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कुसीलव-कुहेडअ पाइअसहमण्णवो
२५७ कुसीलव पुं [कुशीलव] अभिनयकर्ता नट ! कुसुमसंभव कुसुमसम्भव] वैशाख मास कुहण वि [क्रोधन] क्रोधी, क्रोध करनेवाला
का लोकोत्तर नाम (सुज्ज १०, १६)। (पण्ह १, ४-पत्र १००)। कुसुंभ पुंन [कुसुम्भ] १ वृक्ष-विशेष, कसुम,
कुसमाल वि [कुसमवत् ] फूलवाला (स कुणी स्त्री [दे] कूपर, हाथ का मध्य-भाग बरे (ठा ८-पत्र ४०५) । २ न. कुसुम का
(सुपा ४१२)। पुष्प, जिसका रंग बनता है (जं २)। ३
कुस्माल पुंदे] चोर, स्तेन (दे २, १०)। कुहय पुंन [कुहक] १ वायु-विशेष, दौड़ते रंग-विशेष (श्रा १२)। कुसुमालिअ वि [६] शून्य-मनस्क, भ्रान्त
हुए अश्व के उदर-प्रदेश के समीप उत्पन्न चित्त (दे २, ४२)।
होता एक प्रकार का वायुः 'घरगज्जियकुसुंभिअ वि [कुसुम्भित कुसुम्भ रंगवाला कुसुमिअ वि [कुसुमित] पुष्पित, पुष्प
हयकुहए (गच्छ २)। २ इन्द्रजालादि कौतुक; (श्रा १२)। युक्त, खिला हुप्रा (गाया १, १; पउम ३३,
'अलोलुए अक्कुहए अमाई (दस ६, ३)। . कुसुंभिल पुं[दे] पिशुन, दुर्जन, चुगलखोरी
कुहर न [कुहर] १ पर्वत का अन्तराल (दे २, ४०)। कुसुमिल्ल वि [ कुसुमवत् ] ऊपर देखो
(णाथा १,१-पत्र ६३); 'गेहंव वित्तरहिनं कुसुंभी स्त्री [कुसुम्भी] वृक्ष-विशेष, कुसुम (सुपा २२३)।
णिज्जरकुहरं व सलिलसुरणविथ (गा का पेड़ (पात्र)। कुसुर [दे] देखो झसुर (हे २, १७४ टि)।
६०७) । २ छिद्र, बिल, विवर (परह १, ४,
पासू २) । ३ पुं. ब. देश-विशेष (पउम १८, कसुम अक [ कुसुमय ] फूल पाना । कुसु- कुसूल पुं [कुशूल] कोष्ठ, अन्न रखने के लिए मंति (संबोध ४७)। मिट्टी का बना एक प्रकार का बड़ा पात्र
कुहाड [कुठार] कुल्हाड़, फरसा (विपा १, (पान)। कुसुम न [कुसुम १ पुष्प, पूल (पाप्रा प्रासू
६ पउम १६, २४; स २:४)। कुस्सुमिण पुं [कुस्वप्न] दुष्ट स्वप्न (संबोध ३४) । २. इस नाम का भगवान् पद्मप्रभ
कुहाडी स्त्री [कुठारी] कुल्हाड़ी, कुठार (उप ४२)। का शासनाधिष्ठायक यक्ष (संति ७)। केउ पु
। कुह अक [कुथ ] सड़ जाना, दुर्गन्धी होना। [केतु] अरुणवर द्वीप का अधिष्ठायक देव
कुहावणा स्त्री [कुहना] १ आश्चर्य-जनक, ( दीव )। चाय, चाव पुं[चाप] कुहइ (भवि; हे ४, ३६५) ।
दम्भ-क्रिया, दम्भ-चर्या । २ लोगों से द्रव्य कामदेव, मकरध्वज ( सुपा ५६; ५३०; कुह [कुह] वृक्ष, पेड़, गाछ: 'कुहा महीरुहा
हासिल करने के लिए किया हुआ कपट-भेष महा)। ज्झय [ध्वज वसन्त ऋतु । वच्छा' (दसनि १)।
(जीत)। (कुमा)। °णयर न ["नगर नगर-विशेष, कुह देखो कहं (गा ५०७ अ)।
कुहिअ वि [दे] लिप्त, पोता हुआ (दे २, पाटलिपुत्र, आजकल जो 'पटना' नाम से कुहंड किष्माण्डा व्यन्तर देवों की एक ३५)। प्रसिद्ध है (आवम)। "दंत पृ[दन्त एक जाति (प्रौप)।
| कुहिअ वि [कुथित] १ थोड़ी दुर्गन्धवाला तीर्थङ्कर देव का नाम, इस अवसर्पिणी काल | कुहंड न [कृष्माण्ड] १ कुम्हड़ा, पेठा, कोहँड़ा (गाया १, १२–पत्र १७३)। २ सड़ा के नववे जिनदेव, श्री सुविधिनाथ (पउम १, (कम्म ५, ८५)।
हुआ (उप ५९७ टी)। ३ विनष्ट (गाया ३)। दाम न [दामन] फूलों की माला कुहंडिया स्त्री [कूष्माण्डी] कोहड़ा का गाछ
१,१)। पूइय वि [पूतिक] अत्यन्त सड़ा (उवा)। धणु न [धनुष् ] कामदेव (कुमा)। (राय)।
हुमा (पएह २, ५)। "पुरन [पुर] देखो ऊपरणयर (उप ४८६)।
कुहक्क देखो कहय (धर्मवि १३५, कुप्र ८)।
__ कुहिणी स्त्री [दे] १ कूपर, हाथ का मध्य बाण पुं[बाण] कामदेव (सुर ३, १६२; कुहग 3
3 7 भाग । २ रथ्या, महल्ला (दे २, ६२)। पाप्र)। रअ [रजस् ] मकरन्द (पान)। कुहग पु [कुहक] कन्द-विशेष, 'लाहिणीहू कुहिल पुंस्त्री [कुहुमत् ] कोयल पक्षी (पिंग)।
रद पुं[रद] देखो दंत (पउम २०, ५)। य थीहू य, कुहगा य तहेव य' (उत्त ३६, कुहु स्त्री [कुहु] कोकिल पक्षी की आवाज 'लया स्त्री [°लता] छन्द-विशेष (अजि १५)। | ६६ का)।
(पिंग)। 'संभव पुं[संभव] मधुमास, चैतमास | कुहड वि [दे] कुब्ज, कूबड़ा (दे २, ३६)। कुहुण देखो कुहण = कुहन (उत्त ३६, (अणु) । °सर पुं [शर] कामदेव (सुर ३, | कुहण' [कुहन] १ वृक्षों का एक प्रकार, वृक्षों ९६ का )। १०६)। अिर पुं[कर] इस नाम का की एक जातिः ‘से किं तं कुहणा ? कुहण कुहुव्वय पुं [कुहुव्रत कन्द-विशेष (उत्त ३६, एक छन्द (पिंग) । उह पुं[युध काम, प्रणेगविहा पराणत्ता' (पएण १-पत्र ३५)। ६८)। कामदेव (स ५३८)। "वई स्त्री [वती] २ वनस्पति-विशेष । ३ भूमि-स्फोट (पएण कुहेड पुं[दे] ओषधी-विशेष, गुरेटक, एक इस नाम की एक नगरी (पउम ५, २६)। १--पत्र ३०; प्राचा)। ४ देश-विशेष । ५ प्रकार का हरॆ का गाछ (दे २, ३५) । सिव पुं [सव] किंजल्क, पराग, पुष्प- इसमें रहनेवाली जाति (पएह १, १-पत्र कुहेड ) [कुहेट, क] १ चमत्कार रेणु (णाया १, १; औप)। १४. इक)।
कुहेडअ) उपजानेवाला मन्त्र-तन्त्रादि ज्ञान;
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