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काई-काम पाइअसद्दमहण्णवो
२३५ काई स्त्री [काकी] कौए की मादा (विपा १, वनस्पति-विशेष, चकसेनी, घुघची (अनु ३)। काकोणंद [काकोनन्द] इस नाम की एक देखो काग, काय = काक ।
म्लेच्छ जाति, 'मिच्छा कागोणंदा विक्खाया काउ स्त्री [कापोती] लेश्या विशेष, प्रात्मा काकंदग पुं [काकन्दक] एक जैन महर्षि महियलम्मि ते सूरा' (पउम ३४, ४१)। का एक प्रकार का परिणाम (भग; आचा)। (कप्प)।
काठिण्ण न [काठिन्य] कठिनता (धर्मस 'लेसा स्त्री [ लेश्या] प्रात्म-परिणाम विशेष काकंदिय [काकन्दिक] एक जैन महर्षि ५१, ५४)। (समा ठा ३, १)। "लेस्स वि ["लेश्य (कप्प)।
काढ पुं [काथ] काढ़ा (कुलक ११)। कापोत लेश्यावाला (पएण १७भग)। काकंदिया स्त्री [काकन्दिका] जैन मुनियों | काण नि [काण] काना, एकाक्ष (सुपा ६४३)। लेम्सा देखो लेसा (पएण १७)। की एक शाखा (कप्प)।
काण वि [दे] १ सच्छिद्र, काना (प्राचा २, काउं देखो कर = कृ।
काकंदी देखो काईदी (गाया १, ६; ठा। १, ८) । २ चुराया हुआ । कय पुं [क्रय काउंबर पुं[काकोदुम्बर] नीचे देखो (राज)।
चुराई हुई चीज को खरीदना (सुपा ३४३; काउंबरी स्त्री [काकोदुम्बरी] पोषधि-विशेष, काकणि देखो कागणि (विपा १, २)। ३४४)। 'निबंबउंबउंबरकाउंबरिबोरि-' (उप १०३१ । काकलि देखो कागलि (ठा १०-पत्र ४७१)। काणच्छिनी दे] टेढ़ी नजर से देखना, टी परण १)। काग देखो काक (दे १, १०६; प्रासू ६०)।
| काणच्छिया कटाक्ष (दे २, २४, भवि); काउकाम वि [का काम करने को चाहन- तालसंजीवगनाय पुं [तालसंजीवकन्या
_ 'काणच्छियायो य जहा विडो तहा करेई वाला (प्रोघ ५३७)।
य] काकतालीयन्याय (उप १४२ टी)। काउड्डावण न [कायोड्डावन] उच्चाटन, दूर- तालिज्ज, तालीअन [तालीया जैसे काणण न [कानन] १ चन, जंगल (पाप)। स्थित दूसरे के शरीर का आकर्षण करना कौए का अतर्कित आगमन और ताल-फल बगीचा, उपवन (अनुः प्रौप)। (णाया १, १४)।
का अकस्मात् गिरना होता है ऐसा अवितकित काणत्थेव पुं[दे] विरल जल-वृष्टि, बूंद-बूंद काउदर पुं[काकोदर] साँप की एक जाति संभव, अकस्मात् किसी कार्य का होना (प्राचा; | बरसना (दे २, २६)। (पएह १, १)।
दे ५, १५)। थल न [स्थल देश-विशेष काणद्वी स्त्री [दे] परिहास (दे २, २८)। काउमण वि [कर्तुं मनस् ] करने की चाह - (दे २, २७) । पाल पुं [पाल] कुष्ठ
| काणिक्का स्त्री [दे] बड़ी ईंट (बृह ३)। वाला (उव; उप पृ ७०० सं ९०)। विशेष (राज) । °पिंडी स्त्री ["पिण्डी]
काणिट्टा स्त्री [काणेष्टा ] लोहे की ईंट काउरिस पुं [कापुरुष] १ खराब आदमी, अग्र-पिएड (प्राचा २, १, ६) । देखो
(वव ४)। नीच पुरुष । २ कातर, डरपोक पुरुष (गउड काय% काक।
काणिआर देखो कण्णिआर (संक्षि १७) । सुर ८, १५०सुपा १६२)। | कागंदी देखो काइंदी (अनु २)।
काणिय न [काण्य] अाँख का रोग, 'काणियं कारलदे बकबगला दे २.)। कागणि स्त्री [दे] १ राज्य, 'असोगसिरियो । झिम्मियं चेव, करिणयं खज्जियं तहा' (प्राचा)। काउसग्ग । पुंकायोत्सर्ग १ शरीर पर पुत्तो अंधो जायइ कागरिण' (विसे ८६२)। काणीण पुं [कानीन] कुंवारी कन्या से उत्पन्न काउस्सग के ममत्त कात्याग (उत्त २६)|| २ मांस का छोटा टुकड़ा (पीप)।
पुत्र (भवि)। २ कायिक-क्रिया का त्याग । ३ ध्यान के कागणी देखो कागिणी (था २७ ठा)। कादंब देखो कायंब (पएह १, १)। लिए शरीर की निश्चलता (पडि)। कागणी स्त्री [काकिणी] सवा गुजा का एक कादंबरी देखो कायंबरी (अभि १८८) । काऊ देखो काउ (ठा १: कम्म ४, १३)। बांट (अणु १५५)।
कादूसण वि [कदूषण] प्रात्मा को दूषित कागल पुं [काकल] ग्रीवास्थ उन्नत प्रदेश करनेवाला । स्त्री. °णिया (भग ६,५-पत्र काऊण) (अनु)।
२६८)। काओदर देखो काउदर (स्वप्न ६८)। कागलि) स्त्री [काकलि, ली] १ सूक्ष्म कापुरिस देखो काउरिस (णाया १,१)। काओली स्त्री [काकोली] कन्द-विशेष, वन
कागली । गीत-ध्वनि, स्वर-विशेष (सुपा काम पुकाम रोग, बीमारी (दसनि २,
५६ उप पू ३५) । २ देवी-विशेष, भगवान् स्पति-विशेष (पएण १)।
१५)। एव देखो कामदेव (कुप्र ४११)। अभिनन्दन की शासन-देवी (पव २७)। काओवग पुं [कायोपग] संसारी प्रात्मा |
'ग्घ न [] प्रायंबिल तप (संबोध ५८)। कागिणी स्त्री [काकिणी] १ कौड़ी, कपर्दिका डहण पुं[ दहन] महादेव, शिव (वजा (सूम २, ६)।
(उर ७, ३ उवः श्रा २८ टी)। २ बीस १८)। रुय देखो कामरूअ (धर्मवि ५६)। काओसग्ग देखो काउसग्ग (भवि)। कौड़ी के मूल्य का एक सिक्का (उप ५४५)। काम सक [कामय् ] चाहना, वाञ्छना। काक पुं[काक] १ कीमा, वायस (मनु ३)। ३ रत्न विशेष (सम २७, उप ९८६ टी)।। कामेइ (पि ४६१) । कामेति (गउड) । पक, २ ग्रह-विशेष, ग्रहाधिष्ठायक देव-विशेष (ठा कागी स्त्री [काकी] १ कौए की मादा (वा २ कामेंत कामअमाण (गा २५६; अभि २, ३–पत्र ७८)। 'जंघा स्त्री [जङ्घा] विद्या-विशेष (विसे २४५३)।
११)।
काऊणं देखो कर-कृ ।
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