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कीरंत
देखो कर:
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कीयग--कु पाइअसहमहण्णवो
२४७ कीयग पुं[कीचक] विराट देश के राजा का | कीला स्त्री [क्रीडा] खेल, क्रीडन (सुपा ३५८ । (विपा १, ३)। तित्य न [तीर्थ] १ साला, जिसको भीम ने मारा था (उप ६४८ | सुर १, ११७)। वास पुं [वास] क्रीड़ा जलाशय में उतरने का खराब मार्ग (प्रासू टी); 'नवमं दूयं विराडनयरं, तत्थ रणं तुम | करने का स्थान (इक)।
१०)। २ दूषित दर्शन (सून १, १, १)। कि (? की) यगं भाउसयसमग्गं' (णाया १, | कीलाल न [कीलाल] रुधिर, खून, रक्त (उप ३ °तिथि वि [°तीर्थिन] दूषित मत का १६-पत्र २०६)। ८६ पा)।
अनुयायी (कुमा)। दंडिम देखो डंडिम कीया स्त्री [कीका] नयन-तारा, ‘मरकतम- कीलालिअ वि [कोलित] रुधिर-युक्त, (णाया १, १-पत्र ३७)। दसण न सारकलित्तनयणकीयरासिवन्ने' (णाया १,१] खूनवाला (गउर)।
[दर्शन] दुष्ट मत, दूषित धर्म (परण २)। टी--पत्र ६)।
कलावण न [क्रीडन] खेल कराना (गाया दमणि वि [°दर्शनिन] १ दुष्ट दार्शनिक । कीर पुंदे. कीर] शुक, तोता, सुग्गा (दे २, १, २)।
२ दूषित मत का अनुयायी (श्रा ६)। दिदि २१; उर १, १४)।
कीलावणय न [क्रीडनक] खिलौना (निर स्त्री [दृष्टि] १ कुत्सित दर्शन (उत्त २८)। कीर कीर] १ देश-विशेष, काश्मीर देश ।
२ दूषित मत का अनुयायी (धम २)। २ वि. काश्मीर देश संबन्धी। ३ वि. काश्मीर कलिअन [क्रीडित] क्रीड़ा, रमण, क्रीड़न दिद्विय वि [ दृष्टिक दुष्ट दर्शन का अनुदेश में उत्पन्न (विसे ४६४ टी)। (सम १५; स २४१)।
यायो, मिथ्यात्वी (पउम ३०, ४४) । पत्रकीलिअ वि [कीलित] खूटा ठोका हुआ, यण न [प्रवचन] १ दूषित शास्त्र । २ कीरमाणखा कर ।
"लिहियव्व कीलियव्व' (महाः सुपा २५४)। वि. दूपित सिद्धान्त को माननेवाला (अरण) । कीरल पुं[कीरल] देश-विशेष (पउम ६८. | कीलिआ स्त्री [कीलिका] १ छोटा खूटा, प्पावणिय वि ["प्रावनिक] १ दूषित
खूटी (कम्म १, ३६) । २ शरीर संहनन- सिद्धान्त का अनुसरण करनेवाला (सूम १, कीरिस देखो केरिस (गा ३७४ मा ४)। विशेष, शरीर का एक प्रकार का बांधा, २, २)। २ दूषित आगम-संबन्धी (अनुष्ठान) कीरी स्त्री [कीरी] लिपि-विशेष, कीर देश की जिसमें हड्डियां केवल खूटी से बँधी हुई हों | (अणु)। भत्त न [ भक्त] खराब भोजन लिपि (विसे ४६४ टी)।
ऐसा शरीर-बन्धन (सम १४६; कम्म १,३६)। (पउम २०, १६६)। °मार पुं [मार] १ कील प्रक[कीड् ] क्रीड़ा करना, खेलना। कीव पु [क्लीब] १ नपुंसक (वृह ४)। २ वि. कुत्सित मार (सूम २, २)। २ अत्यन्त मार, कीलइ (प्राप्र)। वकृ. कोलंत, कीलमाण कातर, अधीर (सुर २, १४ पाया १, १)। मृत-प्राय करनेवाला ताड़न (गाया १,१४)। (मुर १,१२१; पि २४०)। संकृ. कीलेत्ता, कीव पूं दे. कीव] पक्षि-विशेष (पएह १,
रंडा स्त्री [रण्डा] राँड़, विधवा (था कीलिऊग (सुर १, ११७: पि २४०)। ।
१६) । रुव, रूव न [रूप] १ खराब कील वि[दे] स्तोक, अल्प, थोड़ा (दे २, कीस वि [कीदृश] कैमा, किस तरह का | रूप (उप ३६२ टी; परह १, ४) । २ माया२१)। (भगः पराण ३४)।
विशेप (भग १२, ५)। लिंग न [लिङ्ग] कील देखो खील (पास)। कीस वि [किंस्त्र] कौन स्वभाववाला, कैसे
१ कुत्सित भेष (दस)। २ पु. कीट वगैरह कील पुंन [दे कील] कंठ, गला (सूत्र १, ५, स्वभाव का (भग)।
क्षुद्र जन्तु (विसे १७५४)। ३ वि. कुतीर्थिक, १,६)। कोस म [कस्मात् ] क्यों, किस से, किस
दूषित धर्म का अनुयायी (भावम)। °लिंगि कीलण न [कीलन] कील से बन्धन, खोले में कारण से ? (उवः हे ३, ६८)।
पुं[लिङ्गिन] १ कीट वगैरह क्षुद्र जन्तु नियन्त्रणः 'फरिणमणिकीलगदुक्खं विम्हरियं
(मोघ ७४८)। २ वि. कुतीथिक, असत्य धर्म कीस देखो किलिस्स। कीसंति (उत्त १६, पुहविदेवीए' (मोह २०)।
का अनुयायी (पएह १.२) । वय न [पद] कीलण न [कीडन] क्रीड़ा, खेल (प्रौप)। १५; वै ३३) । वकृ. कीसंत (वै ८३)।
खराब शब्दा धाई स्त्री [ धात्री] बालक को खेल-कूद | कुमकु] १ अल्प, थोड़ा। २ निषिद्ध, निवा
'सो सोहइ दूसंतो, कइयणरइयाई करानेवाली दाई (गाया १,१)। रित । ३ कुत्सित, निन्दित (हे २, २१७;
विविहकध्वाई। कीलणअ न [क्रीडनक] खिलौना (अभि
से १, २६; सम्म १)। ४ विशेष, ज्यादा जो मंजिऊण कुवयं, अन्नपयं सुंदरं देइ' २४२)। (गाया १, १४)। उरिस पुं[पुरुष
(वजा ६)। कोलणिआ। स्त्री [दे] रथ्या, गली (दे २, खराब आदमी, दुर्जन (से १२, ३३) । °चर वियप्प पुं[विकल्प] कुत्सित विचार कीलणी ३)।
वि [°चर] खराब चाल-चलनवाला, सदाचार- (सुपा ४४)। रिस देखो 'उरिस (पउम कीला स्त्री [दे] १ नव-वधू, दुलहिन (दे २, रहित (प्राचा)। "डंड पुं[दण्ड] पाश- ६५, ४५)। संसग पुं [°संसर्ग] खराब
विशेष, जिसका प्रान्त भाग काष्ठ का होता है। सोहबत, दुर्जन-संगति (धर्म ३)। सत्य पुन कीला स्त्री [कीला सुरत समय में किया जाता ऐसा रज्जु-पास (पएह १, ३)। डंडिम वि | [शास्त्र] कुत्सित शास्त्र, अनाप्त-प्रणीत हृदय-ताड़न विशेष (दे २, ६४)।
[दण्डिम] दण्ड देकर छीना हुमा द्वन्य सिद्धान्त; 'ईसरमयाइया सव्ये कुसत्था' (निचू
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