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१३४ पाइअसहमहण्णवो
इमेरिस-इसिण इमेरिस वि [एतादृश ऐसा, इसके जैसा (पडिठा २)। समिइ स्त्री [°समिति] प्रफुल्लासवेल्लिअमल्लिाप्रक्खतल्लएण' (विक (सण) V
विवेक से चलना, दूसरे जीव को किसी २३)। इय देखो इम (महा)।
प्रकार की हानि न हो ऐसा उपयोग-पूर्वक | इल्लिया स्त्री [इल्लिका] क्षुद्र जीव-विशेष, इय देखो इइ (षड् ; हे १, ६१; प्रौप)। चलना (ठा ८)। समिय वि [°समित] अन्न में उत्पन्न होनेवाला कीट-विशेष (जी इय न [दे] प्रवेश, पैठ (प्रावम)
विवेक-पूर्वक चलनेवाला (विपा २, १) १६)। . इय वि [इत] १ गत, गया हुआ (सूअ १, | इल पुं [इल] १ वाराणसी का वास्तव्य इल्लीर न [दे] १ आसन-विशेष । २ छाता। ६)। २ प्राप्त; 'उदमित्रो जस्सीसो जयम्मि
स्वनाम-ख्यात एक गृहपति-गृहस्थ (गाया ३ दरवाजा, गृह-द्वार (दे १,८३)। चंदुव्व जिणचंदो' (सार्ध ७१; विसे)। ३
२)। २ न. इलादेवी के सिंहासन का नाम इव इव] इन अर्थों का द्योतक अव्ययज्ञात, जाना हुपा (प्राचा)।
(णाया २)। 'सिरी स्त्री [श्री] इल नामक १ उपमा । २ सादृश्य, तुलना। ३ उत्प्रेक्षा इयहिं अ [ इदानीम् ] हाल में, इस समय, । गृहस्थ की स्त्री (णाया २)।
(हे २, १८२; सण)। अधुना (ठा, ३)।
'इलंतअ देखो किलंत (से ३, ४७)। इसअ वि [दे] विस्तीर्ण ( षड्)। इयर वि [इतर] १ अन्य, दूसरा (जी ४६; इला स्त्री [इला] १ पृथिवी, भूमि (से २,
इसणा देखो एसणा (रंभा)। प्रासू १००)। २ हीन, जघन्य (प्राचा १, ११)। २ धरणेन्द्र की एक अग्र-महिषी (णाया
इसाणी स्त्री [ऐशानी] ईशान कोण, पूर्व ६, २) २) । ३ इल नामक गृहस्थ की पुत्री (णाया
और उत्तर के बीच की दिशा (नाट)। इयरहा अ [इतरथा] अन्यथा, नहीं तो, अन्य २)। ४ रुचक पर्वत पर रहनेवाली एक । प्रकार से (कम्म १, ६०)।
इसि पुं [ऋषि] १ मुनि, साधु, ज्ञानी, महात्मा दिवकुमारी (ठा ८)। ५ राजा जनक की इयरेयर वि [इतरेतर] अन्योन्य, परस्पर
(उत्त १२; अवि १४)। २ ऋषिवादि-निकाय माता (पउम २१, ३३)। ६ इलावर्धन नगर (राज)। में स्थित एक देवता (आवम)। कूड न
का दक्षिण दिशा का इन्द्र, इन्द्र-विशेष (ठा २, इयाणि) अ [इदानीम] हाल में, इस
३)। गुत्त पुं[गुप्त] १ स्वनाम-ख्यात एक [°कूट] इलादेवी के निवास-भूत एक शिखर इयाणि समय (भग; पि १४४)।
जैन मुनि (कप्प) । २ न. जैन मुनियों का एक (ठा ४)। पुत्त पुं[पुत्र] इलादेवी के इर देखो किल (हे २, १८६; नाट) ।।
कुल (कप्प)। गुत्तिय न [गुप्तीय जैन प्रसाद से उत्पन्न एक श्रेष्ठि-पुत्र, जिसने नटिनी इरमंदिर पुं[दे] करभ, ऊँट (दे १,८१)।
मुनियों का एक कुल (कप्प)। दास पुं पर मोहित होकर नट का पेशा सीखा और इराव पुं[दे] हाथी (दे १,८०)।
[दास] १ इस नाम का एक सेठ, जिसने अन्त में नाच करते-करते ही शुद्ध भावना से इरावदी (शौ) स्त्री [इरावती] नदी-विशेष
जैन दीक्षा ली थी। २ 'अनुत्तरोववाइदसा केवलज्ञान प्राप्त कर मुक्ति पाई (प्राचू ) । वइ । (नाट)।
सूत्र का एक अध्ययन (अनु २)। दत्त, दिण्ण पुं[पति] एलापत्य गोत्र का प्रादि पुरुष इरि देखो गिरि; "विझइरिपवरसिहरे' (पउम
पुं[दत्त] एक जैन मुनि (कप्प)। पालिय (मंदि) । वडंसय न [वितंसक इलादेवी १०, २७)।
पुं[पालित] ऐरवत क्षेत्र के पांचवें तीर्थंकर का प्रासाद (गाया २) IV . इरिण न [ऋण] करजा, ऋण (चारु ६६)।
का नाम (सम १५३)। पालिया स्त्री इलाइपुत्त देखो इला-पुत्तः 'धन्नो इलाइपुत्तो | [°पालिता] जैन मुनियों की एक शाखा इरिण न [दे] कनक, सुवर्ण (दे १, ७६; चिलाइपत्तो प्रबाहमणो' (पडि)
(कप्प) । भद्दपुत्त पुं भद्रपुत्र] एक जैन गउड)।
इलिया स्त्री [इलिका] क्षुद्र जीव-विशेष, श्रावक (भग ११, १२)। भासिय न इरिय सक [ईर] जाना, गति करना। इरि
चीनी और चावल में उत्पन्न होनेवाला कीट-: [भाषित] १ अंगग्रन्थों के अतिरिक्त जैन यामि (उत्त १८, २६; सुख १८, २६) । विशेष (जो १७) ।
आचार्यों के बनाए हुए उत्तराध्ययन आदि इरिया स्त्री [दे] कुटी, कुटिया (दे १,८०)। इली स्त्री [इली] शस्त्र-विशेष, एक जाति की शास्त्र (आवम) । २ 'प्रश्नव्याकरण' सूत्र का इरिया स्त्री [ ईर्या ] गमन, गति, चलना तलवार की तरह का हथियार (पएह १,३)। तृतीय अध्ययन (ठा १०)। वाइ, वाइय, (माचा). वह [पथ] १ मार्ग में
| इल्ल पुं [दे] १ प्रतीहार, चपरासी। २ वादिय पुं[वादिन] व्यन्तरों की एक जाति जाना (ओघ ५४)। २ जाने का मार्ग, रास्ता लवित्र, दाँती। ३ वि. दरिद्र, गरीब । ४ (प्रौपः परह १, ४)। वाल पुं [पाल] १ (भग ११, १०)। ३ केवल शरीर से होनेकोमल, मृदु । ५ काला, कृष्ण वर्णवाला।
ऋषिवादि-व्यन्तरों का उत्तर दिशा का इन्द्र वाली क्रिया (सूत्र २, २)। वहिय न (दे १, ८२)
(ठा २, ३)। २ पाचवें वासुदेव का पूर्वभवीय [पथिक] केवल शरीर की चेष्टा से होनेवाला इल्लपुलिंद पुं[द] व्याघ्र, शेर (चंड)। नाम (सम १५३) । वालिय पुं[पालित] कर्मबन्ध, कर्म-विशेष (सूम २, २, भग ८, इल्लि [द] १ शार्दूल, व्याघ्र । २ सिंह।
ऋषिवादिव्यन्तरों के एक इन्द्र का नाम (देव)। ८)। वहिया स्त्री [पथिकी] कषाय- ३ छाता (दे.१, ८३)
इसिण पुं[इसिन] अनार्य देश विशेष (णाया रहित केवल कायिक क्रिया, क्रिया-विशेष इल्लिय विद] आसिक्त, उप्पेलणफुल्लाविग्रहल्ल- १,१)।
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