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पाइअसमण्णवो
करपत न [करपत्र ] करपत्र क्रकच ( विपा करहुंच न [करहन ] छंद - विशेष (पिंग ) । १, ६) । [करहाट] वृक्ष-विशेष करहार
करहाड
शिफा कन्द, मैनफल (उ
करभ [करभ] ११ गउड) |
२
करभी स्त्री [करभी ] १ उष्टी, स्त्री- ऊँट, ऊंटनी ( पिंड ) । २ धान्य भरने का बड़ा पात्र (बृह २: कस) । देखो करही ।
करहाय [करहाटक] १ ऊपर देखो देश-विशेष कविसए चन्नर पनि सम्मि' ( स २५३) ।
करही देखो कर भी । ३ इस नाम का एक छन्द (पिंग) वि [ह] अँट सवार
"
करम [ [] क्षीरा, २, ६ पर)।
उष्ट्री पर सवारी करने वाला (महा) ।
करमंद ( गउड)
[करमन्द] वाला
विशेष
करमद्द पुं [करमर्द ] वृक्ष- विशेष, ( पण १ - पत्र ३२ ) ।
करौंदा
करमरी स्त्री [दे]
१५; षड् गा ५२७ पात्र ) ।
;
करय देखो करग (उप ७२८ टी पराण १: कुमा उत्र ७ ) । ३ पक्षि- विशेष ( परह १, १) ।
का गा
करदी श्री [दे] मल्लिका बेला (दे २,१८ ) । करयर अक [ करकरा ] 'कर-कर' आवाज करना । वकु. करयरंत ( पउम १४, ३५) । कररुद [कर रुद्र] विशेष (पिग करलि ) स्त्री [कदलि, °ली ] १ पताका । करली । २ हरिण की एक जाति । ३ हाथी का एक आभरण (हे १, १२० कुमा) । करन [दे. करक] जल-पात्रः पालिकरवा नीरं पाएउ पुच्छिो' (सुपा २१४ : ६३१) । करवंदी स्त्री [करमन्दी] लता-विशेष, एक जात का पेड़ (दे, ८३५) । करवत्ति स्त्री [करपात्रिका ] जल-पात्रविशेष (१२) ।
तस्वी२
करवाल [रवाल] खड्ग, तलवार (पाच सुपा ६० ) ।
|
कविया श्री [दे. कर्शकका] पान पान विशेष (सुपा Yes
करवीर [करवीर ] वृक्ष विशेष, कनेर का गाव (गड)।
करसी [हे] २, १७४) । करह पुं [करभ] १ ऊँट, उष्ट्र (पउम ५६, ४४ पाम कुमा; सुपा ४२७ ) । २ सुगंधी द्रव्य-विशेष (गउड ६६८ ) ।
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कराइनी [दे] पेड़ (दे २१८ ) ।
करादल
[करादल]
राजा ( ती ३७ ) !
करावि
कराल वि [कराल ] १ उन्नत, ऊँचा (ऋतु ५) २ रिसिका दंस लम्बा और बाहर निकला हो वह (गउड) । ३ भयानक, भयंकर (कप्पू) । ४ फाड़नेवाला। ५ विकसित ( से १०.४१ ) । ६ व्यवहित] ( से ११, ६९ ) । ७ वि. इस नाम का विदेह देश का राजा (पर्म १) |
कराल सक [ कराल्यू ] १ फाड़ना, छिद्र करना । २ विकसित करना । करालेइ (से १०, ४१) । कलिअ वि [कलित ] १ दन्दुरित, लम्बा और बहिर्मित दंतवाला से १२, १०) | २ व्यवहित किया हुआ, अन्तरालवाला बनाया हुआ (से ११, ६) । ३ भयंकर बनाया हुआ (पू)।
करली स्त्री [दे] दतवन, दाँत करने का काष्ठ (दे २, १२) ।
शुद्ध
करावण न [कारण ] करवाना, बनवाना, निर्मापन (सुपा ३३२ धम्म ८ टी) ।
गली, सेमर का
स्वनाम ख्यात एक
वि [कारित ] कराया हुआ (स
५६४ महा) ।
करि
[करिन] हाथी हस्ती (पाम प्रातु १६ ) | धरणट्ठाण न ['धरणस्थान ] हाथी को बाँधने का डोर - रज्जू, रस्सा ( पात्र ) || नाह [नाथ ] १ ऐरावण, इन्द्र का हाथी । २ उत्तम हस्ती (सुपा १०९ ) । बंधण [बन्धन ] हाथी पकड़ने का गर्त (पा) । मरपुं [मकर ] जल- हस्ती ( पाच ) । करिअ [करिक] एक माह (२०) |
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करपत फरिसिद्
करिअ देखो कर = कृ । करिअor f }
करिआ स्त्री [] मदिरा परोसने का पात्र (दे २, १४) ।
करिता करित्ताणं
करिण
करिएडवर्ड (अप) देखो कायन्त्र (हे ४, करिएव्व । ४३८ कुमाः पि २५४) । करिंत देखो कर= कृ | करिणिग्रामो [करिणी] हस्तिनी ही करिणी} J (महा पउम ८०, ५३; सुपा ४ ) । करिण[फरिन ] हाथी, हल्ली रे दु करिणाहम ! कुजाय ! संतमह (उप ६ टी) ।
देखो कर = कृ ।
करिमरी [दे] देखो करमरी (गा ५४ ५५ ) । करिल्ल न [दे] १ वंशांकुर, बाँस का कोपड़, रेतीली भूमि में उत्पन्न होनेवाला वृक्ष-विशेष, जिसे अं खाते हैं (दे २१०) २ तरकारी- विशेष 'यापुरिसाइकु भिक रिल मंसाई' (विसे २९३ ) । ३ अंकुर, कन्दल (धनु) । ४ पुं. करील वृक्ष, करील (षड् ) । ५. वि. वंशांकुर के समान 'हाहा ते चेय करिल्ल पिययमा बाहुस यणदुल्ल लिये' (गउड ) | करिस देखो कड्ड र ४ १५७) करिसंत (मुर १,२३० ) । संक करिमिता (२०२) । करिस [क] १ बचाव २ विलेखन, रेखा-करण । ३ मान- विशेष, पल का चौथा हिस्सा ( जो १) । करिस देखो करीस (हे १, १०१ पात्र ) । रिसग वि[कर्षक] खेती करनेवाला, कृषीवल ( उत्त ३; श्रावम)
=
करिसण न [कर्पण] १ खींचाव, आकर्षण । २ चासना, खेती करना । ३ कृषि, खेती ( परह १, १ ) ।
करिसय देखो करसग (सुपा २, २६०, सुर २, ७७)।
करिसावण पुंन [कार्षापण ] सिक्का विशेष (विसे ५०६ ) करिसिद (शी)
किर्षित] १
२ चासा हुआ, खेती किया हुआ (हेका ३३१ ) ।
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