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पाइअसद्दमहण्णवो
चित्त-धे
घित्तण । देखो घि।
घि
देखो घि।
पित्त (अप) वि [क्षिप्त] फेंका हुआ, डाला घुणहुणिआ) स्त्री [दे] कर्णोपकणिका, घुरघुरि पुं[दे] मण्डूक, मेढक, भेक, बॅग हुआ (भवि)।
घुणाहुणी कानाकानी (दे २, ११ (दे २, १०६)। घित्तुमण वि [ग्रहीतुमनस् ] ग्रहण करने महा)।
घुरघुरु) देखो धुरुधुर। घुरुहुरइ (महा)। की इच्छावाला (सुपा २०६)।
घुणिय वि [घुणित] धुणों से विद्ध, घुना हुआ घुरुहुर वकृ.घुरघुरुमाण (महा)। (बृह १)।
घुल देखो घुम्म । घुलइ (हे ४, ११७)। घुण्ण देखो घुम्म । वकृ. घुग्णंत (नाट)। घुलिकि स्त्री [दे] हाथी की प्रावाज, करि-शब्द घिस सक [प्रस् ] असना, निगलना, भक्षण घुण्णिअ वि [घूर्णित] १ घुमा हुआ। २
(पिंग)। करना । घिसइ (हे ४, २०४)। भ्रान्त, भटका हुआ (दे ८, ४६)।
घुलघुल अक [घुलघुलाय ] 'घुल-घुल' घिसरा स्त्री [दे] मछली पकड़ने का जालघुत्तिअ वि [दे] गवेषित, अन्वेषित, खोजा
आवाज करना। वकृ. घुलघुलाअमाण (पि विशेष (विपा १, ८-पत्र ८५) ।
५५८)। हुआ (दे २,१०६)। घिसिअ वि [ग्रस्त] कवलित, निगला हुआ,
धुलिअ वि [घूर्णित] चक्राकार घुमा हुआ घुन्न । देखो घुम्म । घुमइ (पिंग)। वकृ. भक्षित (कुमा ७, ४६)।
(कुमा)। घुम घुन्नंत (पएह १, ३)। धुंघुरुड पुं [ दे] उत्कर, ढग, ढेर, समूह
घुल्ला स्त्री [द] कीट-विशेष, द्वीन्द्रिय जन्तु की (दे २, १०६)। घुमघुमिय वि [घुमधुमित] १ जिसने 'घुम
एक जाति (परण :)। घुट पु[६] घुट, एक बार पीने योग्य पानी ; घुम' आवाज किया हो वह । २ न. 'घुम-घुम
घुसण देखो घुसिण (कुमा)। ध्वनिः 'महुरगंभीरघुमघुमियवरमद्दल' (सुपा आदि (हे ४, ४२३)।
घुसल सक [मथ् ] मथना, विलोड़ना। घुग्घ । (प्रा) पुन [घुग्धिका] कपि-चेष्टा, ५०)।
घुसलइ (हे ४, १२१)। घुग्घिअ) बन्दर की चेष्टा (हे ४, ४२३; घुम्म अक [धुर्ण ] घूमना, चक्राकार फिरना।
घुसलिअ वि [मथित] मथित, विलोड़ित कुमा) । घुम्मइ ( हे ४, ११७ षड्) । वकृ. घुम्मत,
(कुमा)। घुग्घुच्छण न [दे] खेद, तकलीफ, परिश्रम
घुम्ममाण (हेका ३३; रणाया १, ६)। संकृ. |
घुसिण न [घुसण] कुंकुम, सुगन्धित द्रव्य(दे २, ११०)। घुम्मिऊण (महा)।
विशेष, केसर (हे १, १२८)। घुम्मण न [घूर्णन चक्राकार भ्रमण (कुमा)। घसिणल्ल वि घुिसृगवत् ] कुंकुमवाला, घुग्घुरि पुंदे] मण्डूक, भेक, मेढक (दे २, घुम्माविअ वि [घूर्णित धुमाया हुआ (वजा !
कुंकुम-युक्त (कुमा)। घुग्घुस्मुअ वि [दे] निःशंक होकर गया हुआ
१२२)।
घुसिणि वि [दे] गवेषित, अन्विट (दे २, (पड़)।
घुम्मिय वि [र्णित] घुमा हुआ, चक्र की १०६)। घुग्घुस्सुसय न [दे] साशंक वचन, आशंका- । तरह फिरा हुआ (सुपा ६४)।
घुसिम न [दे] घुसृण, कुंकुम (षड् )। युक्त वारणी (दे २, १०६)।
घुम्मिर वि [घूर्णित घूमनेवाला, फिरनेवाला, । घुसिरसार न [दे] अवस्नान, विवाह के अवघुघुघुघुघुघ अक [घुघुघुघाय] 'घुघु' | चक्राकार घूमनेवाला (उप पृ ६२ गा १८० सर में स्नान के पहले लगाया जाता मसूरादि आवाज करना, घूक या उल्लू का बोलना। गउड)।
का पिसान, उबटन (दे २, ११०)। वक्र. घुघुघुघुघुघेत (पउम १०५, ५६)
घुयग पुं[दे] एक तरह का पत्थर, जो पात्र घुसुल देखो घुसल । वकृ. घुसुलंत, घुसुलित घुघुय प्रक [घुघूय] ऊपर देखो। वकृ. | वगैरह को चिकना करने के लिए उस पर | (पिंड ५८७ ५७३)।
घुघुयंत (गाया १,८–पत्र १३३)IV घिसा जाता है, खराद या चरखी (पिंड)। घुसुलण न [मथन] विलोड़न (पिंड ६०२) । घुट्टग पुं[घृष्ट क] लिपे हुए पात्र को घिसने
घुरहुर देखो घुरघुर। वकृ. घुरहुरंत (श्रा घूअ पुंस्त्री [घूक] उलूक, उल्लू, पक्षि विशेष का पत्थर (पिंड १५)। १२)।
(णाया १, ८ पउम १०५, ५६)। स्त्री. घूई घुघुणिअ न [दे] पहाड़ की बड़ी शिला घुरुक अक [दे] घुरकना, घुड़कना, गरजना।। (विपा १,३) रि पुं[रि] काक, कौमा, (दे २, ११०) _ 'घुरुकंति वग्धा' (महा)।
वायस (तंदु)। घुट्ठ वि [घुष्ट] घोषित, ऊंची आवाज से
स घुरुकार पुं [घुरुत्कार] सूपर आदि की घूणाग पुं[घूणाक] स्वनाम-ख्यात सन्निवेशजाहिर किया हुआ (पउन २,११६, भाव)। मावाज (किरात)।
विशेष, ग्राम-विशेष (माचू १)। धुडुक प्रक [गर्ज ] गरजना, गर्जारव
घुरुधुर प्रक [घुरघुराय ] घुरघुराना, 'घुर- घूरा स्त्री [दे] १ जंघा, जाँघ । २ खलका, करना । धुडकइ (हे ४, ३६५)।
घुर' आवाज करना, व्याघ्र वगैरह का बोलना। शरीर का अवयव विशेषः 'गद्दभारण वा घूरामो घुण पुं[घुण] काष्ठ-भक्षक कीट, घुन (ठा घुरुधुरंति (पि ५५८)। वकृ. घुरघुरायंत कप्पेति' (सूम २, २, ४५)। . ४१. विसे १५३६)। (सुपा ५०५)।
घे देखो गह = ग्रह । घेइ ( षड्)। भवि..
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