराह ११, ८८ सुपा ६०६)। पहरू, पहरेदार (उप ८३३) ।'
१, २)।जाणावणा । स्त्री [ज्ञापनी ] विद्या-विशेष
| जामिणी स्त्री [यामिनी रात्रि, रात (उप जायणया। स्त्री [याचना] याचना, प्रार्थना जाणावणी (उप पृ४२, महा) -
जायणा मांगना (उप पृ ३०२, सम ४०%;
७२८ टो)। जाणाविय विज्ञापित जनाया, विज्ञापित, जामिल्ल देखो जामिग (सुपा १४६; २६६)।
स २९१) मालूम कराया, निवेदित (सुपा ३५६) जामेअ पु [यामेय] भानजा, भागिनेय,
जायणा स्त्री [ यातना] कदर्थना, पीड़ा आवम) बहिन का पुत्र (धर्मवि २२) ।।
(पण्ह १. १) जाणि वि [ज्ञानिन्] ज्ञाता, जानकार (कुमा)। जाय सक [ याच प्रार्थना करना, माँगना।
जायणी स्त्री [याचनी] प्रार्थना की भाषा जाणिअ वि [ज्ञात] जाना हुआ, विदित वकृ. जायंत (वराह १, ३)। कवकृ. जाइ
(ठा ४, १)। (सुर ४, २१४, ७, २६)।
जायव पुस्त्री [यादव] यदुवंश में उत्पन्न जंत (पउम ५, ६८)
यदुवंशीय (गाया १, १६ पउम २०,५६)। जाणु न [जानु] १ घोंटू, घुटना। २ ऊरु जाय सक [यातय् ] पीड़ना, यन्त्रणा
करना । जाएइ (उव)। कवकृ. जाइज्जत और जंघा का मध्य भाग (तंदुः निर १, ३;
जाया स्त्री [यात्रा] निर्वाह, गुजारा, वृत्ति ।
माय वि [ मात्र] जितने से निर्वाह हो णाया १,२)।(पएह १, १)।
सके उतना; 'साहुस्स बिति धीरा जाया मायं जाणु । बि [ज्ञायक] जाननेवाला, ज्ञाता, जाय देखो जाग (णाया १, १)
च प्रोमं च (पिंड ६४३)।जाणुअजानकार (ठा ३, ४, गाया १, जाय वि [जात] १ उत्पन्न, जो पैदा हुआ जाया स्त्री [जाया] स्त्री, औरत, (गा ६;
| हो (ठा)। २ न. समूह, संघात, (दंस सुपा ३८६)। जाणे अ [जाने] उत्प्रेक्षा-सूचक अव्यय,
। ४)। ३ भेद, प्रकार (ठा १० निचू १६)। जाया देखो जत्ता (पण्ड २, ४, सन १,७)। मानो (अभि १५०)।
__ ४ वि. प्रवृत्त (प्रौप)। ५ पुं. लड़का, पुत्र जाया स्त्री [जाता] चमरेन्द्र आदि इन्द्रों की जाम सक [ मृज् ] मार्जन करना, सफा (भग ६, ३३; सुपा २७६)। ६ न. बच्चा , बाह्य परिषत् (भगः ठा ३, २)।
करना । जामइ (नाट–प्राप८० टी) संतानः 'जायं तोए जइ कहवि जायए पन्न- जायाइ पुं [यायाजिन्] यज्ञ-कर्ता, याजक, जाम पुंगान] १ प्रहर, तीन घण्टा का जोगेण' (सुपा ५६८)। ७ जन्म, उत्पत्ति यज्ञ करानेवाला (उत्त २५, १)। समय (सम ४४; सुर ३, २४२)। २ यम, । (णाया १, १) कम्म न [कर्मन] | जार पुं [जार] १ उपपति, यार (हे १,१७७)। अहिमा आदि पाँच व्रत । ३ उम्र-विशेष, १ प्रसूति-कर्म (णाया १; १)। २ संस्कार- २ मरिण का लक्षण-विशेष (जीव ३)। आठ से बत्तीस, बत्तीस से साठ और साठ से विशेष (वसु) तेय [तेजस् ] अग्नि, जारिच्छ वि [यादृक्ष] ऊपर देखो (प्रामा)। अधिक वर्ष की उम्र (पाचा)। ४ वि. यम- वलि (सम ५०), निद्या स्त्री [निदूता] जारिस वि [यादृश] जैसा, जिस तरह का संबन्धी, जमराज का (सुपा १०५), "इल्ल मृत-वत्सा स्त्री (विपा १, २) वि मूअ (हे १, १४२)। वि[वन् ] १ प्रहरवाला (हे २, १५९)। वि [क] जन्म से मूक (विपा १. १) जारेकण्ण न [जारेकृष्ण] गोत्र-विशेष, जो २ पुं. प्रारिक, पहरेदार, यामिक (सुपा प्रूव न [रूप] १ सुवर्ण, सोना (प्रौप)। वाशिष्ठ गोत्र की एक शाखा है (ठा ७)। ५) दिसा स्त्री [°दिश ] दक्षिण २ रूप्य, चादी (उत्त ३५): ३ सुवर्ण- जाल सक [ज्वालय ] जलाना, दग्ध करना; दिशा (सुपा ४०५)। वई स्त्री [°वती] निर्मित (सम ६५), 'वेय पुं["वेदस् ] 'तो जलियजलगजालावलीसु जालेमि नियदेह' रात्रि, रात (गउड)।अग्नि, वह्नि (उत्त १२) ।
(महा) । संकृ. जालेवि (महा)।
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