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२४० पाइअसहमहण्णवो
कालुस्स-कासि कालुस्स न [कालुष्य कलुषपन (सा २)। काविलिय वि [कापिलीय] १ कपिल मुनि- तह भूयाई कयंतो, वत्थुसहावो इमो जम्हा' कालेज न [दे] तापिच्छ, श्याम तमाल का संबन्धी । २ न. कपिल मुनि के वृत्तान्तवाला
(सुपा ६५१)। पेड़ (दे २, २६)।
एक ग्रन्थांशः 'उत्तराध्ययन' सूत्र का आठवां | कासव पुं[कश्यप] १ इस नाम का एक कालेय न [कालेय] १ काली देवी का अपत्य। अध्ययन (सम ६४)।
ऋषि (प्रामा)। २ हरिण की एक जाति । २ सुगन्धि द्रव्य विशेष, कालचन्दन (स ७५)। काविसायण देखो कविसायण (जीव ३)। । २ एक जात की मछली। ४ दक्ष प्रजापति ३ हृदय का मांस-खण्ड, कलेजा (सूत्र १, कावी स्त्री दे] नीलवर्णवाली, हरा रंग की। का जामाता । ५ वि. दारू पीनेवाला (हे १, ५,१, रंभा)। चीज (दे २, २६)।
४३ षड्)। कालोद देखो कालोय (जीव ३)। कावुरिस देखो कापुरिस (स ३७५)। कासव न [काश्यप] १ इस नाम का एक कालोदधि ' [कालोदधि] समुद्र-विशेष | कावेअ न [कापेय ] वानरपन, चञ्चलता
गोत्र (ठा ७ गाया १, १ कप्प)। २ पुं. (पएह १, ५)। (अच्नु ६२)।
भगवान ऋषभदेव का एक पूर्व पुरुष । ३ वि. कालोदाइ पु[ कालोदायिन्] इस नाम का कावोय वि [दे] काँवर वहन करनेवाला काश्यप गोत्र में उत्पन्न, काश्यप-गोत्रीय (ठा एक दार्शनिक विद्वान् (भग ७, १०)। (अणु ४६)।
७-पत्र ३६०; उत्त ७; कप्प; सूत्र १,६)। कालोय पुं [कालोद] समुद्र-विशेष जो कास देखो कड् = कृष् । कासइ (षड्) ।
४ पुं. नापित, हजाम (भग ६,१० प्रावम)। घातकी-खण्ड द्वीप को चारों तरफ घिर कर
५ इस नाम का एक गृहस्थ (अंत १८)। ६ स्थित है (सम ६७)। कास प्रक [कास्] १ कहरना, रोग-विशेष
न. इस नाम का एक 'अंतगडदसा सूत्र का से खराब आवाज करना। २ कासना, खांसी काव । पुं[दे] १ काँवर, बहँगी, बोझ
अध्ययन (अंत १८)। को आवाज करना । ३ खोखार करना। ४ कावड , ढोनेके लिए तराजूनुमा एक वस्तु,
छींक खाना । वकृ. कासंत, कासमाण (पएह ।
कासवनालिया स्त्री [काश्यपनालिका] श्रीइसमें दोनों ओर सिकहर लटकाये जाते हैं १, ३-पत्र ५४ प्राचा)। संकृ. कासित्ता ।
पर्णीफल (प्राचा २, १, ८, ६; दस ५, २, (जीव ३; पउम ७५, ५२)। कोडिय पु (जीव ३)।
२१)। [कोटिक] काँवर से भार ढ़ोनेवाला कास पुंकाश, स] १ रोग-विशेष, खाँसी
कासविजया स्त्री [काश्यपीया] जैन मुनियों (अणु) । देखो काय = (दे)। (णाया १,१३)। २ तृण-विशेष, कासः 'कास
की एक शाखा (कप्प)। कावडि । स्त्री [दे] काँवर (कुप्र १२१; कुसुमंव मन्ने सुनिप्फलं जम्म-जीवियं निययं'
कासवी स्त्री [काश्यपी] १ पृथिवी, धरित्री कावोडि २४४, दस ४, १ टी)। (उप ७२८ टी); 'कासुकुसुमंव विलं' (प्राप
(कुमा)। २ कश्यकप-गोत्रीया स्त्री (कप्प) । कावडिअ पुंदे] वैवधिक, काँवर से भार ५८)। ३ उसका फूल जो सफेद और शोभाय
'रइ स्त्री [रति] भगवान् सुमतिनाथ की ढोनेवाला (पउम ७५, ५२)।
मान होता है; 'ता तत्थ नियइ धूलि ससहरकावध पुकावध्य] एक महाग्रह, ग्रहाधि- हरहासकाससंकास' (सुपा ४२८; कुमा)। ४ कासा स्त्री [कृशा] दुर्बल स्त्री ( हे १, १२७७ ष्ठायक देव-विशेष (राज)।
ग्रह विशेष, ग्रह-देव-विशेष (ठा २, ३)। ५ षड्)। काबलिअ वि [दे] असहन, असहिष्णु (दे। रस (ठा ७)। ६ संसार, जगत् (प्राचा)। कासाइया) स्त्री [काषायी] कषाय-रंग से २, २८)। कास देखो कंस - कांस्य (हे १,२६ षड्)।
कासाई रंगी हुई साड़ी, लाल साड़ी (कप्प; कावलिअवि कावलिक] कवल-प्रक्षेप रूप
उवा)। कासंकस वि [कासङ्कष] प्रमादी, संसार में आहार (भगः संग १८१)।
कासाय वि[काषाय] कषाय-रंग से रंगा आसक्त (प्राचा)।
हुमा वस्त्रादि (गउड)। कावालिअ पुंकापालिक] वाम-मार्गी, अघोर कासग देखो कासय; 'जेरण रोहंति बीजाई, सम्प्रदाय का मनुष्य (सुपा १७४, ३६७ दे जेण जीवंति कासगा' (निचू १)।
कासार न [कासार] १ तलाव, छोटा सरोवर १, ३१ प्रबो ११५)। कासण न [कासन] खोखारना, खाटकार
(सुपा १६६) । २ पक्वान-विशेष, कसार
| (स १८६)। ३ पुं. समूह, जत्था (गउड)। कावालिआ । स्त्री [कापालिकी कापालिक- (मोघ २३५)।
४ प्रदेश, स्थान (गउड)। भूमि स्त्री कावालिणी व्रतवाली स्त्री (गा ४०८)। कासमद्दग [कासमर्दक] वनस्पति-विशेष, |
[भूमि नितम्ब-प्रदेश (गउड)। काविट्ट न कापिष्ठ] देव-विमान-विशेष (सम गुच्छ-विशेष (पएण १-पत्र ३२)।
कासार न [दे] धातु-विशेष, सीसपत्रक (दे २७ पउम २०, २३)। कासय पुं[कर्षक] कृषीवल, किसान (दे
२, २७)। काबिल न [कापिल] १ सांख्य-दर्शन (सम्म कासव १,८७ पास);
कासि पुं [काशी] १ देश-विशेष, काशी १४५)। २ वि. सांख्य मत का अनुयायी | 'जह वा लुणाइ सस्साई,
जिला; 'कासित्ति जणवओं (सुपा ३१; उत्त कासवो परिणयाई छित्तम्मि। १८)। २ काशी देश का राजा (कुमा)।
(औप)।
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