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खोमिय-गंग पाइअसहमहण्णवो
२८१ १, १-पत्र ४३ टी; उवा १) । २ सन का खोमिय वि [क्षौमिक] १ रेशम सम्बन्धी। खोसलय वि [दे] दन्तुल, लम्बे और बाहर बना हुअा वस्त्र (सम १२३; भग ११, ११, २ सन-सम्बन्धी (पव १२७)।
निकले हुए दाँतवाला (दे २, ७७)। पएह २, ४) । ३ रेशमी वस्त्र (उप १४६%; खय देखो खोद (सम १५१; इक)। खोसिय वि [दे] जीणं-प्राय किया हुआ स २००) । ४ वि. अतसी-संबंधी, खोर । न [दे]पात्र-विशेष, कचोलक, कटोरा | (पिंड ३२१)। सन-संबन्धी, (ठा १०; भग १, १ | | खोरय । (उप पू१३५; रणदि)।
खोह देखो खोभ = क्षोभय । खोहइ (भवि) । ११) । पसिण न [प्रश्न] विद्या-विशेष, खोल पु[दे] १ छोटा गधा (दे २,८०)।
वकृ. खोत (से १५, ३३)। कवक, खोहिजिससे वस्त्र में देवता का आह्वान किया २ वस्त्र का एक देश (दे २, ८० ५, ३००
जंत (से २, ३)। जाता है (ठा १०)। बृह १)। ३ मद्य का नीचला कीट-कर्दम
खोह देखो खोभ = क्षोभ (पएह १, ४ कुमा (प्राचा २,१, बृह १)। खोमिय न [क्षौमिक] १ कपास का बना खोल
सुपा ३६७) । दे] गुप्तचर, जासूस (पिंड १२७) ।
खोहण देखो खोभण (श्रा १२; सुपा ५०२)। खोल्लन [दे] कोटर, गह्वर ‘खोल्लं कोत्थर' हुआ वस्त्र (कप्प)। (निचू १५)।
खोहिय देखो खोभिय (सण)।
। इअ सिरिपाइअसहमहण्णवे खमाराइसहसंकलणो
एप्रारहमो तरंगो समत्तो॥
ग[ग] व्यञ्जन-वणं विशेष, इसका स्थान । न [°पद] गिरनार पर्वत का एक जल-तीर्थ गउरविय वि [गौरवित] गौरव-युक्त किया कण्ठ है (प्रामाः प्राप)। (ती ३)।
हुआ, जिसका आदर-सम्मान किया गया 'ग वि[ग]१ जानेवाला। २ प्राप्त होने- गइल्लय देखो गय = गत (सुख २, २२)। हो वहा 'तज्जण्याई तत्थागयाइं थेवेहिं चेव वाला, जैसे-पारग, वसग (प्राचा; महा)।
| गउ । पुं[गो] बैल, वृषभ, साँड़ (हे १, दियहेहि, गउरवियाई रयणायरेण' (सुपा
गउअ १५८)। "पुच्छ पुन [पुच्छ] | ३५६, ३६०)। गअवंत वि [गतवत् ] गया हुआ (प्राकृ
| १ बैल की पूँछ । २ बाण-विशेष (कुमा)। गउरी स्त्री [गौरी] १ पार्वती, शिव-पत्नी ३५) ।
| गउअ पुं [गवय] गो-तुल्य आकृतिवाला जंगली (सुपा १०६)। २ गौर वर्णवाली स्त्री। ३ गइ स्त्री [गति] १ ज्ञान, प्रवबोध (विसे पशु-विशेष, नील गाय (कुमा)।
स्त्री-विशेष (कुमा)। पुत्त पुं[पुत्र] २५०२)।२ प्रकार, भेद (से १, ११)। ३
गउआ स्त्री [गो] गैया, गौ (हे १, १५८)। पार्वती का पुत्र, स्कन्द, कात्तिकेय (सुपा गमन, चलन, देशान्तर-प्राप्ति, ( कुमा)।
गउड पुं [गौड] १ स्वनाम ख्यात देश, ४०१)। ४ जन्मान्तर-प्राप्ति, भवान्तर-गमन ठा (१,१ः
बंगाल का पूर्वी भाग (हे १, २०२, सुपा गंअ देखो गय= गत; 'भीया . जहागयगई दं)। ५ देव, मनुष्य, तिर्यञ्च, नरक
३८६) । २ गौड़ देश का निवासी (हे १, पडिवज्ज गए' (रंभा)। और मुक्त जीव को अवस्था, देवादि-योनि
२०२)। ३ गौड़ देश का राजा (गउड; गंग पुं[गङ्ग] मुनि-विशेष, द्विक्रिय मत का (ठा ५, ३)। तस पु [स] अग्नि
कुमा)। वह पुं [वध] वाक्पतिराज का प्रवर्तक प्राचार्य (ठा ७; विसे २४२५)। और वायु के जीव (कम्म ३, १३, ४, १६)।
बनाया हुआ प्राकृत-भाषा का एक काव्य-ग्रंथ दत्त पुं[°दत्त १ एक जैन मुनि, जो षष्ठ नाम न [ नामन्] देवादि-गति का कारण(गउड)।
वासुदेव के पूर्वजन्म के गुरू थे (स १५३) । भूत कर्म (सम ६७)। पवाय पुं[प्रपात]
गरण वि [गौण] मप्रधान, अमुख्य (दे २ नववे वासुदेव के पूर्वजन्म का नाम (पउम १ गति की नियतता (पएण १६)। २ |
२०,७१)। ३ इस नाम का एक जैन श्रेष्ठी ग्रंथांश-विशेष (भग ८, ७)।
| गउणी स्त्री [गौणी] शक्ति-विशेष, शब्द की | (भग १६, ५)। दत्ता स्त्री [ दत्ता एक गईंद पुं [गजेन्द्र] १ ऐरावण हाथी, इन्द्र- एक शक्ति (दे १, ३)।
सार्थवाह की स्त्री का नाम (विपा १, ७)। हस्ती। २ श्रेष्ठ हाथी (गउड; कुमा) । पय गउरव देखो गारव (कुमाः हे १, १६३)। गंग देखो गंगा। पवाय पुं[प्रपात]
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