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पाइअसद्दमहण्णवो
गल्लप्फोड-गह
गल्लप्फोड [दे] डमरुक, वाद्य-विशेष (दे गवेस सक [गवेषय ] गवेषणा करना, गसण न [ग्रसन] भक्षण, निगलना (स
खोजना, तलाश करना। गवेसइ (महा: षड्)। ३५७) । गल्लूरण न [दे] मांस खाते हुए कुपित शेर भूका. गवेसित्था (पाचा)। वकृ. गवसंत, गसिअ वि [ग्रस्त] भक्षित, निगलित (कुमा; को गर्जना (माल ६०)।
गवेसयंत, गवेसमाण (श्रा १२, सुपा ४१० सुर ६, ६०, सुपा ४८६)। गल्लोल्ल न [दे] गडक, पात्र-विशेष (निचू १)M सुर १, २०२गाया १, ४)। हेकृ. गवे
चू १) सुर १, २०२; पाया १, ४)। हेकृ. गवे- गह सक [प्रथ ] गूंथना, गठना। गहेति गव पुंस्त्री [गो] पशु, जानवर (सूत्र १,२,३) सित्तए (कप्प)।
। (सूअनि १४०) गवक्ख पुंगवाक्ष] १ गवाक्ष, वातायन, गवेसइत्त वि [गवेषयितु] खोज करनेवाला, गह सक [ग्रह. ] १ ग्रहण करना, लेना। झरोखा (प्रौप; परह २, ४)। २ गवाक्ष के गवेषक (ठा ४, २)TV
२ जानना । गहेइ (सण) । वकृ. गहंत (श्रा आकृति का रत्न-विशेष (जीव ३)५°जाल न गवेसग वि [गवेषक] ऊपर देखो (उप पृ २७)। संकृ. गहाय, गहिअ, गहिऊण, [जाल १ रत्न-विशेष का ढेर (जीव ३ ३३)
गहिया, गहेरं (पि ५६१; नाटः पि ५८६; राय)। २ जालीवाला वातायन (प्रौप) गवेसण न [गवेषण खोज, अन्वेषण (प्रौपः ।
खाज, अन्यषण (आप। सूत्र १, ४,११,५, २)। कृ. गहीअव्य, गवच्छ [दे] आच्छादन, ढकना (राय)। सुर ४, १४३)।
. गहेअव्व (रयण ७०० भग)। गवच्छिय विदे] पाच्छादित, ढका हुआ गवेसणया स्त्री [गवेषणा ईहा-ज्ञान, संभा
गवेसण या स्त्री [गवेषणा] ईहा-ज्ञान, संभा- गह ग्रह] १ ग्रहण, मादान, स्वीकार (रायः जीव ३)। वना-ज्ञान (णंदि १७४)
(विसे ३७१; सुर ३, ६२)। २ सूर्य, चन्द्र गवत्त न [दे] घास, तृण (दे २, ८५)।
गवसणया । स्त्री [गवेषणा] १ खोज, अन्वे- वगैरह ज्योतिष्क-देव (गउड परह १, २) । गवत्थिय देखो गवच्छिय (पउमच० ४१
गवेसणा षण (प्रौपः सुपा २३३)। २ ३ कर्म का बन्ध (दस ४)। ४ भूत वगैरह
शुद्ध भिक्षा की याचना (ोघ ३)। ३ भिक्षा का आक्रमण, आवेश (कुमाः सुर २, १४४)। गवय [गवय] गो की आकृति का जंगली का ग्रहण (ठा ३, ४)।
५ गृद्धि, आसक्ति, तल्लीनता (आचा)। ६ पशु-विशेष, नील गाय (पएह १, १)। गवेमय देखो गवेसग (भवि)।
संगीत का रस-विशेष (दस २) खोभ पुं गवर पुं [दे] वनस्पति-विशेष (परण १- गवेसाविय वि [गवेषित] १ दूसरे से खोज- [ क्षोभ राक्षस वंश के एक राजा का नाम, पत्र ३४)
वाया हुआ, दूसरे द्वारा खोज किया गया (स एक लंकेश (पउम ५, २६६)५ गन्जिय न गवल पुंगवल] १ जंगली पशु-विशेष, २०७; प्रोध ६२२ टी)। २ गवेषित, अन्वे- [गर्जित] ग्रहों के संचार से होनेवाली जंगली महिष (पउम ८८, ६) । २ न. महिष षित, खोजा हुआ (स १८)।
प्रावाज (जीव ३)4 गहिय वि [गृहीत] का सिंग (पएण १७; सुपा ६२)। गवेसि वि [गवेषिन] खोज करनेवाला, भूतादि से प्राक्रान्त, पागल (कुमा; सुर २, गवा स्त्री [गो] गैया, गाय (पउम ८०, १३) गवेषक (पुप्फ ४४०)।"
१४४M°चरिय न [चरित] १ ज्योतिषगवादगी देखो गवायणी (प्राचा २,१०,२) गवेसिअ वि [गवेषित] अन्वेषित, खोजा शास्त्र (वव ४)। २ ज्योतिष-शास्त्र का परिज्ञान
(सम ८३)M "दंड पुं[दण्ड] दण्डाकार गवायणी स्त्री [गवादनी] गोचर-भूमि (दे हुआ (सुर १५, १२६) ।।
गव्व पु [ग] मान, अहंकार, अभिमान (भग ग्रह-पंक्ति (भग ३, ७) 'नाह पुं [ नाथ २, ८२) १५, पव २१६)
१ सूर्य, सूरज (श्रा २८)। २ चन्द्र, चन्द्रमा गवार वि [दे] गँवार, छोटे गाव का निवासी
गब्बर न [गह वर] कोटर, गुहा (स ३६३)। (उप ७२८ टी) मुसल न [मुसल] (वजा ४)। गवालिय न [गवालीका गौ के विषय में गाव्व विगावन् । अभिमानी, गर्व-युक्त (था| मुसलाकार ग्रह-पंक्ति (जीव ३)1 °सिंघाडग अनृत भाषण (पएह १, २)। । १२: दे ७, ६१)
न [शृङ्गाटक] १ पानी-फल के आकारगविट्ठ वि [गर्विष्ट] विशेष अभिमानी, गर्व वाली ग्रहपंक्ति (भग ३, ७)। २ ग्रह युग्म, गविअ वि [दे] अवधृत, निश्चित ( षड् )। __ करनेवाला (दे १, १२८)।
ग्रह की जोड़ी जीव ३) हिव [धिप गविट्र वि [गवेषित] खोजा हुआ (सुपा गव्यिय वि [गर्वित गव-युक्त, जिसको अभि- सूर्य, सूरज (श्रा २८)
१५४६४०; स ४८४ पान)। । मान उत्पन्न हुभा हो वह (पाय; सुपा २७०) गह ग्रह] १संबंध (धर्मसं ३६३)। २ गविल न [दे] उत्तम कोटि की चीनी, शुद्ध गम्बिर वि [गर्विन] अहंकारी, अभिमानी पकड़, धरना (सूत्र १, ३, २, ११, धर्मवि मिस्त्री (उर ५, ६)। (हे २, १५६ हेका ४५)। स्त्री. री (हेका
७२)। ३ ग्रहण, ज्ञान (धर्मसं १३६४) गवेधुआ स्त्री [गवेधुका] जैनमुनि-गण की। ४५)
°भिन्न न [भिन्न जिसके बीच से ग्रह का एक शाखा (कप्प) ।
गस सक [प्रस्] खाना, निगलना, भक्षण गमन हो वह नक्षत्र (वव १) ५ °सम न गवेलग पुंस्त्री [गवेलक] १ मेष, भेड़ (णाया करना । गसइ (हे ४, २०४ षड्)। वकृ. [सम] गेय काव्य का एक भेद (दसनि २, १, १, प्रौप)। २ गौ और भेड़ (ठा ७)। गसंत (उप ३२० टी)
२३)।
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