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कुच्चग-कुडंगा पाइअसहमहण्णवो
२५१ कुञ्चग वि [कौर्चक शर नामक गाछ का बना कुच्छिय वि [कुत्सित] खराब, निन्दित, कुट्टिणी स्त्री [कुट्टिनी] कूटनी, दूती (कप्पू हुअा (प्राचा २, २, ३, १४)। । गहित (पंचा ७; भवि)।
रंभा)। कुच्चग । देखो कुच्च (माचा २, २, ३, कुच्छिल्ल न [दे] १ वृति का विबर, बाड़ का कुट्टिम देखो कोट्टिम = कुट्टिम (भग ८, कुच्चय । काल)। ३ कूची, तृण-निर्मित छिद्र (दे २, २४) । २ छिद्र, विवर (पान)। राय; जीव ३)। तूलिका, जिससे दीवाल में चूना लगाया जाता । कुन्ले - [कौक्षेयक] तलवार, खड्ग कुट्टिय वि [कुट्टित] १ कूटा हुआ, ताड़ित है (उप पृ ३४३; कुमा)। (दे १, १६१ षड्)।
(सुपा १५, उत्त १६)। २ छिन्न, छेदित कुञ्चिय वि [कूर्चिक] दाढ़ी-मूछवाला (बृह कुज पुं [कुज] वृक्ष, पेड़ (जं २)।
(बह १)। कुजय पुं[कुजय] जूपारी, जूमाखोर (सूत्र कुट्ठ पुन [कुष्ठ] १ पंसारी के यहाँ बेची जाती कुच्छ सक [कुत्स् ] निन्दा करना, धिकारना। १, २, २)।
एक वस्तु, कूठ (विसे २६३, परह २,५)। २ कृ. कुच्छ कुच्छणिज्ज (श्रा २७ पराह१. कुज्ज विकुब्ज १ कुब्ज, कबड़ा, वामन । रोग-विशेष, कोढ (वव ६)।
(सुपा २; कप्पू)। २ पुंन. पुष्ष-विशेष (षड् )। कुट्ठ पुं[कोष्ट] १ उदर, पेटः 'जहा विसं कुच्छ पुंकुत्स] १ ऋषि-विशेष । २ गोत्र
कुजय [कुन्जक] १ वृक्ष-विशेष, शतपत्रिका कुटुगयं मंतमूलविसारया। वेजा हणंति मंतेहिं' विशेष; 'थेरस्स णं अजसिवभूइस्स कुच्छसगु.
(पउम ४२, ८ कुमा) । २ न. उस वृक्ष का (पडि)। २ कोठा, कुशूल, धान्य भरने का त्तस्स' (कप्प)।
पुष्प; 'बंधेउं कुजयपसूणं' (हे १, १८१)। बड़ा भाजन (पण्ह २, १)। बुद्धि वि कुच्छ देखो कुच्छ = कुत्स् ।
कुज्झ सक [कुध ] क्रोध करना, गुस्सा! [बुद्धि] एक बार जानने पर नहीं भूलनेकुच्छग पुं [कुत्सक बनस्पति.विशेष (सूत्र
करना । वुज्झइ (हे ४, २१७ षड् )। वाला (पएह २, १)। देखो कोट, कोढग।
कुट्ट सक [कुट्टू] १ कूटना, पीटना, ताड़न कुट्ठ वि [कृष्ट] १ शपित, अभिशप्त । २ न. कुच्छणिज देखो कुच्छ = कुस् , 'अन्नेसि
करना । २ काटना, छेदना। ३ गरम करना। शाप, अभिशाप-शब्दः 'उर्दु कुटु केहिं पेच्छता कुच्छरिणजे सारणाणं भक्खरिणजं हि' (श्रा ४ उपालम्भ देना। भवि. कुट्टइस्सं (पि ५२८)।
आगया इत्थे' (सुपा २५०)। २७)।
वकृ. कुट्टित (सुर ११, १)। कवकृ. कुट्टि- कुटुग पुन [कोष्ठक] शून्य घर (दस ५, १ कुच्छा स्त्री [कुत्सा] निन्दा, घृणा, जुगुप्सा जंत, कुट्टिजमाण (सुपा ३४०; प्रासू ६६; २०८२)। (ोघ ४४४: उप ३२० टी)। राय) । संकृ. कुट्टिय (भग १४, ८)। कुट्ठा स्त्री [कुष्टा] इमली, चिचा (बृह १)।
कुद्धि वि [कुष्ठिन् कुष्ठ रोगवाला (सुपा कुच्छि पुंस्त्री [कुक्षि] १ उदर, पेट (हे १, कुट्ट ([कुट] घड़ा, कुम्भ (सूत्र २, ७)।
२४३; ५७६)। ३५: उवाः महा)। २ अड़तालीस अंगुल का कुट्ट पुन [दे] १ कोट, किला: 'दिजंति कवा
कुड पुं [कुट] १ घड़ा, कलश (दे २, ३५, मान (जं २) । किमि पुं [कृमि उदर में डाई कुट टुवरि भडा ठविज्जति' (सुवा ५०३)।
गा २२६; विसे १४५६)। २ पर्वत। ३ हाथी उत्पन्न होनेवाला कीड़ा, द्वीन्द्रिय जन्तु-विशेष २ नगर, शहर (सुर १५, ८१)। वाल पुं।
33 वगैरह का बन्धन-स्थान (णाया १, १-पत्र (पराग १)। धार पुं[ धार] १ जहाज [पाल] कोतवाल, नगर-रक्षक (सुर १५, ।
। ६३) । ४ वृक्ष, पेड़; 'तड्डुवियसिहंडमंडियकुका काम करनेवाला नौकर) 'कुच्छिधारकन्न- ८१)
डग्गो' (सुग ५६२)। कंठ पुं[कण्ठ] धारगन्भजसंजत्ताणावावारिणयगा' (गाया १, कुट्टण न [कुट्टन] १ छेदन, चूर्णन, भेदन
पात्र-विशेष, घड़ा के जैसा पात्र ( दे २, ८-पत्र १३३)। २ एक प्रकार का जहाज । (औप)। २ कूटना, ताड़ना (हे ४, ४३८)।
२०)। दोहिणी स्त्री [दोहिनी] घड़ा भर का व्यापारी (गाया १, १६)। पूर पुं कुटणा श्री [कुट्टना] शारीरिक पीड़ा (सूम
दूध देनेवाली (गा ५३७)। [पूर] उदर-पूत्ति (वव ४)। वेयणा स्त्री १, १२)। [°वेदना] उदर का रोग-विशेष (जीव ३)। कुट्टणी स्त्री [कुट्टनी] १ मूसल, एक प्रकार
कुडंग पुंन [कुटङ्क] १ कुञ्ज, निकुञ्ज, लता 'सूल पुन [ शूल] रोग-विशेष (गाया १, की मोटी लकड़ी, जिससे चावल आदि अन्न
वगैरह से ढका हुआ स्थान (गा ६८० हेका
१०५)। २ वन, जंगल (उप २२० टी)। १३; विपा १, १)।
कूटे जाते हैं (बृह १)। २ दूती, कुटनी, कुच्छिंभरि वि [कुक्षिम्भरि] अकेलपेटू, पेटू,
३ बांस की जाली, बाँस की बनी हुई छत कुट्टिनी (रंभा)। स्वार्थी; 'हा तियचरितकुत्सि (? च्छिं) | कुट्टयरी स्त्री [दे] चंडी, पार्वती (दे २, ३५)।
(बृह १) । ४ गह्वर, कोटर (राज)। ५ वंशभरिए !' (रंभा)। कुट्टा स्त्री [दे] गौरी, पार्वती (दे २, ३५)।
गहन (णाया १, ८ कुमा)। कुच्छिमई स्त्री [दे. कुक्षिमती] गभिरणी, कुट्टाय पुं[दे] चर्मकार, मोची (दे २, ३७)। कुडंग पुन [दे. कुटङ्क] लता-गृह. लता से ढका आपन्न-सत्त्वा (दे २, ४१ षड्) । कुट्टित देखो कुट्ट = कुट्ट ।
हुआ घर (दे २, ३७) महा पाप षड्)। कुच्छिमधिका (मा) देखो कुच्छिमई (प्राकृ| कुट्रितिया देखो कोटुंतिया (राज)। कुडंगा श्री [कुटङ्का] लता-विशेष (पउम ५३, १०२)।
| कुटुिंब [दे] देखो कोटुिंब (पाम)। ____७६)।
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