________________
१३८
पाइअसहमहण्णवो
उईरण-उत्कंठा उईरण देखो उदीरण (ठा ४; पुप्फ १६५) उंछ पुं[दे] वस्त्र छापने का काम करने विशेष (विपा १, ७)। २ एक सार्थवाह का उईरणया) देखो उदीरणा (विसे २५१५ | वाला शिल्पी, छापी; जो कपड़ा छापता है, पुत्र (विपा १, ७)। पंचग, पणग न उईरणा ) टी; कम्मप १५८ विसे २६६२)
छीट बनाता है वह (द १,९८पाम)। [पञ्चक] बड़, पीपल, गूलर, प्लक्ष और
उंज सक [सिच्] सोंचना, छोड़कना । काकोदुम्बरी इन पांच वृक्षों के फल (सुपा उईरिय देखो उदीरिय (पुष्फ २१६) ।
उजिजा (राज)। भवि-उंजिस्सइ (सुपा ४६; भग ६, ३३)। पुप्फ न [पुष्प] उउ त्रि [ऋतु] १ ऋतु, दो मास का काल |
गूलर का फूल (भग ६, ३३)। विशेष, वसन्त भादि छः प्रकार का काल उंज सक [युज ] प्रयोग करना, जोड़नाः उंबर वि [दे] बहुत, प्रचुर (दे १,९०)।(प्रौपः अन्त ७); 'उऊए', 'उऊई' (कप्प)। 'अहमवि उंजेमि तह किंपि' (धम्म ८ टी) उंबरउप्फ न [दे] नवीन अभ्युदय, अपूर्व २ स्त्री-कुसुम, रजो-दर्शन, स्त्री-धर्म (ठा ५, |
उंजायण न [उायन] गोत्र-विशेष, जो उन्नति (दे १, ११६) २)। बद्ध पुं[बद्ध] शीत और उष्णकाल, वशिष्ठ-गोत्र की एक शाखा है (ठा ७)। उंबरय पुं[दे] कुष्ठ रोग का एक भेद (सिरि वर्षा-काल के अतिरिक्त पाठ मास का समय
उजिअ वि [सिक्त] सिक्त, छीड़ का हुआ (ोघ २६; २६५, ३४८)। मास पुं | (सुपा १३६)
उंबा स्त्री [दे] बन्धन (दे १,८६)। ['मास] १ श्रावण मास (वव १ टी )। २
उंड । विदे] १ गभीर, गहरा (दे १, तीस दिनवाला मास (सम)। य वि [ज]
उंबी स्त्री [दे] पका हुमा गेहूँ (दे १, ८६; | उंडग८५ सुपा १५ उप १४७ टी; ठी | ऋतु में उत्पन्न, समय पर उत्पन्न होनेवाला उंडय | १० श्रा १६) । २ पुं. पिण्ड; 'बालाई | उबेभरिया स्त्री [दे] वृक्ष-विशेष (पएण १)। (पएह २, ५, णाया १, १); 'उयप्रगुरुवर- मंसउडग मज्जाराई विराहेज्जा' (ोघ २४६ | उभ सक [दे] पूत्ति करना, पूरा करना पवरधूवणउउयमल्लाणुलेवणविहीसु। गंधेसु भा)। ३ चलते समय पाव में पिण्ड रूप से (राज) रज्जमारणा रमंति धारिणदियवसट्टा' (वाया | लग जाय उतना गहरा कीचड़, कर्दम (ोष | उकिट्र देखो उक्किट (पिंग)।
३३ भा)। ४ शरीर का एक भाग, मांस पिंड; | उकुरुडिया [दे] देखो उक्कुरुडिया (निर संधि पुंस्त्री [[संधि] ऋतु का सन्धि-काल, | 'हिययउंडए' (विपा १, ५)
१, १)। ऋतु का अन्त समय (प्राचा)। संवच्छर | उंडग न [दे] स्थंडिल, स्थान, जगह (दस उक्त वि [उत्क] १ उत्सुक, उत्कण्ठित (सुर पुं[संवत्सर] वर्ष-विशेष (ठा ५)। देखो | उंडुअ ४,१, ५, १,८७)
३, ५३)। एक विद्याधर राजा का नाम उइ = उउ । उंडल न [दे] १ मञ्च, मचान, उच्चासन।
(पउम १०, २०)। उउंबर देखो उंबर = उदुम्बर (कुमाः हे १,
२ निकर, समूह (दे १, १२६)।
उक्त वि [उक्त] कथित (पिंग)। २७०; षड् ) उंडिया स्त्री [दे] मुद्रा-विशेष (राज)।
उक्क न [दे] पाद-पतन, पांव पर गिर कर उउवहिय न [ऋतुबद्ध] मास-कल्प, एक उंडी स्त्री [दे] पिण्ड, गोलाकार वस्तु; 'तत्य
नमस्कार करना (दे १, ८५)। मास तक एक स्थान में साधु का निवासा
णं एगा वरमऊरी दो पुढे परियागते पिट्छुडीपंडुरे निव्वणे निरुवहए भिन्नमुट्ठिप्पमाणे
उक्का वि [दे] प्रसृत, फैला हुआ (षड् )। नुष्ठान (पाचा २, २, ७)।
मऊरीअंडए पसवति' (णाया १, ३)। उकंचण न [दे] १ झूठी प्रशंसा करना, उऊखल न [उदूखल] उलूखल, गूगल |
उक्कंचणया उंदर । पुंस्त्री [उन्दुर] मूषक, चूहा (गउड; उऊहल । (कुमा; षड् ; हे १, १७१)
खुशामद (णाया १, २)। २ उएट्ट पुं [दे] शिल्प विशेष (अण १४६) उंदुर । पण्ह १, १ उवाः दे १, १०२)।।
ऊँचा करना, उठाना (सूम २, २)। ३ झाडू
निकालना (निचू ५)। ४ घूस, रिशवत
रुक्क उओग्गिअ वि [दे] सम्बद्ध, संयुक्त (षड् ) उंदु न [दे] मुख, मुंह (अणु २६)।
(दसा २)। ५ मूर्ख पुरुष को ठगनेवाले धूर्त उं अ[दे] इन प्रों का सूचक अव्यय-१ | न [दे] मुह से वृषभ आदि की तरह अावाज
का, समीपस्थ विचक्षण पुरुष के भय से थोड़ी क्षेप, निन्दा । २ विस्मय । ३ खेद । ४ ___ करना (अणु २६) ।
देर के लिए निश्चेष्ट रहना (प्रौप)। दीव पुं वितर्क । ५ सूचन (प्राक ७६)। | उंदुरअ पुं[दे] लम्बा दिवस (दे २, १०५)।
[दीप] ऊँचा दंडवाला प्रदीप (अन्त)। उंघ प्रक [नि+द्रा] नींद लेना । उंघइ। उंदुरु पुंस्त्री [उन्दुरु] मूषक, चूहा (दस २,
उक्छ ण न [दे] देखो उक्कंबण (राज)। (हे ४, १२)।
| उंब ' [उम्ब] वृक्ष-विशेष, 'निबंबउंबउंबर' | उक्कंठ प्रक [उत् + कण्ठ ] उत्कण्ठा उंचहिआ स्त्री [दे] चक्रधारा (दे १, १०६)। (उप १०३१ टी)।
करना, उत्सुक होना। उक्कंठेहि (मै ७३) । उंछ पुन [उञ्छ] भिक्षा (सूम १, २, ३ उंबर पुं[उदुम्बर] १ वृक्ष-विशेष, मूलर का |
वकृ. उक्कंठंत (मै ६३) । हेकृ. उक्कंठिदु पेड़ (परण १)। २ न. गूलर का फल (शौ) (अभि १४७)। उंछ [उञ्छ] भिक्षा, माधुकरी (उप ६७७; | (प्राप्र) । ३ देहली, द्वार के नीचे की लकड़ी| उक्कंठा स्त्री [उत्कण्ठा उत्सुकता, औत्सुक्य मोघ ४२४)
। (द १,६०)। दत्त पुं [दत्त] १ यक्ष- (हे १, २५, ३०)।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org