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जंपण - जक्ख
जंपण न [जल्पन] उक्ति, कथन, कहना
(१२
उड
२ मुख
जंपण न [दे] मुँह (दे ३, ५१; भवि) ।
भाषक
जंपय वि [जल्पक] बोलनेवाला, ( परह १.३) ।
ला
जंपा न [जम्पान] १ वाहन विशेष सन, शिविका विशेष (ठा ४, ३३ श्रौप; सुपा ३९३; उप ९५६) । २ मृतक-यान, शव-यान ( सुपा २१९ ) ।
जंबुअ ) पुं [जम्बुक ] १ सियार, गीदड़ जंबुग ) ( प्रासू १७१ उप ७६८ टी पउम १०५, ६४ ) । २ न. जम्बूवृक्ष का फल, जामुन (सुपा २२ ) ।
जंबुल 8 [दे] १ वानीर, बेंत २ न. मद्यभाजन, सुरापात्र (दे ३, ४१) । जंबुल्ल वि [दे] जल्पाक, वाचाट, बकवादी
(पास)।
पिय[] जिसको देखे उसी को जंबुवई देखो जंबवई (अंतः पडि
चाहनेवाला (दे ३, ४४; पात्र ) । पिय वि [जल्पित] कथित, उक्त (प्रासू
१३० ) ।
जंपिय देखो जंप |
पिर वि [जल्पितृ] १ जल्पाक बाचाट (दे २, ε७) । २ बोलनेवाला, भाषक (हे २, १४५: श्रा २७ गा १९२: सुपा ४०२ ) । पेक्विरमगिर[दे] जिसको देखे जंपेच्छिर मग्गिर उसी की याचना करनेवाला (षड् ; ३, ४४) ।
१ कीर्ति, श्रपयश
जंबई स्त्री [जाम्बवती ] श्रीकृष्ण की एक पत्नी ( अंत १४ श्राचू १ )
जंबर्धत
[ जाम्बवत् ] एक विद्याधर राजा (कुल २५९)।
जंबा न [दे] १ बाल वाल जलमल, सिवार या सेवार (दे ३, ४२: पात्र) । जंबाल पुंग [जम्बाल] १, पंक (पाठा ३, ३) २ जन (सूम १, ७) ।
जंबीर ( अ ) न [जम्बीर ] नीबू या नीबू, फल- विशेष (सरण) ।
पाइअसद्दमहण्णवो
जंबुअ पुं [दे] १ वेतस वृक्ष, बेंत । २ पश्चिम दिपा (५२) ।
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जंबु [] [जम्बु] जम्बु, सिपार 'जंबून
हुन पउम १०५ ५७२ एक
प्रसिद्ध जैन मुनि, सुधर्म-स्वामी के शिष्य, अन्तिम केवली (कप्प बसु वा १,१२ न. जम्बू वृक्ष का फल, जामुन (श्रा ३६) । [ज] जम्बुका 'सेवित जंबू भयो' (संबोध४७) । जंबु देखो जंबू (कम्प: कुमाइक: पम ५६ २२ से १३, ८६ ) ।
जंबू श्री [ जम्बू ] १ वृक्ष-विरोध, जामून का पेड़ (गाया १, १ औप ) । २ जंबू वृक्ष के आकार का एक रत्नमय शाश्वत पदार्थ, सुदर्शना, जिसके कारण यह द्वीप जंबूद्वीप कहलाता है (१) ३ पुं. एक सुप्रसिद्ध जैन मुनि, सुधर्म-स्वामी का मुख्य शिष्य (जं १) । दीव पुं [द्वीप ] भूखण्ड विशेष, सब द्वीप और समुद्रों के बीच का द्वीप, जिसमें यह भारत आदि क्षेत्र वर्तमान है (जे १ इक) दीवग वि[" द्वीपक] जम्बूद्वीपसंबधी जम्बूद्वीप में उत्पस (डा ४, २९) "दीवपणति श्री ["द्वीपक्षम] घाम-ग्रन्थ विशेष जिसमें जंबूद्वीप का वर्णन है (१) पीड पेट न ["पीठ] सुदर्शना का अधिष्ठान प्रदेश नं ४ इक) पुरन ["पुर] नगर विशेष (क)जक्स "मालि ["मालिन] रावल का एक पुत्र रावण का एक सुभट ( पउम ५६, २२: से १६) मेषपुर ["मेघपुर ] विद्या घर-नगर- विशेष (एक) "संड ["पण्ड ] ग्राम विशेष (धाम ) "सामि ["स्वामिन] सुप्रसिद्ध जैन मुनि विशेष (प्रावम) ।
।
[जम्बूक] सिपार, गीदह (
८४ भा) ।
जंबूणय न [जाम्बूनद] १ सुवर्ण, सोना (सम ६५; पउम ५, १२९ ) । २ पुं. स्वनामप्रसिद्ध एक राजा (पउम ४८, १८) । जंबूलय पुन [जम्बूलक ] उदक-भाजन-विशेष (उवा) ।
जंभ [दे] तुष, भूणा, धान्य र का छिलका (दे ३, ४० ) 1
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जंभंत देखो जंभा = जृम्भ् ।
जंभग वि [जृम्भक] १ माई लेनेवाला। २. व्यन्तरदेवों की एक जाति (कम्प, सुपा ४० ) ।
जंभणभण) वि [दे] स्वच्छन्द-भाषी, जो जंभणभण - मरजी में भावे वह बोलनेजंभणय वाला (षड् ; दे ३, ४४) जंभणी श्री [जृम्भणी] तन्त्र-प्रसिद्ध विद्या विशेष (सू २ २ पउम ७, १४४ ) । जंभय देखो जंभग (खाया १, १ अंतः भग १४, ८) ।
जंभल पुं [दे] जड़, सुस्त, मन्द (दे ३, ४१) । जंभा श्री [जृम्भा] जमाई. जुम्भण (विपा १) ।
जंभा स्त्री [जृम्भा] एक देवी का नाम (सिरि २०३ ) ।
जंभा जंभाअ
[जुम्भू ] भाई लेगा। } जंभाई, जंभाई (हे ४, १५७;
२४०; प्रात्रः षड् ) । वकृ. जंभंत, जंभाअंत (गा ५४६; से ७, ६५० कप्प) । जंभाइअ न [जृम्भित] [जृम्भित] जँभाई,
भाई जुम्भा
( पडि ) । जंभियन [जृम्भित] १ भाई ९ पु. ग्राम-विशेष, जहाँ भगवान् महावीर को केवलज्ञान उत्पन्न हुआ था यह गाँव पारसनाथ पहाड़ के पास की ऋजुबालिका नदी के किनारे पर था (कप्प ) ।
[यक्ष] १ व्यन्तर देवों की एक पुं जाति (पह १, ४ प २ धनेश, कुबेर, यक्षाधिपति ( प्राप्र ) । ३ एक विद्याधर- राजा, जो रावण का मौसेरा भाई था ( पउम ८, १०२४ द्वीप-विशेष ५ समुद्र-विशेष (चंद १९ ) । ६ श्वान, कुत्ता 'ग्रह प्रायविराया पवयम्' १९३ मा)। कदम ["कम] १ केसर, अगर चन्दन, कपूर धीर कस्तूरी का समभाग मिचरण (भवि) २ द्वीप-विशेष ३ समुद्र-विशेष (बंद २०) मा [ह] यज्ञावेश, यक्षकृत उपद्रव ( जीव ३ जं २ ) । णायग पुं [नायक ] यक्षों का अधिपति, कुबेर (अणु) । दित्त न ['दीप्त ] देखो नीचे दित्य (पव २६) । दिन्ना स्त्री ['दत्ता ] महर्षि स्थूलभद्र की बहिन, एक जैन साध्वी
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