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कोटू - कोणालग
[कोष्ठ ] १ धारणा, अवधारित अर्थ का कालान्तर में स्मरण योग्य श्रवस्थान (दि १७६) । २ सुगन्धी द्रव्य-विशेष ( राय ३४) ।
कोट्ट | देखो कुटु = कोष्ठ (गाया १, १ ठा कोग ३, १ पान ) । ३ श्राश्रय-विशेष, कोय धावास विशेष (घोष २०० व १) । ४ अपवरक, कोठरी (दस ५, १ उप ४८६५वशेष (खाया २ १) । गार न [गार] धान्य भरने का घर
२ भाण्डागार,
भंडार
( श्रपः कप्प ) । ( पाया १, १ ) ।
कोहार न [कोठागार] भारवागार, भंडार ( पउम २, ३ ) । को वि[]] रोगी (आवा) । कोट्ठिया श्री [कोष्ठिका] छोटा कोह, लघु गुल (उमा)।
कोट्टु पुं [क्रोष्टृ] शृगाल, सियार ( षड् ) । फोड देखो कोदंड (२५१) । कोडंडिय देखो को दंडिय (कप्प ) ।
कोडंयन [दे] कार्य, काम, काज (दे, २) कोड [दे] देखो कोडिअ ( पाच ) । कोडर न [कोटर ] गह्वर, वृक्ष का पोल भाग, विवर ( गां ५६२) । कोडल [फोटर] पक्षिविशेष (राज)। कोडा कोडि स्त्री [कोटाकोटि ] संख्या - विशेष, करोड़ को करोड़ने पर जो संख्या लब्ध हो वह (सम १०५० कप्पा उव) । कोडाल पुं [कोडाल] १ गोत्र - विशेष का प्रवर्तक पुरुष । २ न. गोत्र - विशेष ( कप्प ) । कोडि स्त्री [कोटि] १ धनुष का अग्र भाग (राय ११३२ मेद, प्रकार (२१५)। कोडि स्त्री [कोटि] १ संख्या विशेष, करोड़, १००००००० (गाया १, ८ सुर १, ६७; ४, ६१ ) । २ अग्र भाग, अरणी, नोक (से १२, २६ पान ) । ३ अंश, विभाग, भागः 'नथिक्कसो पएसो लोए वालग्गकोडिमित्तोवि' ( प ३९ ठा १) "कोडि देखी कोठा कोड ( सुपा २६९ ) । बद्ध वि [बद्ध ] करोड़ संख्यावाला (वव ३ ) । भूमि स्त्री ['भूमि] एक जैन तीर्थं (ती ४३) । सिला श्री ["शिला] एक
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पाइसमण्णवो
२) सो [ "शस ] करोड़ों, अनेक करोड़ (सुपा ४२० ) । देखो कोडी । कोडिअ न [दे] १ छोटा मिट्टी का पात्र, लघु सराव, सकोरा (दे २,४७ ) । १ पुं. पिशुन, दुर्जन, चुगलखोर ( षड् ) ।
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कोडिअ
[कोटिक] एक ( कप्प ) । २ एक जैन मुनि गए ठा)।
कोडिअ वि [कोटित ] संकोचित ( धर्मसं ३८)।
कोडिण न [ कौडिन्य ] १ इस नाम का कोडिन्न ) एक नगर (उप ६४८ टी) । २ वाशिष्ठ गोत्र की शाखा रूप एक गोत्र (कप्प ) । ३ पुं. कौडिन्य गोत्र का प्रवर्तक पुरुष । ४ वि. कौडिन्य गोत्रीय (ठा ७ – पत्र ३१० कप्प ) । ५ पुं. एक मुनि, जो शिवभूति का शिष्य था (विये २५५२) ६ महागिरिसूरि का शिष्य एक जैन मुनि (प) ७ गोतम स्वामी के पास दीक्षा लेनेवाले पाँच सौ तापसों का गुरू (उप १४२ टी) । स्त्री
।
बोडिना [कण्डिया] श्रीडिय-गोपीय
नि
(कप्प,
श्री (प)।
कोडिल्ल पु ं [दे] पिशुन, दुर्जन, चुगलखोर (३२, ४० षद्) । कोडिल्ल देखो कोट्टिल्ल (राज)। फोडिल [कौटिल्य] इस नाम का एक (१) कोडिल्लय न [कोटिल्यक] चाणक्य-प्रणीत
नीति शास्त्र (प्र) ।
कोडिसाहिय न [कोटिसहित ] प्रत्याख्यान विशेष, पहले दिन उपवास करके दूसरे दिन भी उपवास की ली जाती प्रतिज्ञा ( पव ४) । कोडी देखो कोडि ( उव; ठा ३, १६ जी ३७) । करण न [करण ] विभाग, भजन (१०७)। णार न [नार] इस नाम का सोरठ देश का एक नगर ( ती ५६) । मातसा स्त्री ["मातसा] गान्धार ग्राम की एक मूच्र्छना (ठा ७-पत्र ३६३) । " वरिस न ["वर्ष] साठ देश की राजधानी, नगर-विशेष (एक पत्र १७४ ) बरिसिया स्त्री [वर्षिका ] जैन गुलि-गरा की एक
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शाखा (कप्प ) । सर [श्वर] करोड़ पति नोटीस (गुदा ३) ।
कोडीण न [कोडीन ] १ इस नाम का एक गोत्र, जो कौत्स गोत्र की एक शाखा रूप है । २ वि. इस गोत्र में उत्पन्न (ठा ७ – पत्र ३६० ) ।
कोडुंब न [दे] कार्य, काज (दे २, २) । फोर्डबि देखो कुदुबि (६, १ १२५) । कोटुंबिय
[कौटुम्बि] कुटुम्ब का
स्वामी, परिवार का स्वामी, परिवार का मुखिया ( भग ) । २ ग्राम प्रधान, गाँव का श्रादमी (पराह १, ५ – पत्र ε४) । ३ वि. कुटुम्ब में उत्पन्न कुटुम्ब से सम्बन्ध रखनेवाला मुटु-एम्बन्धी (महा जीव ३)। कोडूसग पुं [कोदूषक ] अन्न- विशेष, कोदों की एक जाति (राज) । कोड [दे] देखो कुड्डू (द २, ३३ स ६४१; (दे ६४२ हे ४, ४२२; गाया १, १६ – पत्र २२४ उप ८१२ भवि ) ।
कोडम देखो कोम (कुमा)। कोडमिन [र] रति--विशेष कोड्डिय वि [दे] कुतुहली, कौतुकी, विनोद
शील, उत्कण्ठित ( उप ७६८ टी ) । कोड्ढ ) पुं [कुष्ठि ] रोग-विशेष, रोग-विशेष कुश-रोग कोढ े पि ६६: गाया १, १३; श्रा २० ) । कोटिवि [कुष्ठिन] कु
रोगी (बाचा)
कोठिक ? वि [ कुष्ठिक ] कुष्ठरोगी, कुष्ठकोढिय ) ग्रस्त ( परह २. ५ विपा १, ७) । कोण वि [दे] १ काला, श्याम वर्णवाला (दे २, ४५) । २ पुं. लकुट, लकड़ी, यष्टि (दे २, ४२१ पास ३ मीणा बगैरह बजाने की लकड़ी, वीणा वादन- दण्ड ( जीव ३) ।
कोण । पुंन [कोण] कोन, अस्त्र, घर का कोणग एक भाग (गड दे २, ४२)। } कोणव पुं [कौ गप] राक्षस, पिशाच ( पाच ) । कोणायल पुं [कोणाचल ] भगवान् शान्तिनाथ के प्रथम श्रावक का नाम ( विचार १०८) ।
कोणाला [कोनाक] जलचर पक्षि-विशेष ( परह १, १ ) ।
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