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पाइअसहमहण्णवो
गुम्मइअ-गुहिर गुम्मइअ वि [दे] १ मूढ़, मूर्ख (दे २,१०३, गति-विशेष, भारीपन से ऊँचा-नीचा गमन गुलुंछ पुं[गुलुञ्छ] गुच्छ, गुच्छा (दे २,
ओघ १३६; पान षड्)। २ प्रपूरित, पूर्ण (ठा ८)। लाघव न [ लाघव सारासार, ६२)। नहीं किया हुआ ( षड्)। ३ पूरित, पूर्ण अच्छा और बुरापन (वव ४)। सज्झिल्लग गुलुगुंछ देखो गुलगुंछ = उत् + क्षिप् । गुलुकिया हुआ (दे २,१०३)। ४ स्खलित । - पुं[सहाध्यायिक] गुरु के भाई (बृह ४)। गुछइ (हे ४, १४४)। ५ संचलित, मूल से उच्चलित । ६ विघटित. गुरुई देखो गरुई (णाया १,१)। गुलुगुंछ सक [उत् + नमय ] ऊँचा वियुक्त ( दे २,१०३; षड्)। गुरुणी स्त्री [गुर्वी] १ गुरु-स्थानीय स्त्री (सुर
करना, उन्नत करना । गुलुगु छइ (हे ४,३६)। गुम्मड देखो गुम्म । गुम्मडइ (हे ४, २०७)।
११, २११)। २ धर्मोपदेशिका, साध्वी (उप गुलुगुछिअ वि[ उन्नामत ऊंचा किया हुआ, गुम्मडिअ वि [मोहित] मोह-युक्त, मुग्ध ७२८ टी)।
उन्नमित (दे २, ६३; कुमा)। किया हुआ (कुमा ७, ४७)।
गुरेड न [गुरेट] तृ-विशेष (दे १, ५४)। गुलुगुंछिअ वि [दे] बाड़ से अन्तरित (दे गुम्मागुम्मि अ. जत्थाबन्ध होकर (प्रौप)। गुम्मिअ वि [मुग्ध] १ मोह प्राप्त , मूढ़ गुल देखो गुड = गुड (ठा ३, १; ; णाया
२, ६३)।
गुलगुल देखो गुलगुल । गुलुगुलंति (भवि)।
१,८ गा ५५४; औप)। (कुमा ७, ४७)। २ धुणित, मद से घूमता
वकृ. गुलुगुलेत (पि ५५८)। हुआ (बृह १)। गुल न [दे] चुम्बन (दे २, ६१)।
गुलुगुलाइय) देखो गुलगुलाइअ (औप; गुम्मिअ [गौल्मिक] कोतवाल, नगर- | गुलगुंछ सक [उत् + क्षिप् ] ऊँचा
गुलुगुलिय परह १, ३ स ३६६)। रक्षक (प्रोघ १६३ ७६६) । फेंकना। गुलगुछइ (हे ४, १४४)। संकृ.
गुलुच्छ वि [दे] भ्रमित, घुमाया हुआ, गुम्मिअ वि [दे] मूल से उखाड़ा हुआ, उन्मूगुलगुंछिऊण (कुमा)।
(दे २,६२)। लित (दे २, ६२)।
गुलगुंछ देखो गुलुगुंछ = उद् + नमय । गुलुच्छ पु[गुलुच्छ] गुच्छा, स्तबक(पान). गुम्मी स्त्री [दे] इच्छा, अभिलाषा (दे २, गुलगुछइ (हे ४, ३६)।
गुल्लइय वि [गुल्मवत् ] लता-समूहवाला, गुलगुल अक [गुलगुलाय् ] 'गुलगुल' आवाज |
गुल्म-युक्त (गाया १, १-पत्र ५)। गुम्मी स्त्री [गुल्मी] शतपदी, यूका, खटमल, करना, हाथी का हर्ष से चिंघाड़ना या बोलना।
| गुव देखो गुप्त = गुप् । गुवंति (भग १५)। जू (उत्त ३६, १३६ सुख ३६, १३९)। वकृ. गुलगुलंत, गुलगुलेंत (उप १०३१ टी "गुवलय देखो कुवलय; 'मुद्दियगुवलयनिहाणं' गुम्ह सक गुम्फ ] गूथना, गठना। गुम्हदु उवा पउम८, १७१, १०२, २०)।
(णंदि)। (शौ) (स्वप्न ५३)।
गुलगुलाइअ) न [गुलगुलायित हाथी की गवालिया[दे] देखोगोआलिआ (जी १७)।
गुलगुलिय गर्जना (जं ५; सुपा १३७) 1 गुह्य देखो गुज्झ (हे २, १२४) ।
गुविअ वि [गुप्त] व्याकुल, क्षुब्ध (ठा ३, गुलल सक [चाटौ कृ] खुशामद करना । गुल
४-पत्र १६१)। गुरव देखो गुरुः 'जो पुरवे साहीणे धर्म
लइ (हे ४, ७३) । वकृ. गुललंत (कुमा)। गुविल वि [गुपिल] १ गहन, गहरा, गाढ़, साहेइ पोढबुद्धिओ' (पउम ६, ११४)।
गुललावणिया स्त्री [गुडलावणिका] एक निबिड़ (सुर ६, ६६ उप पु ३०; पण्ह १, गुरु पुं[गुरु] १ शिक्षक, विद्या-दाता, | तरह की मिठाई, गोलपापड़ो। २ गुड़धाना ३)। २ न. झाड़ी, जंगल (उप ८३३ टी); गुरुअ पढ़ानेवाला (वव १; अणु)। २ (पव २५६; सुज २० टी)।
'इक्को करइ कम्म, धर्मोपदेशक, धर्माचार्य (विसे ६३०)। ३ गुलहाणिया स्त्री [गुडधानिका खाद्य-विशेष
इक्को प्रणुहवइ दुक्कयविभारं । माता, पिता वगैरह पूज्य लोग (ठा १०)। (पव ४)।
इको संसरइ जियो, ४ बृहस्पति, ग्रह-विशेष (पउम १७, १०८ गुलिअ वि [दे] मथित, विलोड़ित (दे २, जरमरणचउग्गइगुविलं' (पच्च ४४)। कुमा)। ५ स्वर विशेष, दो मात्रावाला मा, | १०३ षड्)। २ . गेंद, कन्दुक; 'कंदुओ गुविल वि [दे] चीनी का बना हुपा, मिस्रीई वगैरह स्वर, जिसके पीछे अनुस्वार या गुलिओ' (पाप)।
वाला (मिष्टान्न) (उर ५, १०)। संयुक्त व्यञ्जन हो ऐसा भी स्वर-वर्ण (पिंग)। | गुलिआ स्त्री [दे] १ बुसिका। २ गेंद,
गुग्विणी स्त्री [गुर्विणी] गर्भवती स्त्री (सुपा ६ वि. बड़ा, महान् (उवा से ३, ३८)। ७ कन्दुक । ३ स्तबक, गुच्छा (दे २, १०३)।। २७७)। भारी, बोझिल (ठा १, १; कम्म १)। ८ गुलिआ स्त्री [गुलिका] १ गोली, गुटिका गुह देखो गुभ । गुहइ (हे १, २३६) । उत्कृष्ट, उत्तम (कम्म ४, ७२; ७६)1 °कम्म (महाः गाया १, १३; सुपा २६२)। २ गुह पुं [गुह] कात्तिकेय, एक शिव-पुत्र वि [कर्मन] कर्मों का बोझवाला, पापी वर्णक द्रव्य-विशेष, सुगन्धित द्रव्य-विशेष (पास)। (सुपा २६५)। कुल न ["कुल] १ धर्मा- । (प्रौपा रणाया १, १-पत्र २४)। गुहा स्त्री [गुहा] गुफा, कन्दरा (पामा ठा २, चार्य का सामीप्य (पंचा ११)। २ गुरु- गुलुइय वि[दे] गुल्मित, गुल्मवाला, लता ३ प्रासू २७१)। परिवार (उप ६७७)। गइ स्त्री [गति] | समूहवाला (प्रौपः भग)।
गुहिर वि [दे] गम्भीर, गहरा (पामा कप्प)।
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