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२६६ पाइअसहमहण्णवो
कोस-कोहंड कोस पुं[कोश, प] १ खजाना, भण्डार अयोध्या नगरी (पउम २०, २८)। २ १५६)। १५ इस नाम का एक तापस (णाया १, १३१, पउम ५, २४)। २ अयोध्या-प्रान्त, कोसल देश (भग ७, ६)। । (भवि) । १६ पुंस्त्री. कौशिक गोत्र में उत्पन्न, तलवार की म्यान (सूप १,६) । ३ कुड्मल; कोसलिअ वि [कौशलिका१ कोसल देश कौशिक-गोत्रीय (ठा ७-पत्र ३६०)। १७ 'कमलकोसव' (कुमा) । ४ मुकुल, में उत्पन्न, कोसल देश-सम्बन्धी (भग २०, स्त्री. कोसिई (मा १६) । कली (गउड) । ५ गोल, वृत्ताकारः 'ता मुह- ८)। २ अयोध्या में उत्पन्न, अयोध्या संबन्धी कोसिया स्त्री [कोशिका] १ भारतवर्ष की मेलियकरकोसपिहियपसरंतदंतकरपसर' (सुपा (जं २)।
एक नदी (कस) । २ इस नाम की एक विद्या२७; गउड) । ६ दिव्य-भेद, तप्त लोहे कोसलिअ न [दे. कौरालिक] प्राभूत, भेंट, धर-राज-कन्या (पउम ७, ५४)। ३ चमड़े का स्पर्श वगैरह शपथः 'एत्थ अम्हे | उपहार (दे २, १२; सण सुपा-प्रस्तावना का जूताः ‘कोसियमालाभूसियसिरोहरो विगयकोसविसएहि पच्चाएमो' (स ३२४)। ७
वसरणो य (स २२३)। देखो कोसी। अभिधान-शास्त्र, शब्दार्थ-निरूपक ग्रन्थ. जैसा कोसलिआ स्त्री [दे. कोशलिका ] ऊपर
कोसियार पुं [कोशिकार १ कीट-विशेष, प्रस्तुत पुस्तक । ८ पुन. पानपात्र, चषक देखो (दे २, १२, सुपा-प्रस्तावना ५)।
रेशम का कीड़ा (पराह १, ३)। २ न. (पान)। ८ न. नगर विशेष: 'कोसं नाम कोसल्ल न [कौशल्य] निपुणता, चतुराई
रेशमी वस्त्र (ठा ५, ३)। नयर' (स १३३)। पाण न [पान] (कुमाः सुपा १६ सुर १०;८०)।
कोसी स्त्री [कोशी] १ शिम्वी, छोमी, फली सौगंध, शपथ (गा ४४८)। हिव पुं कोसल्ल न [दे] प्राभृत, भेंट, उपहारः 'तं [धिप] खजानची, भंडारी (सुपा ७३)।
(पान)। २ तलवार को म्यान (सूत्र २, १, पुरजरणकोसल्लं नरवइणा अप्पियं कुमारस्स कोसंब पुं [कोशाम्र ] फल-वृक्ष-विशेष (महा)।
कोसी स्त्री [कोशी] देखो कोसिया (ठा ५, ( परण १-पत्र ३१)। गंडिया स्त्री कोसल्लया स्त्री [कौशल्य] निपुणता, चतुराई;
३–पत्र ३५१)। २ गोलाकार एक वस्तु [गण्डिका] खड्ग-विशेष, एक प्रकार की 'तह मज्झनीइकोसल्लया य खीणच्चिय
'कंचणकोसोपविट्ठदंताणं' (प्रौप)। तलवार (राज)। इयारिंग' (सुपा ६०३)।
कोसुंभ वि [कौसुम्भ] कुसुंभ-सम्बन्धी (रंग) कोसंबिया स्त्री [कौशाम्बिका] जैनमुनि- | कोसल्ला स्त्री [कौशल्या] दाशरथि राम की
(सिरि १०५७)। गण की एक शाखा (कप्प)। माता (अ पृ ३७४)।
कोसुम वि [कौसुम] फूल सम्बन्धी, फूल का कोसंबी स्त्री [कौशाम्बी] वत्स देश की मुख्य- कोसल्लिअ न [दे. कौशलिक] भेंट, उपहार
बना हुआ 'कोसुमा बाणा' (गउड)। नगरी (ठा १० विपा १,५)।
(दे २, १२; महाः सुपा ४१३, ५२७; कोसग [कोशक] साधुओं का एक चर्म
कोसुम्ह देखो कुसुंभ (संक्षि ४)। सरण)।
कोसा स्त्री [कोशा] इस नाम को एक प्रसिद्ध मय उपकरण, चमड़े की एक प्रकार की थैली
| कोसेअ । न [ कौशेय] १ रेशमी वस्त्र, वेश्या, जिसके यहाँ जैन महर्षि श्रीस्थूलभद्र
कोसेज । रेशमी कपड़ा (दे २, ३३; सम (धर्म ३)। मुनि ने निर्विकार भाव से चातुर्मास (चौमासा)
१५३; परह १, ४) । २ तसर का बना कोसट्टइरिआ स्त्री [दे] चण्डी, पार्वती, गौरी, किया था (विवे ३३)।
हुआ वस्त्र (जीव ३)। शिव-पत्नी (दे २, ३५)। कोसिण वि [कोष्ण] थोड़ा गरम (नाट
कोह पुं[क्रोध] गुस्सा, कोप (अोघ २ भाः कोसय न [दे कोशक] लघु शराव, छोटा वेणी)।
ठा ४,१)। "मुंड वि [मुण्ड] क्रोधपान पात्र (दे २, ४७ पात्र)। कोसिय न [कौशिक १ मनुष्य का गोत्र
रहित (ठा ५, ३)। कोसल न [कोशल] कुशलता, निपुणता,
विशेष (अभि ४१; ठा ३६०)। २ बीसवें कोह पुं[कोथ सड़ना, शीर्णता (भग ३, ६)। चातुरी (कुमा)।
नक्षत्र का गोत्र (चंद १०)। ३ पुं. उलूक, कोह पु [दे कोथ] कोथली, थैला (विसे कोसल न [दे] नीवी, नारा, इजारबन्द (दे घूक, उल्लू (पायः साधं ५६)। ४ साप- ___२६८८)। २, ३८)।
विशेष, चण्डकोशिक-नामक दृष्टि-विष सर्प, कोह वि [कोधवत् ] क्रोध-युक्त, कोप-सहित कोसल । [कोसल क] १ देश-विशेष जिसको भगवान् श्रीमहावीर ने प्रबोधित 'कोहाए माणाए मायाए लोभाए.''पासायकोमलग (कुमाः महा) । २ एक जैन महर्षि,
किया था (आवम)। ५ वृक्ष-विशेष । '६ गाए' (पडि)। सुकोसल मुनि (पउम २२, ४४)। ३ कोसल
इन्द्र । ७ नकुल । ८ कोशाध्यक्ष, खजानची कोहंगक पु[कोभङ्गक] पक्षि-विशेष (प्रौप)। देश का राजा। ४ वि. कोशल देश में उत्पन्न
६ प्रीति, अनुराग । १० इस नाम का एक | कोहंमाण न [क्रोधध्यान] क्रोघ-युक्त चिन्तन (ठा ५, २)। ५ °पुर न [पुर] अयोध्या
राजा। ११ इस नाम का एक असुर । १२ (भाउ ११)। नगरी (प्राक १)।
सर्प को पकड़नेवाला, सपेरा, गारुड़िक । १३ कोहंड न [कूष्माण्ड] १ कुष्माण्डी-फल, कोसला स्त्री [कोसला] १ नगरी-विशेष, अस्थिसार, मज्जा। १४ शृंगाररस (हे १, । कोहँडा (पि ७६, ८६, १२७)। २ न.
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