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पाइअसहमहण्णवो
इकार-इट्टा
इक्कार देखो एकारह (कम्म ६, ६९)। इगयाल स्त्रीन [एकचत्वारिंशत् ] एकचालीस, प्रत्यासक्ति, प्रबल इच्छा (पएह १, ३)। 'लोभ इकिक वि [एकैक] प्रत्येक (जी ३३, प्रासू | ४१ (कम्म ६, ५६)।
[लोभ] प्रबल लोभ (ठा ६)। लोभिय ११८ सुर ८, ४२) ।
इगवीसइम वि [एकविंश] एक्कीसवाँ (पव वि [ लोभिक] महालोभी (ठा ६)। 'लोल इकिल्ल स्त्रीन [एकचत्वारिंशत् ] एकचालीस,
पुं['लोल] १ महान् लोभ । २ वि. महा४१ (कम्म ६,५६)
इगुचाल वि [एकचत्वारिंशत् ] संख्या-| लोभी (बह ६) इक्कुस न [दे] नीलोत्पल, कमल (दे १, विशेष, ४१-चालीस और एक (भगः पि इच्छा स्त्री [दित्सा] देने की इच्छा (भाव)।
इच्छिय [इष्ट] इष्ट, अभिलषित, वाञ्छित (सुर ७६)
इगुणवीस वि [एकोनविंश] उनीसा (पव ४, १५३) इक्ख सक [ ईक्ष ] देखना । इक्खइ (उव)।
इच्छिय वि [ईप्सित प्राप्त करने को चाहा इक्ख (सून १, २, १, २१)।
इगुणीस स्त्री [एकोनविंशति] उन्नीस (पव हुमा, मभिलषित (भगः सुपा ६२५) । इक्खअ वि [ईक्षक] देखनेवाला (गा ५५७) इगुवीस १८ कम्म ६, ५९)TV
इच्छिय वि [इच्छित] जिसकी इच्छा की गई इक्खण न ईक्षण अवलोकन, प्रेक्षण (पउम इगुसहि स्त्री [एकोनषष्टि] उनसठ (कम्म ६, | इगुसाहनाएकानाष्टक
हो वह (भग) Iv इक्खाउ देखो इक्खागु (विक ६४)। | इग्ग वि [दे] भीत, डरा हुमा (दे १, ७६)।|
इच्छिर वि [ एषित] इच्छा करनेवाला इग्ग देखो एक (नाट)। इक्खाग वि [ऐक्ष्वाक] इक्ष्वाकु नामक प्रसिद्ध |
(कुमा)। क्षत्रियवंश में उत्पन्न (तित्थ)।
इच्छु देखो इक्खु (कुमाः प्रासू ३३)।" इग्घिअ वि [दे] भत्सित, तिरस्कृत (दे १, ८०)
इच्छु वि [इच्छु] अभिलाषी (गा ७४०)। इक्खाग। [इक्ष्वाकु] १ एक प्रसिद्ध क्षत्रिय इच्छा देखो इ सक ।
इज्ज सक [आ + इ] माना, मागमन करना। इक्खागु राजवंश, भगवान ऋषभदेव का इचाइ पुन [इत्यादि] वगैरह, प्रभृति (जी ३)।
वकृ. इज्जत, वैश। २ उस वंश में उत्पन्न (भग ९, ३३; इथेवं प्र[इत्येवम् ] इस प्रकार, इस माफिक
'विणयम्मि जो उवाएणं, चोइभो कुप्पई नरो। कप्पा प्रौपः प्रजि १३)। ३ कोशल देश (खाया (सूम १, ३)।
दिव्वं सो सिरिमिजति, दंडेण पडिसेहए। १,८)। भूमि स्त्री [भूमि अयोध्या नगरी इच्छ सक[इष] इच्छा करना, चाहना ।
(दस ६, २, ४)। (प्राव २)
इच्छइ (उवः महा) । वकृ. इच्छंत, इच्छ- इज्ज पुन [इज्या] यज्ञ, यागः "भिक्खट्ठा बंभइक्खु पुं[इक्षु] १ ईख, ऊख (हे २, १७ माण (उत्त १; पंचा ५)।
इबमि' (उत्त १२, ३)11 पि ११७)। २ धान्य-विशेष, 'बरट्टिका' नाम
इच्छ सक[आप+स् - ईप्स् ] प्राप्त करने काधान्य (श्रा १८)। गंडियात्री [गण्डिका]
इना स्त्री [इज्या] १ याग, पूजा। २ ब्राह्मणों को चाहना । कृ. इच्छियव्व (वव १)। गंडेरी, ईख का टुकड़ा (माचा)। घर न
का सन्ध्यार्चन (अणु ठा १०)। इच्छकार देखो इच्छा-कार (पडि)v [गृह उद्यान-विशेष (विसे)। चोयग न
... इज्जा स्त्री [दे] माता, जननी (अणु)।
इच्छक्कार [इच्छाकार] 'इच्छा' शब्द (पंचा| [दे] ईख का कुचा (प्राचा)। डालग न
१२, ४) V
इजिसिय वि [इज्यैषिक] पूजा का मभिलाषी ["दे] १ ईख की शाखा का एक भाग (प्राचा)। इच्छा स्त्री [इच्छा] पक्ष की ग्यारहवीं रात्रि,
(भग ९, ३३)। २ ईख का छेद (निचू १)। पेसिया स्त्री
'जयति-अपराजिया य ग(? इच्छा (मुख इज्मा मक[इन्ध् ] चमकना (हे २, २८)। [पेशिका] गए डेरी (निचू १६)। भिति
वकृ. इज्ममाण (राय)। स्त्री [दे] ईख का टुकड़ा (निचू १६)। मेरग
इच्छा स्त्री [इच्छा] प्रमिलाषा, चाह, वान्छा इट्टग [दे] सेवई, गु० सेव (पिंडनि० गा. न [ मेरक] गण्डेरी, कटे हुए ऊख के गुल्ले
(उवा; प्रासू ४८)। कार पुंकारस्वकीय(प्राचा)। लाट्ठ स्त्री [ यष्टि] ईख की लाठी,
इच्छा, अभिलाष (पडि)। 'छंद वि[च्छन्द] इट्टगा स्त्री [इष्टका नीचे देखो (पएह २, २, “इक्षु-दण्ड (माचू)। "वाड पुं[वाट] ईख
इच्छा के अनुकूल (भाव ३)। णुलोम वि पिंड)। का खेत, 'सुचिरं पि अच्छमारणो नलयंभो
[°नुलोम] इच्छा के अनुकूल (परण ११)। | इट्टगा स्त्री [दे] खाद्य-विशेष, सेव (पिंड इच्छुवाडमज्झम्मि' (माव ३)। साला न
"गुलोमिय वि [°नुलोमिक] इच्छा के ४६१, ४६६, ४७२ )।[दे] १ ईख की लम्बी शाखा (प्राचा)। २ ईख |
अनुकूल (माचा)। 'पणिय वि [ प्रणीत] | इट्टवाय देखो इट्टा-वाय (सम्मत्त १३७)।" की बाहर की छाल (निचू १६)। देखो उच्छा
इच्छानुसार किया हुआ (प्राचा)। परिमाण | इट्टा स्त्री [इष्टका] इंट (गउड; हे २, ३४) । इग देखो एक (कम्म १, ८, ३३; सुपा ४०६; न [परिमाण] परिग्राह्य वस्तुषों के विषय | पाय, वाय पुं[पाक] ईंटों का पकना ।
श्रा १४० नव ८ पि ४४५ श्रा४; सम की इच्छा का परिमाण करना, श्रावक का | २ जहाँ पर इंटें पकाई जाती हैं वह स्थान ७५)IV
पांचवां व्रत ()। मुच्छास्त्री [भूच्छा] | (ठा )।
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