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ओ [ इतस् ] १ इससे, इस कारण (पि १७४) । इस तरफ (सुपा ३९४) । ३ इस (लोक) में दिये २६०२ ) IV ओअ अ [ इतश्च] प्रसंगान्तर सूचक अव्यय (श्रा २८ ) IV
या स्त्री [. इङ्खनिका ] निन्दा, ग (सूत्र १,२) ।
श्री [दे. इञ्जिनी] ऊपर देखो (सूझ
१, २)
देखो अंगार (पि १०२; जी ६ शाकम्पन [कर्मन ] कोयला आदि उत्पन्न करने का और बेचने का व्यापार ( पडि ) । सगडिया स्त्री [शकटिका] अंगीठी, माग रखने का बर्तन (भग) । इंगारडाह पुंन [अङ्गारदाह ] श्रावा, मिट्टी के पात्र पकाने का स्थान (श्राचा २, १०, २) । इंगाल व [आहार] भङ्गार-संवन्धी (दस ५) । '
इंगाला देखो अंगार (डा २,३) । इंगालय देखो इंगाल ( २० ) 1 गाली श्री [] का टुकड़ा
७६ पान
इंगार
इंगाल
(१,
इंगाली श्री [आङ्गारी] देखो इंगाल-कम्म (BTT RR)
इंगिन [ङ्गित] इशारा संकेत अभिप्राय के अनुरूप पेटा (पाय )", " वि [] सारे से समनेवाला (प्रायः हे २, ८३ प २७६) । मरण न [मरण] मरणविशेष (पंचा) ।
इंगिअ जाणुअ देखो इंगिअज्ज ( प्राकृ १८ ) । इंगिगी [न] मर-विशेष धन क्रिया-विशेष (सन १३) अन[][दवृज्ञ का फल (कुमा पउम ४१, ६) । ईंगुई स्त्री [दी] वृक्ष-विशेष इसके इंगुदी } फल तैलमय होते हैं, इसका दूसरा नाम प्रा- विरोपण भी है, क्योंकि इसके तैल बहुत शीघ्र अच्छे होते हैं (धाचा अभि श्रभि
से
७३) ।
[] सुँधा हुआ (दे १,८० ) । "ईगर देखो किन्नर से ८६१) 1 इंत देखो ए = आ + इ ।
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पाइसहमण्णवो
३७) ।
इंद पुं [इन्द्र ] १ देवताओं का राजा, देवराज (ठा २) । २ श्रेष्ठ, प्रधान, नायक; 'रिद' (गउड), 'देविंद' (कप्प ) । ३ परमेश्वर, ईश्वर (ठा ४) । ४ जीव, श्रात्मा; 'इंदो जीवो सम्बोवलद्विभोगपरमेसरतणो (बिसे २२२३)। ५ ऐश्वर्यं -शाली ( श्रावम) । ६ विद्याधरों का प्रसिद्ध राजा ( पउम ६,२; ७, ८ ) । ७ पृथ्वीकाय का एक अधिष्ठायक देव (ठा ५, १) । ८ ज्येष्ठा नक्षत्र का अधिष्ठायक देव (ठा २, ३) । उन्नीसवें तीर्थंकर के एक स्वनामख्यात गणधर (सम १५२ ) । १० सप्तमी तिथि ( कप्प ) । ११ मेघ, वर्षा 'कि जयइ सवा मह भवेद (स १०५ ) । १२ न. देवविमान - विशेष (सम इ पुं [ 'जित् ] १ इस नाम का राक्षस वंश का एक राजा, एक लंकेश (पउम ५, २६२ ) । २ रावण के एक पुत्र का नाम (से १२५८) । ओपो गोव (पि १६८ ) । काइय ["काविक] श्रीन्द्रिय जीव-विशेष ( पण १) । कील पुं ['कोल] दरवाजा का एक अवयव (श्रौप) । कुंभ पुं [कुम्भ] १ बड़ा कसरा (राय) २ ज्यान विशेष ( छाया १, ९)। केड ["केतु] इन्द्र-ध्वज, इन्द्र यष्टि ( परह १, ४२, ४) "खील देखो कील (श्रीप २०६)। गाइय देखो काइय ( उत्त २६ ) । गाह पुं [ग्रह ] इन्द्रावेश, किसी के शरीर में इन्द्र का अधिष्ठान, जो पागलपन का कारण होता है 'ईदगाहा इवा खंदगाहा इवा' (भग ३, ७) । गोव, गोवा, गोवय पुं [गोप] वर्षा ऋतु में होनेवाला रक्त वर्णं का क्षुद्र जन्तु- विशेष, जिसको गुजराती में 'गोकुल गाय' कहते है (उत्र ३२: सुर २, ८७ जी १७पि १६८ ) । 'गह पुं [ग्रह] ग्रहविशेष ( जीव ३) । (रंग [[ग्नि] १ विशाखा नक्षत्र का अधिष्ठायक देव (अणु) । २ महा-विशेष (हा २, ३) गोव [श्री] महाविद्यायक देव-विशेष (हा २,३) "जसा श्री [ यशस् ] काम्पिल्य नगर के ब्रह्मराज की एक पत्नी (उत्त १३) । 'जाल न [जाल] माया-कर्म, छल, कपट (स ४५४) । 'जालि, 'जालिअ प ["जालिन, 'क] मायांची बाजीगर (४) सुपा २०३ ) |
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इओ इंद
"जुण्ण [विज्ञ] स्वनामस्यात वा वंश का एक राजा (पउम ५, ६ ) । ज्य पुं [ ध्वज ] बड़ी ध्वजा ( पि २ ) । उभया स्त्री [जा] इन्द्र द्वारा भरतराज को दिखाई हुई अपनी दिव्य अङ्गलि के उपलक्ष में राजा भरत से उस अङ्गलि के समान श्राकृति की की हुई स्थापना और उसके उपलक्ष में किया गया उत्सव ( आचू २० ) । णील पुंन ["नील] नीलम, गीलमणि राम-विशेष ( गउड पि १६० ) । तरु पुं [तरु] वृक्षविशेष, जिसके नीचे भगवान् संभवनाथ को केवल ज्ञान हुआ था ( पउम २०, २८ ) । त न] [व] १ स्वर्ग का श्राधिपत्य, इन्द्र का असाधारण धर्मं । २ राजत्व । ३ प्राधान्य (सुपा २५३) । दत्त पुं [दत्त ] इस नाम का एक प्रसिद्ध राजा (उप ε३६) । २ एक जैन मुनि (विपा २,७) । दिण्ण पुं [°दिन्न] स्वनाम - ख्यात एक जैन श्राचार्य (कप्प) । "धणु न [ धनुष्] १ - सूर्य की किरण मेघों पर पड़ने से श्राकाश में जो धनुष का आकार दीख पड़ता है वह । २ विद्याधरवंश के एक राजा का नाम ( पउम ८, १८६ ) । "नील देखो जी (पउम १ १३२) । पाडवा श्री [ प्रतिपत् ] कार्तिक ( गुजराती आश्विन मास के कृष्णपक्ष की पहली तिथि (ठा ४) । पुर न [ पुर] १ इन्द्र का नगर, अमरावती (उप पृ १२६ ) । २ नगर- विशेष, राजा इन्द्रदत्त की राजधानी ( उप ९३६) । पुरंग न [°पुरक] जैनीय देशवाटिक गए के चौथे कुल का नाम (कप्प ) । 'पभ [ "प्रभ] राक्षस वंश के एक राजा का नाम, जो लङ्का का राजा था ( पउम ५, २६१) । भूइ [भूति] भगवान् महावीर का प्रथम मुख्य शिष्य गीतमत्वामी (सम १६; १५२) । मह पुं [मह] १ इन्द्र की आराधना के लिए किया जाता एक उत्सव । २ आश्विन पूर्णिमा (ठा ४, २) । माली बी [["माली] राजा मादित्य की पत्नी (पदम १) । मुद्धाभित्ति पुं [° मूर्द्धाभिषिक्त ] पक्ष की सातवीं तिथि सप्तमी ( चंद्र १० ) । 'मेह ["मेघ] राक्षस वंश में उत्पन्न एक राजा (२६१) । [क] देखो इन्द्र (ठा ६) । २ नरक - विशेष । ३
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