________________
२२०
पाइअसहमहण्णवो
कणेड्ढि आ-कण्ह
कणेढिआ स्त्री [दे] गुजा, धुंघची (दे २, [शोधन कान का मैल निकालने का एक वि. उस देश में उत्पन्न, वहां का निवासी २१)।
उपकरण (निचू ४)। हार पुंगधार देखो (कप्पू)। कणेर देखो कणिआर (हे १, १६८: पि धार (मच्नु २४ स ३२७)। देखो कन्न। कण्णास पुं[दे] पर्यन्त, अन्त-भाग (दे २, २५८)।
कण्णआर देखो कण्णिआर (प्राकृ ३०)। १४)। कणेरु । स्त्री [करेणु हस्तिनी, हथिनी ।
कण्णउज पुं [कान्यकुब्ज] १ देश-विशेष, कणि पुं[कणि] एक नरक-स्थान (देवेन्द्र कणेरुया । (हे २, ११६, कुमाः रणाया १, दोमाब, गङ्गा और यमुना नदी के बीच का २६)। १-पत्र ६४)।
देश। २ न. उस देश का प्रधान नगर, जिसको कण्णिआ स्त्री [कर्णिका] १ पद्म-उदर, कमल कणोवअ न [दे गरम किया हुआ जल, तेल
आजकल 'कन्नौज' कहते हैं (ती; कप्पू)। का बीज-कोष (दे ६, १४०)। २ कोण, वगैरह (दे २, १६)। कण्णंबाल न [दे] कान का प्राभूषण---
अस्त्र (अणुः ठा ८)। ३ शालि वगैरह के बीज का
का मुख-मूल. तुष-मुख (ठा ८)। कुए डल वगैरह (दे २, २३)। कन्या राशि-विप, कन्या राशि
कण्णिआर पुंकर्णिण फार] १ वृक्ष विशेष, 'हो य करणम्मि वट्टए उचो' (पउम १५, कणगा देखो कन्नगा (प्राव ४)।
कनेर का गाछ (कुमाः हे २, ६५; प्राप्र)। कण्णन्छरी श्री [दे] गृह-गोधा, छिपकली (दे २ गोशालक का एक भक्त (भग १४, १०)। कण्ण पुंकण्व] इस नामका एक परिव्राजक,
२, १६)।
३ न. कनेर का फूल (णाया १,६)। ऋषि विशेष (प्रौप, अभि २६२)।
कण्णडय (अप) देखो कण (हे ४, ४३२: । कण्णिलायण नकर्णिलायन] नक्षत्र-विशेष कण्ण कर्ण १ कोटि भाग, अग्रांश (सुज
का एक गोत्र (इक)। १,१)। २ एक म्लेच्छ-जाति (मृच्छ १५२)। कण्णल (अप) वि [कर्णाट] १ देश-विशेष, कण्णारह देखो कन्नीरह। कण्ण पुन [कर्ण] १ कान, श्रवण, श्रोत्र । कर्णाटक । २ वि. उस देश का निवासी कण्णुप्पल न [कर्णोत्पल] कान का आभूषण'करागाई' (पि ३५८; प्रासू २)। १ पुं. अङ्ग (पिंग)।
विशेष (कप्पू)। देश का इस नाम का एक राजा, युधिष्ठिर कण्णलोयण पुंन [कर्णलोचन] देखो कण्णि
कण्णेर देखो कणिआर (हे १, १६८)। का बड़ा भाई (गाया १, १६)। ३ काना,
लायण (सुज १०, १६)। वस्तु के छोर का एक अंश (अग० सूत्र ५१,
कण्गोच्छडिआ स्त्री [दे] दूसरे की वात कण्णल्ल पुंन [कर्णल] ऊपर देखो (मुज १०, १६)। "उर , अर न [पूर] कान का
गुपचुप सुननेवाली स्त्री (दे २, २२)। अाभूपण (प्राप्र; हेका ४५) । गइ स्त्री । १६ टी)।
कण्गोड्ढ स्त्री [दे] स्त्री को पहनने का [गति मेरु-सम्बन्धो एक डारी (जो १०)।
कण्णस वि [कन्यस] अधम, जघन्य (उत कणोडिढआ वस्त्र विशेष, नीरङ्गी दे 'जयसिंह देव पुं [जयसिहदेव] गुजरात
२, २० टी)। कण्णस्तरिय विदे] १ कानी नजर से देखा कण्णोढतीदे] देखो कण्णोच्छडिआदे देश का बारहवीं शताब्दी का एक यशस्वी राजा (ती)। दव देवा विक्रम की हुमा। २ न. कानी नजर से देखना (दे २,
२४)। तेरहवीं शताब्दी का सौराष्ट्र-देशीय एक राजा
कण्गोप्पल देखो कण्णुप्पल (नाट)। कण्णा स्त्री [कन्या] १ ज्योतिष-शास्त्र-प्रसिद्ध (ती)। धार [ धार] नाविक, निर्यामक
कण्णोल्ली स्त्री [दे] १ चञ्चु, चोंच, पक्षी का एक राशि । २ कन्या, लड़की, कुमारी (कप्पू: गाया १, ८) । पाउरण पु.[प्रावरण]
ठोर, ठोंठ । २ अवतंस, शेखर, भूषण-विशेष पि २८२)। चोलय न [चोलक] धान्य१ इस नाम का एक अन्तर्वी । २ उस अन्त
(दे २, ५७)। विशेष, जवनाल (णंदि)। ण न [ नय] द्वीप का निवासी (पएरण १)। पावरण
कण्णोवगणिआ स्त्री [कर्णोपकणिका] चोल देश का एक प्रधान नगर; 'चोलदेसावदेखो पाउरण (इक)। पीढ न [पीठ]
कर्णाकर्णी, कानाकानी (दे १, ६१)। यंसे करणाणयनयरे (ती)। लिय न कान का एक प्रकार का प्राभूषण (ठा ६)।
कण्गोस्सरिअ [दे] देखो कण्णरसरिय पर देखो ऊर (गाया १,८) । रवा स्त्री [ लोक] कन्या के विषय में बोला जाता
(दे २, २४)। [रवा] नदी-विशेष (पउम ४०, १३) । भूठ (परह १, ३)।
कण्ह पुं [कृष्ण] कन्द-विशेष (उत्त ३६, वालिया स्त्री [वालिका] कान के ऊपर
कण्णाआस न [दे] कान का आभूषणभाग में पहना जाता एक प्रकार का आभूषण । कुण्डल वगैरह (दे २, २३)।
कण्ह पुं [कृष्ण] १ श्रीकृष्ण, माता देवकी (ोप)। वेहणग न ["वेधनक] उत्सव- कण्णाइंधण न [दे] कान का आभूषण- और पिता वसुदेव से उत्पन्न नववाँ वासुदेव विशेष, कर्णवेधोत्सव (प्रौप) । सक्कुली स्त्री कुण्डल वगैरह (दे २, २३)।
(णाया १,१६)। २ पांचवाँ वासुदेव और [शष्शुली] १ कान का छिद्र । २ कान की कण्णाड पुं [कर्णाट] १ देश-विशेष, जो बलदेव के पूर्व जन्म के गुरू का नाम (सम लंबाई (गाया १, ८)। सोहण न आजकल 'कर्णाटक' नाम से प्रसिद्ध है। २ १५३) । ३ देशावकाशिक व्रत को प्रतिचरित
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org