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मग्न, खुशी में लीन 'तैं वह द प्रादि(सुपा १३४) ।
गुंदवडय न [दे] एक प्रकार की मिठाई, गुजराती में जिसको ''व' कहते हैं (सुपा ४८५ ) 1
गुंदा
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स्त्री [दे] १ बिन्दु २ प्रथम, नीच (दे २, १०१)
गुंपा
गुं स [ न्यू ] गठना गुंबद (प्राह ६३) ।
गुंफक [ गुम्फू]थना, गठना । गुफइ (षड् ) वकृ. गुंफत (कुमा) । गुंफ[गुम्फ] रचना, चना, अन्यन १ ( उप १०३१ टी दे १, १५०६, १४२ ) । गुंफ थुं [दे] गुप्ति, कारागार, जेल ε0)13
(दे २,
गुंफण न [दे] गोफन, पत्थर फेंकने का प्रस्नविशेषः ''करण फेरणसुंकार एहि' (सुर २,८) । M गुंफी स्त्री [दे] शतपदी, क्षुद्र कीट विशेष, गोजर, नखरा (दे २, ११) ।
गुग्गुलु देखो गुग्गुल (स ४३६) ।
गुच्छ । पुं [गुच्छ ] १ गुच्छा, गुच्छक, गुच्छय ) स्तबक (उत्त २; स्पप्न ७२ ) । २ वृक्षों । फूलों की एक जाति (१) ३ पत्तों का समूह (१) । गुच्छ देशी गोच्छव (घोष ६६० ) । गुच्छिवि [ गुच्छित] गुच्छा वाला, गुच्छयुक्तः 'निच्चं गुच्छिया' (राय) । - गुज देखो गोल (गुपा २०१) । गुज्जर [गूजर ] १ भारत का एक प्रान्त, गुजरात देश (पिंग) २ लि. पुनरात का निवासी । स्त्री. री (नाट) ।
गुढ एक [ गुड् ] नियन्त्रण करना। प्रवेद ( संबोध ५४ ) ।
गुग्गुल 1 [गुग्गुल] सुगन्धित द्रव्य-विशेष गूगल या गुग्गुल (सुपा १२१ ) । गुग्गुली श्री [गुग्गुल] इगल का पेड़ (जी गुड [गुड] १ युद्ध, ईख का विकार, साल १०) ।
गुजरात
गुजरता श्री [गुर्जर]] रात देश (सार्थ ६८) । गुलिअ वि [दे] संघटित (पर)। गुज्म [गुध] एक देव-जाति (दस ७ ५३) ।
पाइअसहमष्णवो
गुज्भं पिव तक्खरणा फुट्ट" ( उप ७२८ टी) । ३ लिंग, पुरुष - चिह्न । ४ योनि, स्त्री - चिह्न (धर्मं २) । ५ मैथुन, संभोग ( परह १, ४) हर [वि] [["धर] इस बात को प्रकट नहीं करने वाला (दे २४३) । हर वि ["हर] रहस्यभेदी गुप्त बात को प्रसिद्ध करनेवाला (२, ε३) ।
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गुज्मअ ) [गुह्यक] देवों की एक जाति } गुरुभंग (ठा ५, ३)
2 वि [ गुह्य] १ गोपनीय, छिपाने गुवमाअ योग्य (खाया १.१ हे २,१२४) २. बात रहस्य 'सिमेतिणियियगर्य
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गुट्ठ न [दे] स्तम्ब, तृण-काण्ड 'अज्जु - गुट्ट व तस्स जाई' (उवा) ।
भत्त
गुटु देखो गोट्टु (पाय मत १६२ ) । गुट्ठी देखो गोट्ठी (सूक्त ५८ ) ।
गुड सक [ गुड् ] १ हाथी को कवच वगैरह से सजाना । २ लड़ाई के लिए तय्यार करना, सजाना 'गुरु गदे पीहरपकपाइक्के' (सुपा २८८ ) । कवकृ. 'गुडित्र गुडिज्जं - भ' (१२८७)
गुडदालिअ वि [दे] पिएडीकृत इकट्ठा किया (२,१२)।
गुडा स्त्री [गुडा ] १ हाथी का कवच । २ अश्व का कवच ( विपा १, २ ) । गुडिअ व [गुडित ] कवचित, वर्मित, कृतसंनाह (से १२, ७३ ८७ विपा १, २ ) । गुडिआ श्री [गुटिका ] गाली (गा १०७) । गुडीलडिओ श्री [हे] चुम्बन (दे २, ११) तंबू, गुड्डर न [दे] बीमा या सेमा, रो, डेरा -गृह (सिरि ४६२ ६४४) । गुण एक [ गुण] १ गिनना २ प्रावृति करना, याद करना । गुणइ (सूक्त ५१ हे ४, ४२२) (उर)। वह गुणमाण (उप ३१९) । गुण [गुण] उचारण (मनि २०) २ पुं । रसना, मेखला (आाचा २, २, १, ७) ।
शक्कर (हे १, २०२ प्रासू १५१) । २ एक प्रकार का कवच (राज)। सरथ न ["सार्थ] नगर - विशेष (प्राक ) ।
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गुंदवडय - गुण
गुणन [गुण] १ गुण, पर्याय, स्वभाव, धर्म (ठा ५, ३) । २ ज्ञान, सुख वगैरह एक ही साथ रहनेवाला धर्म (सम्म १०० १०९) । ३ ज्ञान, विनय, दान, शौर्य, सदाचार वगैरह दोष-प्रतिपक्षी पदार्थ (कुमा उत्त १६ श्रणु; ठा ४, ३ से १, ४) । ४ लाभ, फायदा 'विहवेहि गुणाईं मग्गंति' (हे १, ३४, सुपा १०३) । ५ प्रशस्तता, प्रशंसा (गाया १, १) । ६ रज्जू, डोरा, धागा ( से १, ४) । ७ व्याकरण- प्रसिद्ध ए, आ और प्रर् रूप स्वर -विकार (सुपा १०३) । ८ जैन गृहस्थ को पालने का विशेष व्रत (पंचव ३) । ε रूप, रस, गन्ध वगैरह द्रव्याश्रित धर्मः 'गुग-पच्चाखत्तरणश्रा गुरणीवि जाश्रो घडाव्व www (art, t; 2) to प्रत्यञ्चा, धनुष का रोदा (कुमा) । ११ कार्य, प्रयोजन ( भग २, १० ) । १२ अप्रधान, प्रमुख्य, गौण (हे १, ३४ ) । १३ अंश, विभाग (भर) । १४ उपकार, हित (पंचा ५) कर [क] १ लाम-कारक २ उपकार-कारक (पंचा)। कार [कार] गुणा करना, अभ्यास-राशि (सम १०) चंद
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["चन्द्र ] १ एक राजकुमार (भावम)। २ एक जैन मुनि और ग्रन्थकार । ३ श्रेष्ठिविशेष (राज) "ट्ठाण न ["स्थान] का स्वरूप-विशेष, मिध्यादृष्टि वगेरह यह गुण-स्थानक (कम्म ४ प १० ) । "ठि
[र्थिक ] गुण को प्रधान माननेवाला मत न-विशेष (सम्म १०७) ि [य] गुणी, गुरणवान् (सुर ३, २० १३०) । ण्ण, ण्णु, ग्न, भ्नु वि["श] गुरण का जानकार (गउड; उवर ८६; उप ५३०टी सुपा १२२) पुरिसपुं [पुरुष] गुणी पुरुष ( सू १, ४) मंत वि [वत् ] गुणी, गुण-युक्त (प्राचा २,१, ६) । रयणसंबच्चन ["रत्नसंवत्सर] तपश्चर्या-विशेष (भग) । व, वंत वि [वत् ] गुणी, गुरण-युक्त (श्रा ३६; उप ८७५) । व्वय न [ व्रत] जैन गृहस्थ को पालने योग्यत विशेष (पडि ) "सिलय न ["शिलक] राजगृह नगर का एक चैत्य (गाया १, १ ) 1 'सेfor [श्रेणि] कर्म-पुद्गलों की रचना
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