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कुडंगी स्त्री [दे. कुटकी] बांस की जाली, एक्कपहारेण नित्रडिया वंसकुडेंगी' (महाः सुर १२, २०० उप पृ २८१) ।
कुटुंब देखो कुटुंब (महा गा ६०६) । कुडग देखो कुड ( श्रावमः सूत्र १,१२ ) । कुडभी स्त्री [कुटभी] छोटा पताका (सम ६०) ।
कुडयन [दे] लता - गृह, लता से श्राच्छादित घर, कुटीर, झोंपड़ी (ढे २,३७) । कुडय पुंन [कुटज] वृक्ष-विशेष, कुरैया ( गाया १. ६, परण १७ स १६४ ); 'कुडयं दलई' (कुमा) ।
कुडव पुं [कुडव ] अनाज या अन्न नापने का एक माप (गाया १, ७ उप पृ ३७० ) । कुडाल देखो कुड्डाल (उवा) । कुडिअ वि [दे] कुब्ज, वामन, नाटा ( पाच ) । कुडिआ स्त्री [दे] बाड़ का विवर (दे २, २४) ।
कुडिच्छ न [दे] १ बाड़ का छिद्र । २ कुटी, झोंपड़ी । ३ वि. त्रुटित, छिन्न (दे २, ६४ ) । कुडिल वि [कुटिल ] वक्र, टेढ़ा (सुर १, २०१२, ८६) ।
कुडलविडल न [दे. कुटिलविटल] हस्तिशिक्षा (राज) ।
कुडिल्ल न [दे] १ छिद्र, विवर ( पाच ) । २ वि. कुब्ज, कुबड़ा (पान ) ।
कुडिल्लय वि [दे. कुटिलक] कुटिल, टेढ़ा, वक्र (दे २, ४० भवि ) । कुडिच्चय देखो कुलिब्धय (राज) । कुडी स्त्री [कुटी] छोटा गृह, झोंपड़ी, कुटीर (सुपा १२०० वजा ६४ ) ।
कुडीर न [कुटीर ] झोंपड़ी, कुटी ( हे ४, ३६४; पउम ३३, ८५ ) ।
कुडीर न [दे] बाड़ का छिद्र (दे २, २४) । कुडुंग पुं [दे] लतागृह, लताओं से ढका हुआ घर (षड् गा १७५; २३२ अ ) । कुटुंब न [कुटुम्ब] परिजन, परिवार, स्वजनवर्ग (उवा महा; प्रासू १६७ ) । कुटुंब पुं [कुस्तुम्बक ] १ वनस्पति- विशेष, धनियाँ (पराग १ – पत्र ४० ) । २ कन्दविशेषः 'पलंडुलसरणवदे य कंदलीय कुडुंबए' ( उत्त ३६, ६८ का) ।
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पाइस
कुडंगी - कुत्तिय
कुटुंबि
वकृ. कुणंत, कुणमाण (गा १६५ सुपा ३६ ११३३ आचा) |
वि [कुटुम्बिन, क] १ कुटुम्ब कुटुंबिअ ) युक्त, गृहस्थ । २ कुनबेवाला, } कर्षक (गउड) | ३ सम्बन्धी; 'सोभागुग्गुण समुद- कुणक्क पु [कुणक] वनस्पति- विशेष (पण कुडुबिए' (कप्प ) । १ - पत्र ३५) । कुटुंबीअ न [दे] सुरत, संभोग, मैथुन कुडव न [कुणप ] १ मुरदा, मृत शरीर ( पाच ) (षड् । गउड ) । २ वि. दुर्गन्धी ( हे १, २३१) । कुणाल पु. ब. [ कुणाल ] १ देश-विशेष (गाया १, ८ उप १८६ टी) । २ प्रसिद्ध महाराज अशोक का एक पुत्र ( विसे ८६१) । "नयर न ['नगर] एक शहर, उज्जैन; 'आसी कुणालनयरे' (संथा ) |
कुर्डुभग पुं [दे] जल-मण्डूक, पानी का मेढक (निचू १) ।
कुडुक्क [दे] लता-गृह ( षड् ) । कुडुश्चिअ न [दे] सुरत, संभोग, मैथुन (दे २, ४१) ।
कुडुल्ली (अप) स्त्री [कुटी] कुटिया, झोंपड़ी (कुमा) ।
कुड्ड पुंन [कुड्य] १ भित्ति, भीत ( पउम ६८, ६ है २,७८);
'अज्जं गोत्ति प्रजं गोत्ति
श्रज्जं गनोत्ति गणिरीए । पढमविदिद्धे कुड्डो लेहाहि
चित्तलिओ (गा २०८ ) ।
ड्ड
[] आश्चर्य, कौतुक, कुतूहल (दे २, ३३ पान षड् हे २, १७४) । कुड्डगिलोई [दे] गृह-गोधा, छिपकली (दे २, १९ ) ।
कुडवणी स्त्री [दे. कुडधलेपनी] सुधा, चूना, खड़ी, खटिका (दे २, ४२ ) । [कुड्डाल न [ दे ] हल के ऊपर का विस्तृत अंश (उवा) ।
कुढन [दे] १ चुराई हुई वस्तु की खोज में जाना (दे २, ६२; सुपा ५०३ ) । २ छीनी हुई चीज को छुड़ानेवाला, वापस लेनेवाला (दे २, ६२ ) ।
कुढारपुं [कुठार] कुल्हाड़ा, फरसा ( हे १, १६ षड् ) ।
कुढावय न [दे] अनुगमन, पोछे जाना (विसे १४३६ टी) ।
कुयि वि[दे] कूढ, मूर्ख, बेसमझा 'कूयंति नेउरा पुरण पुरणो कुढियपुरिसोव्व' (सुर ३, १४२) ।
कुढिय वि [दे] जिसके माल की चोरी हो गई हो वह (सुख २, २१ ) । कुण सक [कृ] करना, बनाना । कुराइ, कुणउ, कुरण (भगः महा सुपा ३२० ) ।
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कुणाला स्त्री [कुणाला ] इस नाम की एक नगरी (सुपा १०३) ।
कुणि पु [कुणि] १ हस्त-विकल, हूँठ, कुणिअ ) हाथ कटा मनुष्य ( पउम २, ७७ ) । २ जन्म से ही जिसका एक हाथ छोटा हो वह । ३ जिसका एक पॉव छोटा हो वह, खज (परह २, ५ – पत्र १५०; श्राचा) | कुणि स्त्री [] वृति-विवर, बाड़ का छिद्र (दे २, २४) ।
कुणिम पुंन [दे कुणप ] १ शव, मृतक, मुरदा (परह २, ३) । २ मांस (ठा ४, ४; श्रीप) । ३ नरकावास विशेष (सूत्र १, ५, १) । ४ शव का रुधिर, वसा वगैरह ( भग ७, ६) ।
कुणकुण क [ कुणुकुणाय् ] शीत से कम्प होने पर 'कड़कड़' श्रावाज करना । वकृ. कुकुत (सुर २, १०३) । कुण्हरिया स्त्री [दे] वनस्पति-विशेष (परण १ - पत्र ३५) ।
कुतती स्त्री [दे] मनोरथ, वाञ्छा (दे २, ३६) । कुटुंब पुं [कुस्तुम्ब] वाद्य-विशेष ( राय ४६) । कुटुंबर पुं [कुस्तुम्बर] वाद्य-विशेष ( राय ४६) । कुतुव पुंन [कुतुप ] १ तेल वगैरह भरने का चमड़े का पात्र (दे ५, २२) । देखो कुउअ । कुत्त [द] कुत्ता, कुक्कुर ( रंभा ) । कुत्त न [दे. कुतक] १, १ – पत्र ११) । कुत्तारवि [कुतार] योग्य तारक ( गच्छ १, ३०) ।
ठेका, इजारा (विपा
कुत्तिय पुंस्त्री [दे] एक तरह का कीड़ा, चतुरिन्द्रियजन्तु विशेष; 'करालिय कुत्तिय विच्छू' (प्राप १७ पभा ४१ ) ।
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