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पाइअसहमहण्णवो
कोंड-कोट्ट कोंड पुं [कौण्ड, गौड] देश-विशेष (इक)। कोक्किय वि [व्याहृत] आहूत, बुलाया हुआ कोट्टंतिया स्त्री [कुट्टयन्तिका] तिल वगैरह कोंडल देखो कुंडल (राज)। "मेत्तग पुं (भवि)।
को चूरने का उपकरण (णाया १, ७–पत्र ["मित्रक] एक व्यन्तर देव का नाम (बृह | कोक्कुइय देखो कक्कुइअ (कसः प्रौप)। ११७) ।
कोखुब्भ देखो खोखुब्भ वकृ. कोखुन्भमाण कोट्टकिरिया स्त्री [कोट्टक्रिया] देवी-विशेष, कोंडलग पुं[कुण्डलक] पक्षि विशेष (प्रौप)। (पि ३१६)।
दुर्गा प्रादि रुद्र रूपवाली देवी (अणु २५) । कोंडलिआ स्त्री [दे]१ श्वापद जन्त-विशेष, । काञ्चप्पन द] अलकिनहत, भूठा भलाइ, कोण देखो कटण (उप १७६: पराड १.१)। साही, श्वावित् । २ क्रीड़ा, कीट (दे २,५०)। दिखावटी हित (दे २, ४६)।
कोटर देखो कोडर (महा. हे ४, ४२२; गा कोंडिअ [दे] ग्राम-निवासी लोगों में फूट | कोच्चिय पुंस्त्री [दे] शैक्षक, नया शिष्य (वव
५६३ अ)। कराकर छल से गाँव का मालिक बन बैठनेवाला (दे २, ४८)।
| कोच्छ न [कौत्स] १ गोत्र-विशेष । २ पुंसी. कावार पुकावार] इस नाम का एक कोंडिणपुर न [कौण्डिनपुर] नगर-विशेष
| कौत्स गोत्र में उत्पन्न (ठा ७-पत्र ३६०)। मुनि, आचाय शिवभूति का एक शिष्य (विस (रुक्मि ५१)।
कोच्छ वि [कौक्ष] १ कुक्षि सम्बन्धी, उदर से २५५२)। कोंडिया देखो कुंडिया (पएह २, ५)। सम्बन्ध रखनेवाला । २ न. उदरप्रदेश कोट्टा स्त्री [दे] १ गौरी, पार्वती (दे २, कोंडिण्ण देखो कोडिन्न (राज)।
'गणियायारकरणेरुकात्थ (? च्छ) हत्थी' (णाया ३५–१, १७४)। २ गला, गर्दन (उप कोंढ देखो कुंढ (हे १, ११६) । १, १-पत्र ६४)।
६६१)। कोंदुल्लु पुंदे] उलूक, उल्लू, पक्षि-विशेष कोच्छभास पुंदे. कुत्सभाष] काक, कोट्टाग पुं [कोट्टाक] १ वर्धकि, बढ़ई (दे २, ४६)।
कौमा, वायसः 'न मणी सयसाहस्सो प्रावि- | (प्राचा २, १;२)। २ न. हरे फलों को कोत देखो कुत (पएह १, १ सुर २, २८)। ज्झइ कोच्छभासस्स (उव)।
सुखाने का स्थान-विशेष (बृह १)। कोतल देखो कुंतल = कुन्तल (प्राकृ ६. | कोच्छेअय देखो कुच्छेअय (हे १, १६१ कोट्रिब पुंदे] द्रोणी, नौका, जहाज (दे संक्षि ४)। कुमाः षड्)।
२, ४७)। कोंती देखो कंती (णाया १, १६-पत्र | कोज देखो कुज्ज (कप्प)।
कोट्टिम पुन [कुट्टिम] १ रत्नमय भूमि कोजप्प न [दे] स्त्री-रहस्य (दे २, ४६)। (णाया १, २)। २ फरस-बंध जमीन, बँधी कोंभी देखो कुभी (प्राकृ ६)।
कोजय देखो कुजय (णाया १, ८–पत्र हुई जमीन (जं १)। ३ भूमि-तल (सुर ३, कोक पुं [कोक] १ चक्रवाक पक्षी (दे ८, १२५)।
१००)। ४ एक या अनेक तलावाला घर ४३)। २ वृक, भेड़िया (इक)।
कोजरिअ वि [दे प्रापूरित, पूर्ण किया हुआ, (वव ४)। ५ झोंपड़ी, मढ़ी। ६ रत्न की कोकंतिय पुंस्त्री [दे] जन्तु-विशेष, लोमड़ी, |
खान । ७ अनार का पेड़ (हे १, ११६; लोखरिया (पराह १, १)। स्त्री. या (गाया | कोज्झरिअ वि [दे] ऊपर देखो (दे २, प्राप्र)। १, १-पत्र ६५)। ५०)।
कोट्टिम वि [ कृत्रिम ] बनावटी, बनाया कोकणद देखो कोकणय (संबोध ४७)। कोटर देखो कोट्टर (चेइय १५१)।
हुआ, अकुदरती (पउम ६६, ३६)। कोकणय न [कोकनद] १ रक्त कुमुद । २ |
कोर्टिब पुं[दे] गौ (निशीथ ३५६५ गा०)।। कोट्टिल) [कौट्टिक] मुग्दर, मुगरी, मुगरा, लाल कमल (पएण १; स्वप्न ७२)। कोटुंभ पुंन दे हाथ से आहत जल, 'कोटु भो।
कोट्टिल्ल जोड़ी (राज; विपा १,६-पत्र ६६; कोकासिय [दे] देखो कोक्कासिय (पएह
जलकरप्फालो (पास) । देखो कोट् टुंभ। १, ४-पत्र ७८)।
कोट्टी स्त्री [दे] १ दोह, दोहन । २ विषम कोकुइय देखो कुक्कुइअ (ठा ६-पत्र ३७१)। | कोटीवरिस प्र[कोटीवर्ष] लाट देश की
स्खलना (दे २, ६४)। कोक सक [व्या + हृ.] बुलाना, आह्वान
प्राचीन राजधानी (विचार ४६)।
कोटुंभ पुंन [दे] हाथ से आहत जल, करना । कोक्कइ (हे १, ७६; षड् ) । वकृ. | कोट्ट देखो कुट्ट = कुट्ट । कवकृ. कोट्टिजमाण कोट कोकंत (कूमा)। संकृ. कोक्किवि (भवि)। (प्रावम) । संकृ. कोट्टिय (जीव ३)। कोट टुम अकरम1 क्रीड़ा करना, रमण प्रयो. कोक्कावइ (भवि)।
कोट्ट न [दे] १ नगर, शहर (दे २, ४५)। करना । कोट् टु मइ (हे ४, १६८)। कोकास पुं [कोकास] इस नाम का एक २ कोट, किला, दुर्ग (णाया १, ८-पत्र कोट्टुवाणी स्त्री [क्रोटुवाणी] जैन मुनिवर्षकि, बढ़ई (प्राचू १)।
१३४, उत्त ३० बृह १, सुपा ११८)। गण की एक शाखा (कप्प)। कोक्कासिय [दे] देखो कोआसिअ (दे २, 'वाल गु[°पाल] कोटवाल, नगर-रक्षक को? देखो कुट्ठ = कुष्ठ (भग १६, ६; णाया
(सुपा ४१३)।
। १, १७)।
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