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२१४ पाइअसहमहण्णवो
कञ्च-कच्छुरी कञ्च न [दे. कृत्य] कार्य, काम (दे २, २, कच्छ पुं. ब. [कच्छ] १ स्वनाम-ख्यात देश, नारद की वीणा (णाया १,१७)। ४ पुस्तक(षड्)।
जो आजकल भी 'कच्छ नाम से प्रसिद्ध है विशेष (ठा ४, २)। कञ्च (१) देखो कज (प्राप्र)।
(पउम ६८, ६५; दे २, १ टी)। २ जलप्राय | कच्छर पुं[दे] पङ्क, कीच, कर्द (दे २,२)। कञ्च न [काच काच, शीशा; 'कच्चं माणिक्क देश, जल-बहुल देश (णाया १, १-पत्र; कच्छरी स्त्री [कच्छरी] गुच्छ विशेष (पएण च समं आहरणे पउंजीअदि (कप्पू)।
३३; कुमा) । ३ कच्छा, लँगोट (सुर २, १-पत्र ३२)। कञ्चंत वि [कृत्यमान] पीड़ित किया जाता
१६)। ४ इक्षु वगैरह की वाटिका (कुमाः | कच्छव (अप) पुं [कच्छ] स्वनाम-प्रसिद्ध (सूत्र १, २, १)।
आचा २, ३)। ५ महाविदेह वर्ष में स्थित | देश-विशेष (भवि)। कचरा स्त्री [दे] १ कचरा, कच्चा खरबूजा।
एक विजय-प्रदेश (ठा २, ३)। ६ तट, कच्छव देखो कच्छभ (पउम ३४, ३३ दे
किनारा; 'गोलारणईए कच्छे, चक्खंतो राइप्राइ । १,१६७ (गउड)। २ कचरा को सूखाकर, तलकर और मसाला डालकर बनाया हुआ खाद्य-विशेष, एक
पत्ताई' (गा १७१)। ७ नदी के जल से कच्छवी देखो कच्छभी (बृह ३)।
वेष्टित वन (भग)। ८ भगवान ऋषभदेव का कच्छह देखो कच्छभ (पाप)। प्रकार का आचार, गुजराती में जिसको 'काचरी' कहते हैं, 'पुणो कच्चरा पप्पड़ा
एक पुत्र (आवम)। ६ कच्छ-विजय का एक कच्छा स्त्री [कक्षा] १ विभाग, अंश (पउम
राजा। १० कच्छ-विजय का अधिष्ठायक देव १६,७०)। २ उरो बन्धन, हाथी के पेट पर दिएणभेया' (भवि)।
(जं ४) । ११ पाश्ववर्ती प्रदेश। १२ राजा बाँधने की रज्जू; 'उप्पीलियकच्छे (विपा १, कञ्चबार पुं[दे] कतवार, कूड़ा (सूक्त ४४)।
वगैरह के उद्यान के समीप का प्रदेश (उप २-पत्र २३, औप)। ३ काँख, बगल कमाइणी स्त्री [कात्यायनी] देवी-विशेष,
९८६ टी)। १२ छन्द-विशेष, दोधक छंद (भग ३, ६, प्रामा)। ४ श्रेणी, पंक्ति; चएडी (स ४३७)।
का एक भेद (पिंग)। कूड न [कूट] १ 'चमरस्स एं प्रसुरिंदस्स असुरकुमारएणो दुमस्स कञ्चायण पुं [कात्यायन] १ स्वनाम-ख्यात माल्यवन्तनामक वक्षस्कार पर्वत का एक पायत्तारिणयाहिवस्स सत्त कच्छाओ पररगत्ताओ' ऋषि-विशेष (सुज्ज १०)। १ न. कौशिक शिखर । २ कच्छ-विजय के विभाजक वैताढय (ठा ७)। ५ कमर पर बांधने का वस्त्र (गा गोत्र की शाखा-रूप एक गोत्र । ३ पुंस्त्री. उस पर्वत के दक्षिणोत्तर पाववर्ती दो शिखर ६८४)। ६ जनानखाना, अन्तःपुर (ठा ७)। गोत्र में उत्पन्न (ठा ७–पत्र ३६०) (ठा)। ३ चित्रकूट पर्वत का एक शिखर ७ संशय-कोटि । ८ स्पर्धा-स्थान । घर की कच्चायणी स्त्री [कात्यायनी] पार्वती, गौरी (जं ४)। हिव पुं [धिप] कच्छ देश भीत । १० प्रकोष्ठ (हे २, १७)। (पास)।
का राजा (भवि)। हिवइ पुं[धिपति] कच्छा स्त्री [कच्छा] कटि-मेखला, कमर का कच्चि अ [कञ्चित् ] इन अर्थों का सूचक | कच्छ देश का राजा (भवि)।
प्राभूषण (पान)। वई स्त्री [°वती] देखो अव्यय-१ प्रश्न । २ मंडल । ३ अभिलाप। कच्छ पुन [कच्छ] १ नदी के पास की कच्छगावई (जं ४)। वईकूड न [°वती४ हर्ष (पि २७१ हे २, २१७ २१८)। नीची जमीन । २ मूला आदि की बाड़ी कूट] महाविदेह वर्ष में स्थित ब्रह्मकूट पर्वत कच्चु (अप) ऊपर देखो (हे ४, ३२६)। (पाचा २, ३, ३, १)।
का एक शिखर (इक)। कच्चूर [कचूर] वनस्पति-विशेष, कचूर, कच्छकर पु[दे] काछिआ, सब्जी बेचने- कच्छादब्भ पुं [दे. कक्षादर्भ] रोग विशेष
वाला। (लोक प्र० ४६४, २, ३१---सर्ग)। काली हलदी (श्रा २०)।
(सिरि ११७) । कचोल । पुन [कचोलक] पात्र-विशेष,
कच्छगावई स्त्री [कच्छकावती] महाविदेह | कच्छ स्त्री [कच्छू] : खुजली, खाज, रोगकचोलय प्याला (पउम १०२, १२; भवि
वर्ष का एक विजय-प्रदेश (ठा २, ३)। । विशेष (प्रासू २८)। २ खाज को उत्पन्न सुपा २०१)।
कच्छट्टी स्त्री [दे] कछौटी, लँगोटी, कछनी करनेवाली औषधि, कपिकच्छ (पएह २, कच्छ कक्ष १ काँख, कखरी। २ वन, (रंभा -टि)।
५)। ल, ल्ल वि [मत् ] खाज रोगजंगल (भग ३, ६)। २ तृण, घास । ४ / कच्छभ पु[कच्छप] १ कूम, कछुपा (परह
वाला (राज; विपा, १, ७)। शुष्क तृण । ५ वल्ली, लता। ६ शुष्क काष्ठों १,१ णाया १, १) २ राहु, ग्रह-विशेष कच्छुट्टिया स्त्री [दे. कच्छपटिका कछौटी, वाला जंगल। ७ राजा वगैरह का जनान
(भग १२, ६)। रिंगिय न ["रिङ्गित लँगोटी (रंभा)। खाना। ८ हाथी को बाँधने की डोर । ६ ___ गुरु-वन्दन का एक दोष, कछुए की तरह कच्छुरिअ वि [दे] १ इर्षित, जिसकी ईर्ष्या पावं. वाजू । १० ग्रह-भ्रमण । ११ कक्षा, । चलते हुए वन्दन करना (बृह ३; गुभा)। की जाय वह । २ न. ईर्ष्या (दे २, १६)। श्रेणी । १२ द्वार, दरवाजा । १२ वनस्पति- कच्छभाणिया स्त्री [दे] जल में होनेवाली कच्छुरिअ वि [कच्छुरित] व्याप्त, खचित विशेष, गूगल । १४ विभीतक वृक्ष। १५ वनस्पति-विशेष (सूत्र २, ३, १८)। (कुम्मा ६ टी)। घर की भीत। १६ स्पर्धा का स्थान। १७ / कच्छभी स्त्री [कच्छपी] १ कच्छप-स्त्री, | कच्छुरी स्त्री [दे] कपिकच्छु, केवाँच (दे जल-प्राय देश (हे २,१७)।
। कूर्मी। २ वाद्य-विशेष (पएह २, ५)। ३, २, ११)।
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