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इट्टाल - इम
इहाल न [ इट्टाल] ईंट का टुकड़ा ( दस ५, १, ६५)
वि [इष्ट ] १ अभिलषित, श्रभिप्रेत, वाञ्छित (विपा १, १ सुपा ३७० ) । २ पूजित, सत्कृत (धौप) ३ ग्रागमोफ, सिद्धान्त से अविरुद्ध (उप ८८२) ।
इट्ठ न [ इष्ट ] १ स्वाभ्युपगत, स्व-सिद्धान्त (घमंस ५१९) । २ न. तपो- विशेष, निर्वि कृति-तप (सम्बोध ५८ ) । ३ यागक्रिया (स ७१३)।
इट्ठि स्त्री [इष्टि ] इच्छा, अभिलाषा, चाह ( सुपा २४६ ) । २ याग - विशेष ( श्रभि २२७ ) । "इट्ठि स्त्री [ कृष्टि ] खींचाव, खींचना (गा १८) ।
[इडा ] शरीर के बाएँ भाग में स्थित नाड़ी (कुमा
इकुर न [दे] गाड़ी (घोष ४७६ ) । - इडुरग न [दे] रसोई ढकने का बड़ा पात्र इङ्कुरय) ( राय १४० ) ।
इडरिया स्त्री [दे] मिष्टान्न-विशेष, एक प्रकार की मिठाई (सुपा ४८५) इड्ढ वि[ऋद्ध] ऋद्धि-सम्पन्न (भग) । इड्ढि स्त्री [ऋद्धि] १ वैभव, ऐश्वयं, सम्पत्ति (सुर ३, १७) । २ लब्धि, शक्ति, सामथ्यं (उत्त ३) । ३ पदवी (ठा ३,४) । गारव न [गौरव ] सम्पत्ति या पदवी प्रादि प्राप्त होने पर अभिमान धौर प्राप्त न होनेपर उसकी लालसा (सम २ ठा ३, ४) । पत वि [प्राप्त ] ऋद्धिशाली (परण ११ सुपा ३६० ) । म, मंतवि [मत्] ऋद्धिवाला (निचू १० ठा ६) । इढिसय वि [दे] याचक-विशेष, माँगन की
एक जाति (भग ६, ३३ टी) ।
'इष्ण देखो दिष्ण (से ४, ३५) । " इण्ण देखो किण्ण (से ८, ७१) । इह न [चिह्न] चिह्न, निशान ( से १, १२: षड् ) 1
" इण्छा स्त्री [तृष्णा ] तृष्णा, प्यास, स्पृहा (गा ६३) ।
पाइअसद्दमहणवो
इण्डि [ इदानीम् ] इस समय इस वक्त दि १, ७६ पान ) । इतरेतरासय पुं [इतरेतराश्रय] तर्कशास्त्रप्रसिद्ध एक दोष, परार एक दूसरे की अपेक्षा (धर्मसं १९५८)
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इति देखो इइ (पि१८) । हास पुं ['हास] पूर्ववृत्तान्त, अतीतकाल की घटनामों का विवरण, पुरावृत्त (कप्प) । २ पुराणशास्त्र (भग) । इत्तए देखो इसक ।
इतर वि [ इत्वर ] १ ग्रल्प, थोड़ा ( भरतु) । २ अल्पकालिक, थोड़े समय के लिए जो किया जाता हो वह (ठा ६) । ३ थोड़े समय तक रहनेवाला (श्रा १६) । परिग्गहा बी [परिहा] थोड़े समय के लिए रक्खी हुई वेश्या, रखैल, रखात प्रादि ( भाव ६ ) । परिग्गहिया स्त्री [ परिगृहीचा ] देखो परिग्गहा (भाव ६ ) 1
इसरिय वि [ इत्वरिक ] ऊपर देखो (निचू २ माचा उवा; पंचा १० ) । ४ इतरिय देखो इयर (सूम २, २) । | इत्तरी स्त्री [इस्वरी] थोड़े काल के लिए रखी हुई वेश्या यादि (पंचा १) ।
णमो } व [ एतत् ] यह (वे १, ७१) । इलोप्पं [दे] यहाँ से लेकर, इतः प्रभृति
(पाच) ।
इत (अप) अ [अत्र ] यहां पर (कुमा) 1 इत्ताहे म [ इदानीम् ] इस समय, इस
वक्त, अधुना (पाय ) । इन्ति देखो इइ (कुमा)
इत्तिय वि [ इयत्, एतावत् ] इतना (हे २, १५६; कुमाः प्रासू १३८ षड् ) । इप्तिरिय वि [इत्वरिक] अल्पकालिक, जो थोड़े समय के लिए किया जाता हो ( स ४६; विसे १२६५) ।
इन्तिल देखो इन्तिय (हे २, १५६) इतो देखो इओ (श्रा १७ ) । इचो देखो इओअ (भा १४) ।
इत्थ म [ अत्र ] यहाँ, इसमें (कप्पः कुमा प्रासू १४१) ।
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इत्थं म [ इत्थम् ] इस तरह, इस प्रकार (पण २) । थवि [स्थ] नियत प्राकारबाला, नियमित (जीव १) ।
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इत्थंथ वि [ इत्थंस्थ] इस तरह रहा हुआ (दस E, ४, ७) ।
इत्थत्थ पुं [ इत्यर्थ] वह श्रर्थं (भग) । इत्थत्थ पुं [त्र्यर्थं ] स्त्री-विषय (पि १६२ ) । इत्थयं देखो इत्थ (श्रा १२ ) ।
इत्थि बीन [स्त्री] महिला, नारी; 'इत्यीणि वा पुरिसारिण वा (भाचा २, ११, ३) । इत्थि ( स्त्री [स्त्री] जनाना, भौरत, महिला इत्थी ) (सूम २ २ ३ २, १३० ) । कला
[का] स्त्री के गुण, स्त्री को सीखने योग्य कला (२) । कहा स्त्री [कथा] स्त्री-विषयक वार्तालाप (ठा ४) । पुंसंग पुंन [नपुंसक] एक प्रकार का नपुंसक (निचू १) । "णाम न [' नामन् ] कर्म- विशेष, जिसके उदय से स्त्रीत्व की प्राप्ति होती है ( गाया १८) । परिसह [परिषह ] ब्रह्मचर्यं (८८) । विप्पजह वि ['विप्रजह] १ स्त्री का परित्याग करनेवाला । २ पुं. मुनि, साधु (८) । वेद, वेय पुं ['वेद] १ स्त्री को पुरुष संग की इच्छा । २ कर्म-विशेष, जिसके उदय से स्त्री को पुरुष के साथ भोग करने की इच्छा होती है (भग; पण २३) । इत्थेण त्रि [खैण] स्त्रियों का समूह, स्त्री-जन 'लब्बसि किन महंतो दीरणाओ मारिसित्येरणा' ( उप ७२८ टी) । इदाणि देखो इयाणि (प्राचा) ।
इदाणि (शौ) देखो इयाणि ( प्राकृ ८७ ) । इदाणी } देखो इदाणि (संक्षि १९) । इदाणी इदिवित्त (सौ) न [ इतिवृत्त ] इतिहास ( मोह १२८ ) ।
इदुर न [दे] धान्य रखने का एक तरह का पात्र (अणु १५१) । -~
इदंड [दे] भौरा, मधुकर (दे १, ७९ ) । इग्गिधूम न [दे] तुहिन, हिम (बड्) । इद्धि देखो इडिट ( षड् ) । इध (शी) देखो इइ (हे ४, २६८) । इब्भ [इभ्य] धनी, मान्य (पा) । इन्भ पुं [दे] वणिक, व्यापारी (१, ७) । इभ पुं [इभ] हाथी, हस्ती (जं २; कुमा) । इभपाल पुं [ इभपाल] महावत ( सम्मत १५७)
इस [इदम् ] यह (हे ३, ७२) ।
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