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आयव-आयास
पाइअसहमहण्णवो
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आयव वि [आतप] १ उद्योत, प्रकाश (गा १, १४, १७; तंदु २०)। पय न [पद] | आयारिमय न [आचारिमक] विवाह के ४६)। २ ताप, घाम (उत्त)। ३ न. मुहूर्त- ग्रन्थ का प्रथम शब्द (प्रण १४०)
समय दिया जाता एक प्रकार का दान (स विशेष (सम ५१)। "णाम, 'नाम न | आयाण न [आयान] १ आगमन । २ अश्व । ७७) V [नामन नामकर्म का एक भेद (सम ६७)M का एक प्राभरण-विशेष (गउड)
आयारिय वि [आकारित] १ पाहूत, बुलाया आयवत्त न [आतपत्र] छत्र, छाता (गाया आयाम सक [आ+ यमय ] लम्बा करना। हुआ (पउम ६१, २५)। २ न. पाह्वान-वचन, १, १)V
कवकृ. आआमिजंत (से १०६)। संकृ. प्राक्षेप-वचन (से १३, ८० अभि २०५) ।। आयवत्त पुं[आर्यावर्त भारत, हिंदुस्तान आयामेत्ता, आयामेत्ताणं (भगः पि ५८३)Mआयाव सक [आ + तापय ] सूर्य के ताप (इक)।
आयाम सक [आ + यम् ] शौच करना, | में शरीर को थोड़ा तपाना। २ शीत, आतप आयवा स्त्री [आतपा] १ सूर्य की एक अग्र- शुद्धि करना । मायामइ (पव १०६ टी)IV | प्रादि को सहन करना। वकृ. आयावंत पउम महिषी-पटरानी। २ इस नाम का 'ज्ञाता- आयाम सक [दा] देना, दान करना। प्राया- ६, ६१); आयाति (काल); आयात धर्मकथा' सूत्र का एक अध्ययन (णाया मेइ (भग १५)। संकृ.आयामेत्ता (भग १५)M (पउम २६. २१); आयावेमाण (महा भग)।
आयाम पुं[आयाम लम्बाई, दैर्घ्य (सम २ | हेकृ. आयावेत्तए (कस)। संकृ. आयाविय आयस वि [आयस] लोहे का, लोह-निर्मित गउड) IV
(प्राचा)IV (गउड निचू १)
आयाम [दे] बल, जोर (दे १, ६५) आयाव पु [आताप] असुरकुमार-जातीय देवआयसी स्त्री [आयसी] लोहे का कोश (पराह आयाम न [आचाम्ल] तपो-विशेष, आयंबिलः । विशेष (भग १३, ६)।
'नाइविगिट्ठो उ तवो छम्मासे परिमियं तु | आयाव पुं [आताप] प्रातप-नामकर्म (पंच ५, आया देखो आय = प्रात्मन् । आयाम' (आचानि २७२; २७३) ।
१३७) IV आया सक [आ + या] आना, प्रागमन | आयाम । न [आचाम] अवस्त्रावरण, चावल आयावग वि [आतापक] शीत प्रादि को करना। प्रायति (सपा ५७)। प्रायाइंति | आयामग, आदि का पानी (प्रोध ३५.६ उत्त | सहन करनेवाला (सन २.२)IV मायाइंसु (कप्प) । वकृ. आयंत ।। १५)।
आयावण न [आतापन] एक बार या थोड़ा आया सक [आ + दा] ग्रहण करना, स्वीकार
आयामणया स्त्री [आयामनता] लम्बाई प्रातप आदि को सहन करना (गाया १,१६)। करना। आयइज्ज (उत्त ६)। कृ. आया(भग)।
भूमि स्त्री [भूमि] शीतादि सहन करने का णिज्ज (ठा ६)। संकृ. आयाए, आदाय, आयामि वि [आयामिन् लम्बा (गउड) VM
स्थान ( भग ६, ३३)। आयाय (कस कप्प; महा)। आयामुही स्त्री [आयामुखी] इस नाम की |
आयावणया। स्त्री [आतापना] ऊपर देखो आयाइ स्त्री [आजाति] १ उत्पत्ति, जन्म (ठा एक नगरी (स ४३१) V
आयावणा (ठा ३, ५)। १०)।२ जाति, प्रकार। ३ आचार, आचरण आयाय देखो आया -प्रा + दा ।
आयावय वि [आतापक] शीत प्रादि को (प्राचा)। ट्ठाण न[स्थान] १ संसार, आयाय वि [आयात] आया हुआ (पउम १४,
सहन करनेवाला (पएह २, १)। जगत् । २ 'पाचाराङ्ग' सूत्र के एक अध्ययन १३०; दे १,६६; कुम्मा १६) ।
आयावल पु[दे] सबेर का तड़का, का नाम (ठा १०)
आयार सक [आ + कारय् ] बुलाना, आह्वान आयावलय बालातप (दे १,७०; पान) आयाइ स्त्री [आयाति] १ आगमन । २
करना। पापारेदि (शौ) (नाट) । संकृ. आआ- आयावि वि [आतापिन् ] देखो आयावय उत्पत्ति, गर्भ से बाहर निकलना (ठा २, ३)।
रिअ, आयारेऊण (नाटः स ५७८) । (ठा ४)। ३ आयति, भविष्य काल (दसा)
आयार ' [आकार] १ आकृति, रूप (णाया | आयास सक [आ + यासय् ] तकलीफ आयाए देखो आया = आ + दा ।
१, १) । २ इङ्गित, इशारा (पान) IV | देना, खिन्न करना । आमासंति (पि ४६०)। आयाण पुंन [आदान] १ ग्रहण, स्वीकार | आयार ' [आकार] 'अ' अक्षर (कुप्र ३२) संकृ. आआसिअ (मा ४५) V (प्राचा)। २ इन्द्रिय (भग ५, ४)। ३ जिसका आयार पुं [आचार] १ आचरण, अनुष्ठान
आयास पुं [आयास] १ तकलीफ, परिश्रम, ग्रहण किया जाय वह, ग्राह्य वस्तु (ठा ४ सूम (ठा २,३; प्राचा)। २ चाल-चलन, रीत-भात
खेद (गउड) । २ परिग्रह, असन्तोष (पएह १, २,७)। ४ कारण, हेतु; 'संति मे तउ आयाणा (पउम ६३, ८)। ३ बारह जैन अङ्गग्रन्थों में
५)। लवि स्त्री [लिपि] लिपि-विशेष जेहि कीरइ पावगं (सूअ १, १); 'किंवा पहला ग्रन्थ, 'पायारपडमसुत्ते' (उप ६८०) ।
(पएह १).V दुक्खायाणं अट्टज्झाणं समारुहसि' (पउम ६५, ४ निपुण शिष्य (भग १, १)। क्खेवणी आयास देखो आयंस ( षड्) IV ४८)। ५ आदि, प्रथम (अणु)।
स्त्री [क्षेपणी] कथा का एक भेद (ठा ४)। आयास देखो आगास (पउम ६६, ४०; हे आयाण न [आदान] १ संयम, चरित्र (सूम भंडग, भंडय न [ भाण्डक] ज्ञानादि का | १,८४) । तिलय न [तिलक] नगर१, १२, २२) । २१ आदेय, उपादेय (सून उपकरण-साधन (णाया १, १,१६) विशेष (भवि)/
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