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(आवम)।
गंतव्व देखो गम = गम् ।
गंड-ध पाइअसहमहण्णवो
२८३ गंड न [गण्ड] दोष, नाग (सूम १,६ गंडुअन गण्डु] प्रोसीसा, सिरहाना (महा)। गंथि वि [प्रन्थिन] रचना-कर्ता (सम्मत्त १६)। 'माणिया स्त्री [मानिका] पात्र-गंडअन [गण्डत् ] तुण-विशेष (दे २, १३६) । विशेष (राय १४०) 'विइवाय पुं[व्यति- ५)।
गंथि देखो गंठि (पण्ह १, ३-पत्र ४४) । पात] ज्योतिष-शान-प्रसिद्ध एक योग (संबोध गंडल गण्डोल] कृमि-विशेष, जो पेट में | गंथिम देखो गंठिम (णाया १, १३)। ५४)।
पैदा होता है (जी १५)।
| गंदिला स्त्री [गन्दिला] देखो गंधिल (इक)। गंडइया स्त्री [गण्डकिका] नदी-विशेष गंडुवहाण न [गण्डोपधान] गाल का तकिया
गंदोणी स्त्री [दे] क्रीड़ा-विशेष, जिसमें प्रख
बंद की जाती है, आँख-मिचौनी (द २,८३)। गंडय पुं[गण्डक] १ गेंडा, जानवर-विशेष
(पव ८४)। (पानः दे ७, ५७)। २ उद्घोषणा करने- गंडूपय पु[गण्डूपद] जन्तु-विशेष (राज)। गंदुअ देखो गेंदुअ (षड् )। वाला पुरुष, टेर लगानेवाला पुरुष (प्रोध | गंडूल देखो गंडुल (पएह १, १-पत्र २३)।
मंडल देखोगंडल (पण्ड १.१-पत्र २३)। गंध पुं[गन्ध] १ गन्ध, नासिका से ग्रहण ६४४)।
करने योग्य पदार्थों की वास, महक (औप; , गंडूस पुं [गण्डूष] पानी का कुल्ला (गा गंडली स्त्री [दे] गडेरी, ऊख का टुकड़ा (उप | | २७०; सुपा ४४६), 'बहुमइरागंडूसपाणं"
भग; हे १, १७७)। २ लव, लेश (से ६, पृ१०६)।
३)। ३ चूर्ण-विशेष (पएह १,१)। ४ (उप ६८६ टी)। गंडा देखो गंठि = ग्रन्थि (प्राकृ १८)।
वानव्यन्तर देवों की एक जाति (इक)। ५ गंडूस [गण्डूष] पानी का कुल्ला (सूअनि
न. देव-विमान-विशेष (निर १, ४)। ६ वि. गंडाग पुं [गण्डक] नाई, हजाम (प्राचा
गन्धयुक्त पदार्थ (सूम १, ६)। उडी स्त्री २, १, २, २)। गंत देखो गा।
["कुटी] गन्ध-द्रव्य का घर (गउड; हे १, गंडि पुं [गण्डि] जन्तु-विशेष (उत्त १)।
८)। कासाइया स्त्री [ काषायिका] गंडि वि [गण्डिन्] १ गण्डमाला का रोग- गंता ।
सुगन्धि कषाय रंग की साड़ी (उवाः भग ६, वाला (प्राचा)। २ गण्ड रोगवाला (पराह गंतिय न [गन्तुक तृण-विशेष (पएण १- ३३)। गुण पुं [गुण] गन्धरूप गुण पत्र ३३)।
(भग)। "ट्टय न [ट्टक] गन्ध-द्रव्य का गंडिया स्त्री [गण्डिका १ गँडेरी, ऊख का | गंती स्त्री [गन्त्री गाड़ी, शकट (धम्म १२ चूर्ण (ठा ३, १-पत्र ११७) 'ड्ढ़ वि टुकड़ा (महा) । २ सोनार का एक उपकरण टी सुपा २७७)।
[ढथ] गन्धपूर्ण, सुगन्धपूर्ण (पंचा २)। (ठा ४, ४) । ३ एक अर्थ के अधिकारवाली गंतुं देखो गम = गम् ।
"णाम न [नामन् गन्ध का हेतुभूत कर्मग्रन्थ-पद्धति (सम १२६)। गंतुंपञ्चागया स्त्री [गत्वाप्रत्यागता] भिक्षा
विशेष (अणु) । तेल्ल न ["तैल] सुगन्धित गंडिल देखो गंधिल (इक)।
तैल (कप्पू)। दव्व न ["द्रव्य सुगन्धित चर्या-विशेष, जैन मुनियों की भिक्षा का एक गंडिलावई देखो गंधिलावई (इक)।
वस्तु, सुवासित द्रव्य (उत्त १)। "देवी स्त्री प्रकार (ठा ६)।
["देवी] देवी-विशेष, सौधर्म देवलोक की गंडी स्त्री [गण्डी] १ सोनार का एक उपकरण गंतुकाम वि [गन्तुकाम] जाने की इच्छा एक देवी (निर १, ४)। "द्धणि स्त्री (ठा ४, ४-पत्र २७१) । २ कमल की वाला (श्रा १४)।
[ध्राणि] गन्ध तृप्ति (णाया १, १-पत्र कणिका (उत्त ३६)। तिंदुगन [तिन्दुक]
गंतुमण वि [गन्तुमनस् ] ऊपर देखो २५; औप)। 'नाम देखो °णाम (सम यक्ष-विशेष (ती ३८)। पय पुं[पद] (वसु) ।।
६७)। मय पुं[मृग] कस्तूरी मृग, हाथी वगैरह चतुष्पद जानवर (ठा ४, ४)। गंतूण)
कस्तुरिया हरिन (सुपा २)। "मंत वि पोत्थय पुंन [ पुस्तक] पुस्तक-विशेष (ठा | गंतूणं । देखा
[वत्] १ सुगन्धित, सुगन्ध-युक्त । २ ४, २)। गंथ देखो गंठ-ग्रन्थ । गंथइ (पि ३३३) ।
अतिशय गन्धवाला, विशेष गन्ध से युक्त गंडीरी स्त्री [दे] गण्डेरी, ऊख का टुकड़ा | कर्म. गंथीति (पि ५४८)।
(ठा ५, ३–पत्र ३३३) । मादण, (दे २, ८२)।
गंथ पुं[ग्रन्थ १ शास्त्र, सूत्र, पुस्तक (विसे 'मायण ["मादन] १ पर्वत-विशेष, इस मंडीव न [गाण्डीव] १ अर्जुन का धनुष ८६४; १३८३) । २ धन-धान्य वगैरह बाह्य नाम का एक पहाड़ (सम १०३; पएह २, (बेणी ११२)।
मिथ्यात्व, क्रोध, मान आदि माभ्यन्तर उपधि, २ठा २,३–पत्र ६६)। २ पुंन. पवंतगंडीव न [दे. गाण्डीव धनुष, कामुक (दे। परिग्रह (ठा २, १७ बृद्ध १ विसे २५७३)। विशेष का एक शिखर (ठा २, ३-पत्र २,८४ महा पात्र)।
३ धन, पैसा (स २३६) । ४स्वजन, संबन्धी ८०)। ३ न. नगर-विशेष (इक)। 'बई गंडीवि पुगाण्डीविन अर्जुन, मध्यम लोग (पएह २, ४)। ईअ पुं [तीत] स्त्री [वती] भूतानन्द-नामक नागेन्द्र का पाण्डव (वणी ५८)। जैन साधु (सूम १,६)।
आवास-स्थान (दीव)। वट्टय न [वर्तक]
गंतूणदेखो गम = गम् ।
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