________________
३११
चउक्क-चउरुत्तरसय
पाइअसद्दमहण्णवो चौपाया प्राणी, पशू (जी ३१)। २ न. ६४, ४७)1°स्सट्टि देखो सट्टि (कप्पू) (पाय; वेणी ६६)। २ क्रिवि. निपुणता से ज्योतिष-प्रसिद्ध एक स्थिर करण (विसे साल न[शाल] चार शालाओं से युक्त घर होशियारी से; 'केसी गायइ चउर" (ठा ७)।३३५०)1 °प्पह पु [पथ] चौहट्टा, (स्वप्न ५१) हट्ट, हट्टय पुंन [ हट्ट, क] चउरंग वि [चतुरङ्ग] १ चार अंगवाला, चौराहा, चौरास्ता (प्रयौ १००)। 'प्पुड | चौहट्टा, बाजार (महाः था २७ सुपा ४५५४ चार विभागवाला (सैन्य वगैरह) (सण)। वि [°पुट] चार पुटवाला, चौसर, चौपड़ हत्तर वि [सप्तत] चौहत्तरवाँ, ७४ वा २ न. चार अंग, चार प्रकार (उत्त ३)। (विपा १, १)। °Cफाल वि ["फाल] देखो
चउरंगय न [चतुरङ्गक] एक तरह का जुआ प्पुड (णाया १,१-पत्र ५३)1 °ब्बाहु चौहत्तर, सत्तर और चार (पि २४५
(मोह ८६)।वि ['बाहु] १ चार हाथवाला । २ पु. २६४)1 हा अ [धा] चार प्रकार से चउरंगि वि [चतुरङ्गिन चार विभागवाला चतुर्भुज, श्रीकृष्ण (नाट)1 ब्भुअ [भुज] (ठा ३, १; जी १६)। देखो चो
(सैन्य वगैरह)। स्त्री. °णी (सुपा ४५६) । देखो बाहु (नाटः सूथ १, ३.१)। भंग | चउक्क न [चतुष्क] चौकड़ी, चार वस्तुओं का चउरत विचितरन्त] १ चार पर्यन्तवाला, पुंन [ भङ्ग] चार प्रकार, चार विभाग (ठा समूह (सम ४०; सुर १४, ७८, सुपा १४); चार सीमाएँवाला। २ पुं. संसार (प्रौप)। ४, १)। भंगी स्त्री [भङ्गी] चार प्रकार, 'वरणचउक्केण (श्रा २३)।
स्त्री. ता ["ता] पृथिवी, धरणी (ठा ४, १)। चार विभाग (भग )1 भाइया स्त्री चउक्का दे. चतुष्का चौक, चौराहा, जहाँ चउरत न [चतुरन्त] चक्र, पहिया (चेइय [भागिका] चौसठ पल का एक नाप चार रास्ता मिलता हो वह स्थान, चौमुहानी (दे ३४३)। (अणु) । 'मट्टिया स्त्री [ मृत्तिका] कपड़े ३,२ षड् ; गाया १, १, प्रौपः कप्पः अणु; चउरंस वि [चतुरस्र चतुष्कोण, चार के साथ कूटी हुई मिट्टी (निचू १८)। मंड- बृह १; जीव १; सुर १; ६३; भग)। २
कोणवाला (भगः प्राचाः दं १२)। लग न [ मण्डलक] लग्न मण्डप, विवाह- माँगन, प्रांगरण (सुर ३,७२) ।।
चउरसा स्त्री [चतुरंसा] छन्द विशेष (पिंग)। मण्डप (सुपा ६३)1°मासिअ देखो चार- चउक्कर दे] कात्तिकेय, शिव का एक पुत्र | चउरय पंदे] चौरा, चतरा, गाँव का म्मासिअ (श्रा ४७)। मुह, 'मुह पु
सभा-स्थान (सम १३८ टो)। ["मुख १ ब्रह्मा, विधाता (पउम ११, चउक्कर वि [चतुष्कर ] चार हाथवाला, चउरस्स देखो चउरंस (विसे २७६७)। ७२, २८, ४८)। २ वि. चार मुंहवाला, चतुर्भुज (उत्त ८)।
चउरचिंध पु[दे] सातवाहन, राजा शालिचार द्वारवाला (प्रौपा सण)। वग्ग धून | चउकिआ स्त्री [दे. चतुष्किका] प्रांगन,
वाहन (दे ३,७)। [°वर्ग] चार वस्तुओं का समुदाय (निचू छोटा चौक (सुर ३, ७२)
चउराणण वि [चतुरानन] १ चार मुंहवाला। १५)। वण्ण, वन्न स्त्रीन [पश्चाशत्] चउज्झाइया स्त्री [दे] नाप-विशेष (भग २पु. ब्रह्मा, विधाता (गउड)। चौवन, पचास और चार, ५४ (पि २६५;
चउरासी । स्त्री [चतुरशीति संख्या-विशेष, २७३; सम ७२)1°वार वि [द्वार] चार चउड [चोड] देश-विशेष (सम्मत्त ६०)। चउरासी। चौरासी, ८४ (जी ४५सण दरवाजेवाला (गृह) (कुमा)। "विह वि चउद देखो चउ-दस (संबोध २३)।
उवाः पउम २०, १०३ सम ६०; कप्प)। [विध] चार प्रकार का (६ ३२; नव ३)। चउद्दह वि [चतुर्दश] चौदहवाँ (प्राकृ ५)।
चउरासीइम वि [चतुरशीतितम] चौरावीस स्त्रीन [°विंशति चौबीस, बीस और स्त्री. ही (प्राकृ ५)।
सीवाँ, ८४ वां (पउम ८४, १२, कप्प)।चार. २४ (सम ४३; दं १; पि ३४)। चउपंचम वि [चतुष्पश्च] चार या पाँच
चउरासीय स्त्रीन [चतुरशीति चौरासी, वीसइ (अप)। स्त्री [विंशति] बीस और (सूम २, २, २१)।
'चउरासीयं तु गणहरा तस्स उत्पन्ना' (पउम चार, चौबीस (पि ४४५) वीसइम वि चउपाडिवय न [चतुष्प्रतिपत् ] चार [विंशतितम] १ चौबीसवाँ (पउम २४, पडवा या परिवा तिथियाँ (पव १०४)।
चउरिदिय वि [चतुरिन्द्रिय] त्वक् , जिह्वा, ४०)। २ न. ग्यारह दिनों का लगातार उप- चउपाय पं[चतुष्पाद] एक दिन का उप- नाक और चक्षु इन चार इन्द्रियवाला (जन्तु) वास (भग)। "व्वग्ग देखो वग्ग (माचा | वास (संबोध ५८)
(भग ठा १, १; जी १८)। २, २)। 'व्वार पुन [वार] चार बार, | चउप्फल वि [चतुष्फल] चौगुना, 'मद्दल-चउरिमा स्त्री [चतुरिमन् चतुरता, चतुराई, चार दफा (हे १, १७१; कुमा)। "विह वाय चउप्फललोय (सिरि १५७)।
चातुर्य, निपुणता (सट्ठि १६)। देखो 'विह (ठा ४, २)। व्वीस देखो चउबोल स्त्रीन [चौबोल] छन्द-विशेष चउरिया) स्त्री [दे] लग्न-मण्डप, मड़वा, 'वीस (सम ४३)1°ब्बीसइम देखो वीस- (पिंग) । स्त्री. ला (पिंग)।
चउरी विवाह-मण्डप, गुजराती में चोरी इम (णाया १, १)। सहि स्त्री [°षष्टि] | चउम्मुह पु[चतुर्मुख दो दिन का उपवास, (रंभाः सुपा ५५२)। चौसठ, साठ और चार (सम ७१; कप्प)M बेला (संबोध ५८)
चउरुत्तरसय वि [चतुरुत्तरशततम एकसौ "सटिम वि [पष्टितम] चौसठवाँ (पउम | चउर वि [चतुर] १ निपुण, दक्ष, होशियार चारवाँ, १०४ वॉ (पउम १०४, ३५) ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org