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२०४ पाइअसद्दमण्णवो
ओवाह-ओसह ओवाह सक [अव + गाह ] अवगाहना। ओसकइत्ता, ओसक्किय, ओसक्किऊण ओसमिअ वि [उपशमित] शान्ति-प्राप्त प्रोवाहइ (प्राप्र)। (ठा ८७ दस ४; सुर २, १५)।
(सम ३७)। ओवाहिअ वि [अपवाहित] १ नीचे गिराया ओसक विदे. अवष्वष्कित] अपसृत, पीछे ओसर अक[अव + तु] १ नीचे माना। हुवा (से ६, १६, १३, ७२)। २ घुमाकर हटा हुआ (दे. १, १४६; पान)।
२ अवतरना, जन्म लेना। प्रोसरइ (षड्) । नीचे डाला हुआ (से ७,५५)। ओसक्कण न [अवष्वष्कण] १ अपसरण (स )
ओसर अक [अप + स] अपसरण करना, ओविअ वि [दे] १ आरोपित, अध्यासित ।
६३)। २ नियत काल से पहले करना (धर्म पीछे हटना । २ सरकना, खिसकना, फिस२ मुक्त, परित्यक्त। ३ हृत, छीना हुआ। ३)। ३ उत्तेजन (बृह २)।
लना । प्रोसरह (महा काल)। वक. ओसरंत ४ न. खुशामद। ५ रुदित, रोदन (दे १,
(गा १८ ३६३; से ६, २६६, ८२, १२, ओसक्किय वि [अवष्वष्कित] नियत काल | १६७)। ६ वि. परिकर्मित, संस्कारित (कप्प)। ७ खचित, व्याप्त (प्रावम)। ८ | से पहले किया हुआ (पिड २६०)।
ओसर सक [अव + स्] आना, तीर्थकर उज्ज्वालित, प्रकाशित (गाया १, १६) । ६ ओसट्ट अक [वि + सृप्] फैलना, पसरना।
आदि महापुरुष का पधारना (उप ७२८ टी)। विभूषित, शृंगारित (प्राप) । देखो उविय। प्रोसट्टइ (गा ८५६)।
ओसर पुं [अवसर] १ अवसर, समय (सूत्र ओविद्ध वि [अपविद्ध] १ प्रेरित, पाहत ओसट्ट वि [दे] विकसित, प्रफुल्लित (षड्)
१, २) । २ अन्तर (राज)। (से ७,१२)। २ नीचे गिराया हुआ (से १३, । ओसडिअ विदे] पाकीणं, व्याप्त ( षड्)। ओमान अवसरण] १ जिन-देव का २६)।
ओसढ न [औषध] दवा, इलाज, भैषज उपदेश स्थान (उप १३३, रयण १)। २ ओवील सक[अव + पीडय ] पीड़ा पहुं. (हे १, २२७)।
साधुओं का एकत्रित होना (सूत्र १, १२)। चाना, मार-पीट करना। वकृ. ओवीलेमाण
ओसढि वि औषधिक] वैद्य, चिकित्सक ओसरण न. अपसरण] १ हटना, दूर होना। (णाया १, १८-पत्र २३६)।
(कुमा)।
। २ वि. दूर करनेवालाः 'बहुपावकम्मोसरणं ओवीलय देखो उध्वीलय (पराह १, ३)। ओसण न [दे] उद्वेग, खेद (दे १ १५५)।
(कुमा १)। ओवुब्भमाण देखो ओवह ।
ओसण्ण वि [अवसन्न] १ खिन्न (गा ३८२ ओसरिअ वि[६]१ पाकीर्ण, व्याप्त । २ ओवेहा स्त्री [उपेक्षा] १ उपदर्शन, देखना। से १३, ३०)। २ शिथिल, ढीला (वव ३)।
आँख के इशारे से संकेतित या इंगित (षड्)। २ अवधोरणः 'संजयगिहिचोयणचोयणे य
देखो ओसन्न।
___३ अधोमुख, अवनत । ४ न. अाँख का इशारा वावारोवेहा' (प्रोघ १७१ भा)।
ओसण्ण वि [दे] त्रुटित, खण्डित (दे १, (दे १, १७१)। 'ओव्वण देखो जोव्यण (से ७, ६२)। १५६; षड् )।
| ओसरिअ वि [अवसृत] प्रागत, पधारा हुआ ओव्वत्त अक [अप + वृत्] १ पीछे ओसण्णं प्र[दे] प्रायः बहुत कर (कप्प) ।।
| (उप ७२८ टी)। फिरना, लौटना। २ अवनत होना। संकृ. ओसत्त वि [अवसक्त] संबद्ध, संयुक्त (णाया
ओसरिअ वि [अपसृत] १ पीछे हटा हुआ १, ३; स ४४६)। ओवत्तिऊण (ोघ भा ३० टी)।
(पउम १६, २३ पानः गा ३५१)। २ न. ओसधि देखो ओसहि (ठा २, ३)। ओव्वत्त वि [अपवृत्त] पीछे फिरा हुआ। ओसद्ध विद] पातित, गिराया हुआ (पास)।
अपसरण (से २,८)। २ नमा हुआ, अवनत (से ८, ८४)।
ओसन्न देखो ओसण = अवसन्न (सुर ४, ओसरिअ वि [उपसृत संमुखागत, सामने ओव्वेव्व देखो उव्वेव (संक्षि ३५)।
३४ गाया १, ५ संE; पुप्फ २१) । ३ आया हुआ; (पान)। ओस देखो ऊस - ऊष (दस ५, १, ३३)।
न. एकान्तः 'पोसन्ने देइ गेएहइ वा' (उव)। ओसरिआ स्त्री [दे] अलिन्दक, बाहर के दरओस पुदे देखो ओसा (राज)। चारण
ओसन्न वि [अवसन्न] निमग्न (दसचू १, वाजे का प्रकोष्ठ (दे १, १६१)। पुं[चारण] हिम के अवलम्बन से जाने
ओसव पुं [उत्सव] उत्सव, आनन्द-क्षण वाला साधु (गच्छ)।
ओसन्नं देखो ओसण्णं (कम्म १, १३, विसे (प्राप्र)। ओसक्क सक [ अव + ध्वष्क ] कम करना, २२७५) ।
ओसविय देखो ओसमिअ (पिंड ३२६)। घटाना। संकृ. ओसक्किया (दस ५,१,६३)। ओसप्पिणी स्त्री [अवपिणी] दश कोटा- ओसविय वि [उच्छयित] ऊँचा किया हुआ ओसक्क अक [अव + ष्वष्क] १ पीछे कोटि सागरोपमपरिमित काल-विशेष, जिसमें (पउम ८, २६६)। हटना, अपसरण करना । २ भागना, पलायन | सर्व पदार्थों के गुणों की क्रमशः हानि होती ओसव्विअ वि [दे] १ शोभा-रहित । २ न. करना। ३ उदीररण करना, उत्तेजित करना। जाती है (सम ७२, ठा १)।
अवसाद, खेद (दे १,१६८)। प्रोसकइ (पि ३०२,३१५) । वकृ. ओसकंत, ओसम सक [उप + शमय ] उपशान्त ओसह न [औषध] दवाई, भैषज (प्रौप; ओसकमाण (से ५, ७३; स ६४)। संकृ. करना । भवि. अोसहिति (पिंड ३२६)। स्वप्न ५१)।
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