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गद्दभी-वाम्म
पाइअसहमहण्णवो
गद्दभी स्त्री [गर्दभी] १ गधी, गदही (पि गब्भर देखो गहर; 'गब्भरो (प्राकृ २५; संक्षि गमग वि [गमक] बोधक, निश्चायक (विसे २६१) । २ विद्या-विशेष (काल)
३१५) । गद्दह पुं [गर्दभ] १ गदहा, गधा, खर (सम गंब्भाहाण न [गर्भाधान] संस्कार-विशेष गमण न [गमन] गमन, गति (भगः प्रासू ५०; दे २, ८० पाना हे २, ३७)। २ इस (राय १४६)।
१३२)। २ वेदन, बोध (गदि)। ३ व्या. नाम का एक मंत्रि-पुत्र (वृह १) | | गभिज्ज पुंदे. गर्भज] जहाज का निम्न
ख्यान, टोका। ४ पुष्य वगैरह ना नक्षत्र
(राज)। गह न [दे] कुमुद, चन्द्र-विकासी कमल (दे श्रेणी का नौकर 'कुच्छिधारकन्नधारगन्भिज
(? ज्ज) संजत्ताणावावारिणयगा' (गाया १,
गमणया। स्त्री [गमन गमन, गति 'लोगंत२,८३)
गमणा गमणयाए' (ठा ४, ३); 'पायवंदए गद्दहय पुं गर्दभक] १ क्षुद्र जन्तु-विशेष, जो | ८-पत्र १३३, राज)।
पहारेत्थ गमणाए' (णाया १,१-पत्र २६ TV गोशाला वगैरह में उत्पन्न होता है (जी गम्भिण । वि[गर्भित] १ जिसको गर्भ
गमणिग्ज देखो गम = गम् । १७) । २ देखो गद्दह (नाट) गब्भिय । पैदा हुआ हो वह. गर्भ-युक्त (हे
गमणिग स्त्री [गमनिका ] १ संक्षिप्त, गद्दही देखो गद्दभी (नाट-मृच्छ ५८; निचू १, १०८; प्राप्रः गाया १, ७)। २ युक्त,
ध्याख्यान, दिग्-दर्शन (राज)। २ गुजारना, सहित; 'वेडिसदलनीलभित्तिगम्भिरणय' (कुमाः १०)।
अतिक्रमण; 'कालगमणिया एत्थ उवामो' गद्दिअ वि [दे] गर्वित, गर्व-युक्त (दे २,८३)।
(उप ७२८ टी)। गभिल्ल देखो गम्भिज्ज (णाया १, १७गद्ध ( [गृध्र] पक्षि-विशेष, गोध, गिद्ध
गमणी स्त्री [गमनी] १ विद्या-विशेष, जिसके पत्र २२८)। (प्रौप)।
प्रभाव से आकाश में गमन किया जा सकता गम सक [गम् ] १ जाना, गति करना, गन्न वि [गण्य] १ माननीय, प्रादरास्पदः ।
है (णाया १, १६-पत्र २१३)। २ जूताः चलना। २ जानना, समझना। ३ प्राप्त 'हियमप्पणो करतो, कस्स न होइ गरुनो
'सब्बोवि जणो जलं विगाहि तो उत्तारइ करना। भूका. गमिही ( कुमा)। कर्म. गुरुगन्नो', 'सव्वो गुणेहि गन्नो' (उव) । २ न. गम्मइ, गमिज्जइ (हे ४, २४६)। कवकृ.
गमणीप्रो चरणाहितो' (सुपा ६१०) । गणना, गिनती; 'मुल्लस्स कुण्इ गन्न' (सुपा गम्ममाण (स ३४०) । संकृ. गतु, गमिअ,
गमणीअ देखो गम = गम् । २५३) गंता, गतूण, गंतूणं (कुमाः षड् ; प्राप्र;
गमय देखो गमग (विसे २६७३) - गब्भ पु[गर्भ] १ कुक्षि, पेट, उदर (ठा ५,
प्रौपः कस), गडुअ, गडिअ, गदुअ (शौ);
गमार वि [दे. ग्राम्य ] अविदग्घ, मूर्ख १)। २ उत्पत्ति-स्थान, जन्म-स्थान (ठा २,
(संक्षि ४७)। । (हे ४, २७२, पि ४८१; नाट-मालती ३)। ३ भ्रूण, अन्तरापत्य (कप्प)। ४ | ४०), गमेप्पि, गमेप्पिणु, गप्पि, गंप्पिणु
गमाव देखो गम = गमय । गमावइ (सरण) मध्य, अन्तर, भीतर का (णाया १, ८) (अप); (कुमा) । हेकृ. गंतुं (कसः श्रा १४) ।
गमिअ वि [गमिक] प्रकारवाला (वव १)। गरा स्त्री [करी] गर्भाधान करनेवाली
कृ. गंतव्य, गमणिज्ज, गमणीअ (णाया गमिद वि [दे] १ अपूर्ण। २ गूढ़ । ३ विद्या-विशेष (सूत्र २, २) घर न [गृह] |
१,१; गा २४६ उवः भग; नाट)। स्खलित ( षड् )। भीतर का घर, घर का भीतरी भाग (णाया
गम सक [गमय ] १ ले जाना । २ व्यतीत | गमिय वि [गमित] १ गुजारा हुमा, प्रतिक्रांत १,८) ज वि [°ज] गर्म में उत्पन्न
करना, पसार करना, गुजारना। गति होनेवाला प्राणी, मनुष्य, पशु वगैरह (पउम
| (गउड)। २ ज्ञापित, बोधित, निवेदित १०२, ६७) 1/थ वि [स्थ] १ गर्भ में
(गउड); 'बुहा ! मुहा मा दियहे गमेह (विसे ५५६) रहनेवाला। २ गर्भ से उत्पन्न होनेवाला
(सत्त ४)। कर्म. गमेजंति (गउड)। वकृ. गमिय न [गमिक ] शास्त्र विशेष, सदृश
गमंत (सुपा २०२)। संकृ. गमिऊण (पि) मनुष्य वगैरह (ठा २, २) 'मास पुं
पाठवाला शास्त्र: 'भंग-गणियाई गमियं सरिहे गमित्तए (पि ५७८)। [मास] कात्तिक से लेकर माघ तक का
सगर्म च कारणवसेण' (विसे ५४६; ४५४)। महीना (वव ७)। य देखोज (जी २३) गम [गम] १ गमन, गति, चाल (उप गमिर वि [गन्तु] जानेवाला (हे २, १४५)।। "वई स्त्री [वतः] गर्भिणी स्त्री (सुपा २७६) २२० टो)। २ प्रवेश (पउम १, २६)। ३ वक्कंति स्त्री [°व्युत्क्रान्ति] १ गर्भाशय
शास्त्र का तुल्य पाठ, एक तरह का पाठ, गप्पिणु में उत्पत्ति (ठा २, ३) वक्कंतिअ वि
जिसका तात्पर्य भिन्न हो (दे १, १, विसे गमेर देखो गमार (संक्षि ४७)। [व्युत्क्रान्ति:] गर्भाशय में जिसकी ५४६; भग)। ४ व्याख्या, टीका विसे गमेस देखो गोस। गमेसइ (हे ४, १८६) । उत्पत्ति होती है वह (सम २ २५)। हर
६१३)। ५ बोध, ज्ञान, समक (अणुः एंदि)। | गमेसंति (कुमा) देखो घर (सुर ६, २१; सुपा १८२)। ६ मार्ग, रास्ता (ठा ७) ।।
गम्म विनिम्ब] १ जानने याग्य। २ जो गभर न [गहर] १ कोटर, गुहा । २ गहन, गम ' [गम] १ प्रकार (वव १) । २ वि. | जाना जा सके (बर १७०; सुपा ४२६) । विषम स्थान (माव ४. पि ३३२) जंगम (महानि ४)।
३ हराने योग्य, अाक्रमणोय (सुर १२६;
गमेपिप
देखो गम = गम् ।।
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