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कुन्तीकुमुअ
कुती श्री [दे] कुली कुलकुरी (रंभा)। कुत्थ अ [ कुत्र ] कहाँ, किस स्थान में ? ( उत्तर १०४) ।
कुत्थ सक [को] सड़ाना, 'नो वाऊ हज्जा, नो सलिलं
(पव १५८ टी), कुच्छे (? थे) ज्जा ( श्रणु १६१ ) । भवि. कुच्छि (? तिथ) हिई (पिंड २३८ ) । कृ. कुत्थ ( दसनि १०, २४) । कुत्ख देखो कढ कृत्यसि कुरव (गा ५०१ प्र) ।
कुरण श्री [ोधन ] सड़ना सह जाना ( वब ४ ) 1
कुत्थर न [दे] १ विज्ञान ( दे २,१३ ) । २ वृक्ष । कोटर बृज की पोल, गर (गुपा २४६)
३ सर्प वगैरह का बिल ( उप ३५७ टी) । कुत्थल देखो कोत्थल; 'कच्छ (? त्थ) लसमाउरो (धर्मवि २७) ।
कुटुंब [कुस्तुम्ब] बाय-विशेष (राय)। कुत्थंभरी स्त्री [कुस्तुम्बरी] वनस्पति- विशेष, धनियाँ ( पण १ - पत्र ३१ ।
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कुधुंद पुंन [कौस्तुभ ] मणि-विशेष जो विष्णु की छाती पर रहती है (हेका २५७) कुत्थुहवत्थ न [दे] नीवी, नारा, इजारबन्द (दे २, ३८ ) ।
कुदो देखो कुओ (हे १, ३७) ।
वि [] प्रभूत, प्रचुर (दे २,३४) । कुण [दे] रासक, रासा (दे २, ३८ ) । कुद्दव पुं [ कोद्रव ] धान्य- विशेष, कोदों, १२) । कुदाल [कुदाल] भूमिका साधन, गुदार, कुदारी (गुदा ५२५) २ - विशेष (२) ।
कुद्ध वि [क्रुद्ध] कुपित, क्रोध-युक्त (महा) । कुपचि ()[ कचित् ] किसी ( प्राकृ १२३) ।
में
कुप्प सक [ कुप् ] कोप करना, गुस्सा करना। कुप्पइ (उवः महा) । वकृ. कुप्पंत ( सुपा १६७) । कृ. कुप्पियव्व ( स १ ) | कुप्प सक [ भापू] बोलना, कहना। कुप्पइ (भवि)।
कुप्पन [कुप्य] सुवर्ण और चांदी को छोड़ कर अन्य धातु और मिट्टी वगैरह के बने हुए
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पाइअसमहणवी
गृह- उपकरण, 'लोहाई उवक्खरो कुप्वं' (बृह १ पडि) । कुप्पढ
[दे] १ गृहाचार, घर का रिवाज । २ समुदाचार सदाचार (दें २, ३६) । कुप्पर न [दे] सुरत के समय किया जाता हृदय ताड़न विशेष । २ समुदाचार, सदाचार । ३ नर्म, हासी, ठट्ठा (दे २, ६४) । कुप्पर [कूर्पर ] १ कफोणि, हाथ का मध्य भाग । २ जानु, घुटना श्रवयव - विशेष (जं ३) । कुपर [कर्पर] देखी कप्पर भीत को परत, भीत का जीर्ण-शीर्णं थर 'एयामो पाढाहरु जुमितियों (ग)। कुप्पल देखो कुंपल (पि २७७)। कुप्पास
३ रथ का
[कृपस ] ज्यु, कांची, जनानी कुरती ( १, ७२
पा
कुप्पिय
[कुषित] १ कुपित, क्रुद्ध । २ न. कोम गुस्सा 'कुयिं नाम कुलि' (या ४) ।
कुप्पिस देखो कुप्पास हे १, ७२ ३ २, ४० ) ।
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कुदर [ कूपर ] भगवान् मल्लिनाथ का पुं शासनायिका (पर २६) कुबेरपुं [कुबेर ] भगवान् कुन्थुनाथ के प्रथम श्रावक का नाम ( विचार ३७८ ) । कुबेर [कुबेर] कुबेर यक्ष-राज, धनेश ( पात्र गउड)। २ भगवान् मल्लिनाथ का शासनाधिष्ठाता यक्ष विशेष (संति ८ ) । ३ कानपुर के एक राजा का नाम (पउम ७, ४५) । ४ इस नाम का एक श्रेष्ठी (उप ७२८ टी) एक जैन मुनि (कम्प) "दिसा [ "दश ] उत्तर दिशा (सुर २, ५)नयरी श्री ["नगरी] कुबेर की राजधानी, अलका (पान) ।
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साधु-गरा की एक
कुबेरा
[कुबेरा ] शाखा (कप्प ) ।
२५३
कुभंडिंद पुं [ कुभाण्डेन्द्र ] इन्द्र-विशेष, कुभा देवों का स्वामी (ठा २,३) । कुमर देखो कुमार (हे १, ६७ सुपा २४३; ६५६६ कुमा) ।
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कुमरी देखो कुमारी (कप्पू; पाग्र) । कुमार पुं [कुमार] प्रथम क पाँच वर्ष तक का लड़का (ठा १० पाया १२) २राज राम्या पुरुष (पराह १, ५) । ३ भगवान् वासुपूज्य का शासनापिठाता यत (संति ७)। ४ लोहार, सोहार 'पट्टिमाईहि कुमारेहि पिये (उत्त २३) ५ कार्तिकेय स्कन्द (पा६ शुक पक्षी । ७ घुड़सवार । ८ सिन्धु नद। ६ वृक्ष- विशेष, वरुण-वृक्ष ( हैं १, ६७ ) । १० विवाहित ब्रह्मचारी (सम ५० )ग्गाम पुं [आम] ग्राम-विशेष (आभा २३) । "मंदि [नदिन] इस नाम का एक सोनार (श्रावम) । धम्म पुं ['धर्म] एक जैन साधु (कण्य) बाल ["पाठ] विक्रम की बारहवीं शताब्दी का गुजरात का एक सुप्रसिद्ध जैन राजा (दे १, ११३ टी) । कुमार पुं [दे] कुमार का महीना, प्राश्विन मास (ठा २, १) ।
कुमारा श्री [कुमारा] इस नाम का एक संनिवेश, 'तम्रो भगवं कुमाराए संनिवेसे गधी' (भावम
कुमारिय पुं [ कुमारिक ] कसाई, सौनिक (बृह १) । कुमारिया स्त्री [कुमारिका ] देखो कुमारी ( पि ३५० ) ।
कुमारी श्री [कुमारी] प्रथम की लड़की १ त्रय २ अविवाहित कन्या (हे ३, ३२) । ३ वनस्पति- विशेष पीकुमारी ( प ४) ४ नवमल्लिका । ५ नदी - विशेष । ६ जम्बू द्वीप का एक भाग । ७ वनस्पति- विशेष, अपराजिता । ८ सीता। बड़ी इलाची १० वन्ध्या ककड़ी की लता । ११ पक्षि-विशेष (हे . १२) ।
कुमारी स्त्री [दे कुमारी ] गौरी, पार्वती (दे २, ३५) ।
कुब्बड वि [दे] कुबड़ा, कुब्ज, वामन (श्रा 20) 1 कुब्बर पुं [कूबर] वैश्रमण के एक पुत्र का नाम ( अंत ५) । कुभंड पुं [कुभाण्ड ] देव- विशेष की जाति कुमुअ पुं [कुमुद] १ (ठा २, ३ - पत्र ८५) । बाग से १२४)
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स
इस नाम का एक
२ महादेव का
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