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कुंडभी-कुंभ
पाइअसहमहण्णवो
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कुंडभी स्त्री [दे. कुटभी] छोटी पताका, कुंडलिअ पि [कुण्डलित] वर्तुं ल, गोल कुंती स्त्री [दे] मंजरी, बौर (दे २, ३४) । (प्रावम)।
आकारवाला (सुपा ६२ कप्पू)। कुंती स्त्री [कुन्ती] पाण्डवों की माता का कंडमोअ पंन [कण्डमोद हाथी के पैर की | कुंडलिआ वि [कुण्डलिका] छन्द विशेष | नाम (उप ६४८)। विहार विहार प्राकृतिवाला मिट्टी का एक तरह का पात्र (पिंग)।
नासिक-नगर का एक जैन मन्दिर, जिसका (दस ६, ५१)।
कुडलोद पु । कुण्डलोद, इस नाम का एक जीर्णोद्धार कुन्तीजी ने किया था (ती २८)। कुंडल पुन कुण्डल] १ एक देव-विमान
कुतापोट्टलय वि [दे ] चतुष्कोण, चार (देवेन्द्र १४५)। २ तप-विशेष; 'पुरिमट्ट | कुंडाग पुं [कुण्डाक] संनिवेश-विशेष, ग्राम
कोनवाला, चौकोर (दे २, ४३)। या निविकृतिक तप (संबोध ५७)। विशेष (प्रावम)।
कुंथु पुं[कुन्थु १ एक जिन-देव, इस प्रवकुंडि देखो कुडी (महा)। कुंडल पुन [कुण्डल] १ कान का आभूषण
सर्पिणी काल में उत्पन्न सत्तरहवाँ तीर्थकर कुंडिअ पु [द] ग्राम का अधिपति, गाँव का | (भग; प्रौप)। २ पुं. विदर्भ देश के एक
और छठवाँ चक्रवर्ती राजा (सम ४३; मुखिया (दे २,३७)। राजा का नाम (पउम ३०, ७७)। ३ द्वीप
पडि)। २ हरिवंश का एक राजा (पउम विशेष । ४ समुद्र-विशेष । ५ देव-विशेष कुंडिअपेसण न [दे] ब्राह्मण विष्टि, ब्राह्मण
२२,६८)। ३ चमरेन्द्र की हस्ति-सेना का (जीव ३)। ६ पर्वत-विशेष (ठा १०)। ७ को नौकरी, ब्राह्मण की सेवा (दे २, ४३)।
अधिपति देव-विशेष (ठा ५,१-पत्र ३०२) । गोल आकार (सुपा ६२) । भद्द
कुंडिगा । स्त्री [कुण्डिका ] नीचे देखो [ भद्र] कुडिया (रंभा अनु ५, भग, णाया २, ५)।
४ एक क्षुद्र जन्तु, त्रीन्द्रिय जन्तु की एक कुण्डल द्वीप का एक अधिष्ठायक देव (जीव
जाति (उत्त ३६; जी १७)। ३)। मंडिअ वि ["मण्डित] १ कुण्डल कुंडिण न [कुण्डिन] विदर्भ देश का एक
कुंद पुं[कुन्द ] १ पुष्प-वृक्ष विशेष (जं से विभूषित । २ विदर्भ देश का इस नाम का नगर (कुप्र ४८)।
२)। २ न. पुष्प-विशेष, कुन्द का फूल एक राजा (पउम ३०, ७४)। महाभद्द कुंडी स्त्री [कुण्डी] १ कुण्डा, पात्र-विशेष;
'तेसिमहोभूमीए ठविया कुंडी य तेल्लपडिपं [महाभद्र] देव-विशेष (जीव ३)।
(सुर २, ७६; णाया १,१)। ३ विद्यामहावर पुं [महावर] कुण्डलवर समुद्र पुन्ला' (सुपा २६९) । २ कमण्डल, संन्यासी
धरों का एक नगर (इक)। ४ पुंन. छन्द
विशेष (पिंग)। का अधिष्ठाता देव (सुज्ज १९)। वर पुं
का जल-पात्र (महा)।
| कुंदय वि [दे] कृश, दुर्बल (दे २, ३७)। [°वर] १ द्वीप-विशेष । २ समुद्र-विशेष ।। कुंढ देखो कुंठ (सुपा ४२२)।
| कुंदा स्त्री [कुन्दा] एक इन्द्राणी, मानिभद्र ३ देव-विशेष (जीव ३)। ४ पर्वत-विशेष कुंढय न [दे] १ चुल्ली, चूल्हा । २ छोटा
इंद्र की पटरानी (इक)। (ठा ३, ४)। वरभद्द पं [वरभद्र बरतन (दे २, ६३)।
कुंदीर न [दे] विम्बी-फल, कुन्द्रन का फल कुण्डलवर द्वीप का एक अधिष्ठायक देव | कुंत पुं [द] शुक, तोता, सुग्गा (दे २,२१)।
(दे २, ३६)। (जीव ३)। वरमहाभद्द '[°वरमहा- कुंत पुं[कुन्त] १ हथियार-विशेष, भाला कुंदुक पु[कुन्दुक्क] वनस्पति-विशेष (पएण भद्र] कुण्डलवर द्वीप का एक अधिष्ठाता (पराह १, १; अोप)। २ राम के एक सुभट १-पत्र ४१)। देव (जीव ३)। वरोभास पुं [°वराव- का नाम (पउम ५६, ३८)।
कुंदुरुक्क पुं[कुन्दुरुक] सुगन्धि पदार्थ-विशेष भास] १ द्वीप-विशेष । २ समुद्र-विशेष
कुंतल [कुन्तल] १ केश, बाल (सुर १, (णाया १,१-पत्र ४१ सम १३७) । (जीव ३)। 'वरोभासभद्द पुं[°वराव.
१; सुपा ६१, २००)। २ देश-विशेष (सुपा कुंदुल्लुअ ' [दे] पक्षि-विशेष, उलूक, उल्लू भासभद्र] कुण्डलवरावभास द्वीप का अधि
६१, उब ४९५)। हार पुं[हार] (पास)। ष्ठाता देव (जीव ३)। वरोभासमहाभद्द
धम्मिल्ल, संयत केश, बाँधे हुए बाल (पान)। कुंधर पुंदे] छोटी मछली (दे २, ३२)। पुं[°वरावभासमहाभद्र] देखो पूर्वोक्त अर्थ
| कुंतल ' [दे] सातवाहन, नृप-विशेष (दे कुंपय पुन [कूपक] तैल वगैरह रखने का ( जीव ३) । वरोभासमहावर पुं २, ३६)।
पात्र-विशेष (रयरग ३१)। [°वरावभासमहावर ] कुण्डलवरावभास
कुंतला स्त्री [कुन्तला] इस नाम की एक कुंपल पुंन [कुट्मल, कुड्मल] १ इस नाम समुद्र का अधिष्ठायक देव-विशेष (जीव ३)।। रानी (दस)।
का एक नरक । २ मुकुल, कली, कलिका "वरोभासवर ५ [वरावभासवर समुद्र- कंतला स्त्रीदे] करोटिका, परोसने का एक | (ह १, २५कुमा, षड्। विशेष का अधिपति देव-विशेष (जीव ३)। उपकरण (दे २, ३८)।
कुंबर [दे] देखो कुंधर (पान)। कुंडला स्त्री [कुण्डला] विदेहवर्ष स्थित कुंतली स्त्री [कुन्तली] कुन्तल देश की रहने | कुंभ पुंकुम्भ] १-३ साठ, अस्सी और एक नगरी विशेष (ठा २, ३)। वाली स्त्री (कप्पू)।
सौपादक की नाप (अणु १५१, तंदु २६) । कुंडलि वि [कुण्डलिन् ] कुण्डलवाला कुंताकुंति न [कुन्ताकुन्ति] बर्खे की लड़ाई ४ ज्योतिष-प्रसिद्ध एक राशि (विचार १०६)। (भास ३३)। । (सिरि १०३२)।
। ५ एक बाजा (राय ४६)। ३२
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