________________
चंडण-चंद पाइअसद्दमहण्णवो
३१३ चंडण देखो चंदणः 'चंडणं, चंडणो' (प्राकृ | (पउम ५६, २)। ६ राशि-विशेष (भवि)। पव्वय [पर्वत वक्षस्कार पर्वत-विशेष
७ आहादक वस्तु। ८ कपूर । ६ स्वर्ण, (ठा २, ३)1 °पुर न [पुर] वैताब्य पर्वत चंडमा चन्द्रमस् ] चन्द्रमा, चाँद (पिंग)।
सोना। १० पानी, जल (हे २, १६४)। पर स्थित एक विद्याधर-नगर (इक)। 'पुरी चंडा स्त्री [चण्डा] १ चमरादि इन्द्रो की
११ एक जैन प्राचार्य (गच्छ ४)। १२ एक स्त्री [पुरी नगरी-विशेष, भगवान् चन्द्रप्रभ मध्यम परिषद् (ठा ३, २, भग ४, १) । २ द्वीप का नाम, द्वीप-विशेष (जीव ३)। १३
की जन्म-भूमि (पउम २०, ३४)। °प्पभ भगवान् वासुपूज्य की शासनदेवी (संति१०)। राधावेध की पुतली का बायां नयन, अखि का
वि [प्रभ] १ चन्द्र के तुल्य कान्तिवाला। चंडातक न [चण्डातक] स्त्री का पहनने का गोला (णंदि)। १४ न. देवविमान-विशेष
२ पुं. पाठवें जिनदेव का नाम (धर्म २)। ३ वन, चोला, लहँगा (दे ३, १३)। (सम ८)। १५ रुचक पर्वत का एक शिखर
चन्द्रकान्त, मरिण-विशेष (पएण १)। ४ एक चंडार पुन [द भएडार, भाण्डागार (कुमा)। (दीव)। अंत देखो कंत (विक्र १३६) ।
जैन मुनि (दस)। ५ न. देवविमान-विशेष चंडाल पुं[चण्डाल] १ वर्णसंकर जाति
उत्त देखो गुत्त (मुद्रा १९८)। °कत पुं
(सम ८)। ६ चन्द्र का सिंहासन (गाया २,। विशेष, शूद्र और ब्राह्मणी से उत्पन्न (प्राचाः [कान्त] १ मणि-विशेष (स ३६०)। २ १)। प्पभा स्त्री [प्रभा] १ चन्द्र की एक सूप १, ५) । २ डोम (उत १; अणु)। न. देवविमान-विशेष (सम ८)। ३ वि. चन्द्र
अग्र-महिषी (ठा ४,१)। २ मदिरा-विशेष, चंडालिय वि [चाण्डालिक] चण्डाल-संबन्धी, की तरह आहादक (प्रावम)। कंता स्त्री
एक जात का दारू (जीव ३)। ३ इस नाम चण्डाल जाति में उत्पन्न (उत्त १)। [कान्ता] १ नगरी-विशेष (उप ६७३) । की एक राज-कन्या (उप १०३१ टी)। ४ चंडाली स्त्री [चण्डाली] १ चण्डाल-जातीय २ एक कुलकर-पुरुष की पत्नी (सम १५०)। इस नाम की एक शिविका, जिसमें बैठकर स्त्री। २ विद्या-विशेष (पउम ७, १४२)। कूड न ['कूट] १ देवविमान विशेष (सम भगवान् शीतलनाथ और महावीर-स्वामी चंडिअ विदे] कृत, छिन्न, काटा हुपा (
दे ८)। २ रुचक पर्वत का एक शिखर (ठा ८) दीक्षा के लिए बाहर निकले थे (प्रावम)।
गुत्त [गुप्त मौर्यवंश का एक स्वनाम- प्पह देखो पभ (कप्प; सम ४३)। भागा चंडिक्क पुन [दे. चाण्डिक्य] रोष, गुस्सा, विख्यात राजा (विसे ८६२)। चार पुं स्त्री [भागा] एक नदी (ठा ५, ३)। क्रोध, रौद्रता (दे ३, २; षड्; सम ७१)। [चार चन्द्र की गति (चंद १०)। चूड, मंडल पुंन [°मण्डल] १ चन्द्र का मण्डल, चंडिक्किअ वि [दे. चाण्डिक्यित] १ रोष
°चूल [चूड] विद्याधर वंश का एक चन्द्र का विमान (जं ७; भग)। २ चन्द्र का युक्त, रौद्राकारवाला, भयंकर (णाया १, १;
स्वनाम प्रसिद्ध राजा (पउम ५, ४५; दस)। बिम्ब (पएह १,४)। मग्ग पुं[मार्ग] १ पएह २, २, भग ७, ८ उवा)।
°च्छाय पुं[च्छाय] अंग देश का एक चन्द्र का मण्डल-गति से परिभ्रमण । २ चन्द्र चंडिज्ज [दे] कोप, क्रोध, गुस्सा । २ वि. राजा, जिसने भगवान् मल्लिनाथ के साथ दीक्षा का मण्डल (सुज ११)। मणि पुं[मणि] पिशुन, खल, दुर्जन (दे ३, २०)।
ली थी (णाया १,८)। जसा स्त्री [यशस्] चन्द्रकान्त, मरिण-विशेष (विक्र १२६ )। चंडिम पुंस्त्री चण्डिमन्] चण्डता, प्रचण्डता
एक कुलकर पुरुष की पत्नी (सम १५०)। माला स्त्री[माला] १ चन्द्राकार हार, चन्द्र(सुपा ६६)
झय न [ध्वज देवविमान-विशेष (सम हार । २ छन्द-विशेष (पिंग)1°मालिया स्त्री चंडिया स्त्री [चण्डिका] देखो चंडी (स ८)1 °णक्खा स्त्री [नखा] रावण की ["मालिका] वही पूर्वोक्त अर्थ (ोप) । २६२; नाट)।
बहिन का नाम (पउम १०, १८)। णह पुं मुही स्त्री [°मुखी] १ चन्द्र के समान चंडिल वि [दे] पीन, पुष्ट (दे ३, ३)। [ नख] रावण का एक सुभट (पउम ५६,
ग्राह्लादक मुखवाली स्त्री। २ सीता-पुत्र कुश चंडिल [चण्डिल] हजाम, नापित (दे ३,
३१)। णही देखो °णक्खा (पउम ७,६८)। की पत्नी (पउम १०६, १२)। रह २ पाम गा २६१ अ)।
°णागरी स्त्री [ नागरी] जैन मुनि-गण की [रथ] विद्याधर वंश का एक राजा (पउम चंडी स्त्री [चण्डी] १ क्रोध-युक्त स्त्री, एक शाखा (कप्प)। दरिसणिया स्त्री ५, १५, ४४)। "रिसि पुं ऋषि] एक कर्कशा और उग्र स्त्री (गा ६०८)। २ पार्वती, [दर्शनिका] उत्सव-विशेष, बच्चे के पहली जैन ग्रन्थकार मुनि (पंच ५)। लेस न गौरी, शिव-पत्नी (पान)। ३ वनस्पति- बार के चन्द्र-दर्शन के उपलक्ष्य में किया जाता [ लेश्य देवविमान-विशेष (सम ८)। लेहा विशेष (पराग १) देवग वि [देवक]
उत्सव (राज)। दिण न [दिन] प्रति- स्त्री [°लेखा] १ चन्द्र की रेखा, चन्द्रकला । चण्डी का भक्त (सूअनि ६०)।
पदादि तिथि (पंच ५)। दीव पुं[द्वीप] २ एक राज-पत्नी (ती १०)। वडिंसग न चंद पुं[चन्द्र] १ चन्द्र, चन्द्रमा, चाद (ठा द्वीप-विशेष (जीव ३)। द्ध न [1] प्राधा [वितंसक] १ चन्द्र के विमान का नाम -२, ३, प्रासू १३, ५५, पान)। २ नृप-विशेष चन्द्र, अष्टमी तिथि का चन्द्र (जीव ३)। (चंद १८)। २ देखो चंडवडिंसग (उत्त (उप ७२८ टी)। ३ रामचन्द्र, दाशरथी राम पडिमा स्त्री [प्रतिमा] तप-विशेष (ठा २, १३)। वण्ण न [°वर्ण] एक देवविमान (से १, ३४)। ४ राम के एक सुभट का नाम ३)। पन्नत्ति स्त्री [ प्रज्ञप्ति] एक जैन | (सम ८)। वयण वि [वदन] १ चन्द्र (पउम ५६, ३८)। ५ रावण का एक सुभट | उपाङ्ग ग्रन्थ (ठा २,१-पत्र १२६) के तुल्य पाहादजनक मुंहवाला । २ पुं.
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org