________________
पाइअसद्दमहण्णवो
गोअ - गोडा
गौधों का बाड़ा (निचू ८) हणन ['धन] गौधों का समूह (गा ६०६: सुर १, ४९ ) । गोअ देखो गोव = गोपय् । कृ. गोअणिज्ज ( नाद - मालती १२१) ।
( परह १, १ ) । ३ एक अन्तद्वीप द्वीप - विशेष । ४ गोकरण- द्वीप का निवासी मनुष्य (ठा ४, २) । गोकिलिंज देखो गो- कलिंजय ( राय १४ = ) । गोक्खुरय पुं [गोक्षुरक] एक औषधि का नाम, गोखरू ( स २५६ ) । - गोश्चय पुं [दे] प्राजन दण्ड, कोड़ा, चाबुक (दे २, ७) ।
गोअंट [दे] १ गौ का चरण । २ स्थलशृङ्गाट, स्थल में होनेवाला शृङ्गाट या सिंघाड़ा का पेड़ (दे २, ६८ ) ।
गोअग्गा नी [दे] रथ्या, मुहल्ला (दे २, १६) । गोच्छ देखो गुच्छ ( से ६, ४७; गा ५३२) । लग्न- विशेष, गौधों को चरा कर लौटने गोअल्ला स्त्री [द] दूध बेचनेवाली स्त्री (दे २, गोच्छ । पुंन [गोच्छक] पात्र वगैरह
गोच्छग | साफ करने का वस्त्र खण्ड (कस परह २, ५ ) ।
गोच्छन [ दे] गोमय, गो- विष्ठा (मृच्छ ३४) । गोच्छा स्त्री [द] मञ्जरी, बौर (दे २, १५) । गोच्छिय देखो गुच्छिय (भौपः गाया १, १ ) । गोड देखो गोच्छड (नाट - मृच्छ ४१) । गोजलोया बी [गोजलौका] क्षुद्र कीट-विशेष,
द्वीन्द्रिय जन्तु - विशेष ( पण १५) । गोज्ज पुं [दे] १ शारीरिक दोषवाला बैल (सुपा २८१) । २ गानेवाला, गवैया, गायक; वीणावं ससरणाहं, गोयं ननदृछत्तगोज्जेहिं । बंदिजण सहरिसं, जयसद्दालायां च कयं ( पउम ८५, १९ ) । गोटू पुं [गोष्ठ ] गोबाड़ा, गौधों के रहने का स्थान (महाः पउम १०३, ४० ; गा ४४७ ) । गोट्ठा माहिल पुं [ गोष्टामाहिल ] कर्म-पुलों को जीव प्रदेश से अबद्ध माननेवाला एक जैनाभास श्राचार्य (ठा ७) ।
३००
१, २) । दास पुं [दास] १ एक जैनमुनि, भद्रबाहु स्वामी का प्रथम शिष्य । २ एक जैनमुनिगरण (कप्पा ) 1 दोहिया स्त्री [° दोहिका ] १ गौ का दोहन । २ आसन विशेष, गौ दुहने के समय जिस तरह बैठा जाता है उस तरह का उपवेशन (ठा ५, १) दु[ि] गौ को दोहने(a) [°धूलिका ]
का समय, सायंकाल 'वेलव्व गोधूलिया' (भा) । पय 'पयन [प्पद] १ गौ का खुर डूबे उतना गहरा 'लद्धम्मि जम्मि जीवाण जायइ गोपयं व भवजलही' (आप ६६) । २ गोपद-परिमित भूमि (अणु) । ३ गौ का खुर (ठा ४, ४) । भद्द पुं [भद्र ] श्रेष्ठिविशेष, शालिभद्र के पिता का नाम (ठा १०)। 'भूमि स्त्री [भूमि] गौधों को चरने की जगह (श्रावम) । म वि [°मत् ] गौवाला ( विसे १४९८ ) । मंड न [मृत ] गौ का शव (गाया १, ११- –पत्र १९७३) । न[*मय ] गोवर, गौ का मल, गो-विष्ठा
मय
(भग ५, २) । 'मुत्तिया स्त्री [" मूत्रिका ] १ का मूत्र, गोमूत्र (प्रोघ ६४ भा) । २ गोमूत्र के आकारवाली गृहपंक्ति (पंचत्र २) । "मुहिअ न ['मुखित] गौ के मुख की आकारवाली दाल (गाया १, १८) । रहग [रथक] तीन वर्ष का बैल (सूत्र १, ४, २) । रोयण स्त्रीन ['रोचन] स्वनामख्यात पीत वर्णं द्रव्य - विशेष, गोमस्तक स्थित शुष्क-पित्त (सुर १,१३७) । स्त्री. 'णा (पंचा ४) । हणिया श्री [लेहनिका] ऊषर भूमि (निच् ३)। °लोम वुं [°लोम] १ गौ
|
(जीव १) । 'बइ पुं [°पति ] १ इन्द्र । २ सूर्यं । ३ राजा (सुपा १४२ ) । ४ महादेव । ५. बैल (हे १,२३१) । वइय पुं [प्रतिक] गौत्रों की चर्या का अनुकरण करनेवाला एक प्रकार का तपस्वी (गाया १, १५) । वय देखो 'पय (राज) । 'वाड पुं [वाट ] गौओं का बाड़ा (दे १,१४९) । व्वइय देखो • वय ( प ) । साला स्त्री [शाला ]
६८) । गोअर [ गोचर ] छात्रालय (दस ५, २२) । गोअलिणी बी [गोपालिनी] ग्वालिन,
भूमि डम्म जुन्हादहीय महणेा । पुन्निमगोग्रलिणीए मक्खर्गापडुन निम्मविओो ।' (धर्मवि ५५) ।
गोआ स्त्री [गोदा] नदी-विशेष, गोदावरी
नदी, 'गोश्रारणइकच्छकुडंगवासिरा दरिअसीहे (गा १७५) । गोआ स्त्री [दे] गगरी, कलशी, छोटा घड़ा (दे २, ८९) ।
गोआअरी स्त्री [ गोदावरी ] नदी-विशेष, गोदावरी (गा ३५५) । गोआलिआ स्त्री [दे] वर्षा ऋतु में उत्पन्न होनेवाला कीट - विशेष (दे २, १८) । गोआवरी देशो गोआअरी (हे २, १७४) गोडर न [गोपुर] नगर या किले का दरवाजा (सम १३७, सुर १, ५६ ) । गोलिय वि [गोकुलिक ] गो-धन पर नियुक्त गोट्ठि देखो गोट्ठी (श्रावम) । पुरुष, गोकुल- रक्षक (कुप्र ३१ ) ।
Jain Education International
गोंजी गोठी
'} स्त्री [दे] मंजरी, बौर (दे २, १५)। गोंड देखो कोड = कौण्ड (इक) ।
का रोम, बाल । २ द्वीन्द्रिय जन्तु विशेष गोंड न [दे कानन, वन, जंगल (दे २, १४) गोट्ठी स्त्री [गोष्ठी] १ मण्डली, समान वय
गोंडी स्त्री [दे] मंजरी, बौर (दे २, ε५) । गोंदल देखो गुंदल (भवि ) । गोंदीण न [ दे] (दे २, १७) । गोंफ पुं [गुल्फ] ( परह १, ४) ।
मयूर-पित्त, मोर का पित्त
पाद-ग्रन्थि, पैर की गाँठ
गोकण्ण । पुं [गोकर्ण] १ गौ का कान । गोकन्न २ दो खुरवाला चतुष्पद - विशेष
गोट्ठिल पुं [गौष्ठिक] एक मण्डली के गोट्ठिलग सदस्य, मित्र, समान वयस्क दोस्त गोडिलय (गाया १, १६ – पत्र २०५; विपा १, २ -- पत्र ३७ ) ।
For Personal & Private Use Only
वालों की सभा ( प्राप्र दसनि १; गाया १, {६) । २ वार्तालाप, परामर्श (कुमा) । गोड पुं [गौड ] १ देश-विशेष (स २८६) । २ वि. गौड़ देश का निवासी ( परह १, १ ) । गोड पुं [दे] गोड़, पाव, पैर (नाट - मृच्छ ke) F
गोडा स्त्री [गोला ] नदी - विशेष, गोदावरी (गा ५८; १०३) ।
www.jainelibrary.org