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कण्हई-कथ पाइअसहमहण्णवो
२२१ करनेवाला एक उपासक (सुपा ५९२)। ४ । कण्हा स्त्री [कृष्णा] १ एक इन्द्राणी, ईशा- कत्तिकेअ ' [कार्तिकेय] महादेव का एक विक्रम की तृतीय शताब्दी का एक प्रसिद्ध नेन्द्र की एक अग्र-महिषी (ठा ८ --पत्र ४२६)। पुत्र, षडानन (दें ३, ५)। जैनाचार्य, दिगम्बर जैन मत के प्रवर्तक २ एक अन्तकृत स्त्री (अंत २५) । ३ द्रौपदी, कत्तिगी स्त्री [कार्तिकी] कात्तिक मास की शिवभूति मुनि के गुरू (विसे २५५३)। ५ पाण्डवों की स्त्री (राज)। ४ राजा थोगिक पूर्णिमा (पउम ८६, ३०; इक) । काला वर्ण (प्राचा)। ६ इस नाम का एक की एक रानी (निर १, ४)। ५ ब्रह्म देश कत्तिम वि [कृत्रिम] कृत्रिम, बनावटी (मुगा परिव्राजक, तापस (प्रौप)। ७ वि. श्याम-वणं, की एक नदी (प्रावम)।
८३; जं २)। काला रंगवाला (कुमा)। ओराल पुं
कण्हुइ अ [कचित् ] क्वचित्, कहीं भी कत्तिय पुं[कात्तिक] १ कातिक मास (सम [ओराल वनस्पति-विशेष (पराग १-पत्र (सन १.१)। २ कर से (उत्त)
६५)। २ इस नाम का एक श्रेष्ठी (निर १, ३४)। कंद पुं[ कन्द] वनाति-विशेष,
३)। ३ भरत क्षेत्र के एक भावी तीर्थकर के · कण्हुई देखो कण्हुइ (सूत्र २, २, २१)। कन्द-बिशेष (पराण-पत्र ३६)। कण्णि
पूर्व भव का नाम (सम १५४) । कतवार पुंदे] कतवार, कूड़ा (दे २,११)।। यार पुं[कगिकार] काली कनेर का गाछ कति देखो कइ = कति (पि ४३३, भग)।
___ कत्तिया स्त्री [कत्तिका] नक्षत्र-विशेष (सम (जीव ३)। "कुमार पुं [कुमार] राजा
११; इक)। कतु देखो कर = कतु (कप)। थेणिक का एक पुत्र (निर १, ४) । गोमी
कत्तिया स्त्री [कति का] कतरनी, कैंची (सुपा कत्त सक [कृत् ] काटना, छेदना, कतरना। २१.)। स्त्री [गोमिन् काला शृगालः 'कराहगोमी
कत्ताहि (पएह १,१)। वकृ. कत्तंत (ोष अनिता श्रीमतिकी जहा चित्ता, कंटगं वा विचित्तयं' (वव ६)।
कात्तिक मास °णाम न [नामन] कर्म-विशेष, जिसके
' की पूर्णिमा (सम ६६) । २ कात्तिक मास की कत्त सक [कृत् ] कातना, चरखे से सूत । उदय से जीव का शरीर काला होता है।
अमावास्या (चंद १०)। (राज)। पक्खिय वि [°पाक्षिक] १ क्रूर बनाना । वकृ. कत्तंत (पिंड ५७४)।
कत्तिवविय वि [दे] कृत्रिम, दिखाऊ, 'कत्तिकर्म करनेवाला (सूत्र २, २) । २ बहुत काल कत्त वि [क्लृप्तनिर्मित (संक्षि ४०)।
ववियाहि उवहिप्पहारगाहिं' (सूअनि. १,४)। तक संसार में भ्रमण करनेवाला (जीव) (ठा कत्त न [दे] कलत्र, स्त्री (षड्)। कत्तु वि [कर्त] करनेवाला, 'कत्ता भुता य १, १)। बंधुजीव गुं[बन्धुजीव] वृक्षः कत्तण न किर्तन] कातना (पिंड ६०२)। विशेष, श्याम पुष्पवाला दुपहरिया (जीव २)। कत्तण न [कर्त्तन] १ कतरना, काटना (सम
कत्तोय [कुतः] कहाँ से, किससे? (पउम भूम, भोम पुं [भूम] काली जमीन १२५, उप पृ २)। २ वि. काटनेवाला,
४७, ८; कुमा)। 'चय वि ["त्य कहां से (आवम; विसे १४५८)। राइ, राई स्त्री कतरनेवाला (सुर १, ७२)।
उत्पन्न ? (विसे १०१६) । [राजि, जी] १ काली रेखा (भग ६, ५;
कत्व सक[ कत्य् ] श्लाघा करना, प्रशंसना । ठा ८)। २ एक इन्द्राणी, ईशानेन्द्र की एक कत्तणया स्त्री [कर्त्तनता] लवन, कतराई
कत्थइ (हे १, १८७)। अग्र-महिषी (ठा ८; जीव ४)। ३ 'ज्ञाता.: (सुर १, ७२)।
कत्थ अ [कुन:] कहाँ से ? (षड्)। धर्मकथा' सूत्र का एक अध्ययन-परिच्छेद कत्तर पु द] कतवार, कूड़ा; 'इत्तो य कत्थ प्र[क, कुत्र] कहाँ ? (षड् ; कुमाः प्रासू (णाया २, १) । "रिसि पं.rऋपि] इस कावलमूसयकत्तरबहुझाारातडपाभाह; केसब- १२३) । इ अ [चित् ] कहीं, किसी नाम का एक ऋषि, जिसका जन्म शंखावती : किसी विण्ठा' (सुपा २३७) ।
जगह (आचाः कप्प, हे २, १७४)। नगरी में हुआ था (ती)। °लेस, लेस्स वि कत्तरिअ वि [कृत्त, कत्तित] कतरा हुप्रा,
कत्थ वि [कथ्य] १ कहने योग्य, कथनीय । [°लेश्य] कृष्ण-लेश्यावाला (भग)। °लेसा, काटा हुआ, लून (सुपा ५४६) ।
२ न. काव्य का एक भेद (ठा ४,४-पत्र लेस्सा स्त्री [°लेश्या] जीव का अति निकृष्ट कत्तरी स्त्री [कर्त्तर] कतरनी, कैंची (कप्प) ।
२८७)। ३ वनस्पति-विशेष (राज)। मनः-परिणाम, जघन्य-वृत्ति (भग; सम
कत्तवीरिअ पुं [कात्ताय] नृप-विशेष (सम ११, ठा १, १) । वडिसय, बडेंसय न १५३; प्रति ३६)।
कत्थंत देखो कह = कथय । [वितंसक] एक देव-विमान (राजा रणाया ।
कत्तव्य वि [कर्त्तव्य] १ करने योग्य (स कत्थभाण। स्त्री [कस्तभानी] पानी में होने२, १)। वल्लि, वल्ली स्त्री [°वल्लि, ल्ली]
१७२) । २ न. कार्य, काज, काम (श्रा ६)। वाली वनस्पति-विशेष (पएण १-पत्र घल्ली-विशेष, नागदमनो लता (पएण १)।
। कत्ता स्त्री [दे] अन्धिका-बूत को कपदिका, ३४)। सप्प सप] १काला साप (जीव कौड़ी (दे २,१)।
कत्थूरिया, स्त्री [स्तूरी मृग-मद, हरिण २ राहु (सुज २०) । देखो कन्ह।
, कत्ति स्त्री [कृत्ति] चर्म, चमड़ा (स ४३६; कत्थूरी की नाभि में होनेवाली सुगन्धित गउड गाया १,८)।
__ वस्तु (सुपा १४७ स २३६; कप्पू)। कण्हई [कुतश्चित् ] किसी से (सूत्र १, कत्ति वि [कर्तृ ] करनेवाला, 'किरिया ण कथ वि [दे] १ अरत, मृत। २ क्षीण, दुर्बल २, ३, ६)। देखो कण्हुइ। कत्तिरहिया' (धर्मसं १४५)।
(षड्)।
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