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पाइअसद्दमण्णवो
अहिक्खेव-अहिट्ठा अहिक्खेव पुं [अधिक्षेप] १ तिरस्कार । अहिगरण पुन [अधिकरण] १ युद्ध, लड़ाई | अहिजाण सक [अभि + ज्ञापहिचानना। २ स्थापन । ३ प्रेरणा (नाट)।
(उप पृ २६८)। २ असंयम, पाप-कर्म से भवि. अहिजाणिस्सदि (शौ) (पि ५३४) । अहिखिव देखो अहिक्खिव वकृ. अहिखिवंत
अनिवृत्ति (उप ८७२) । ३ प्रात्म-भिन्न बाह्य अहिजाय वि [अभिघात] कुलीन (भग ६, (स ५७)।
वस्तु (ठा २, १)। ४ पाप जनक क्रिया ३३)। अहिग देखो अहिय% अधिक (विसे १९४३
(णाया १, ५)। ५ प्राधार (विसे ८४)। अहिझुंज देखो अभिमुंज। संकृ.अहि जुंजिय टी)।
६ भेट, उपहार (बृह १)। ७ कलह, विवाद अहिखीर सक [दे] १ पकड़ना। २ प्राधात
(बृह १)। ८ हिंसा का उपकरण, 'मोहंघेण | अहिजुत्त देखो अभिजुत्त (प्रबो ८४)। करना । अहिखीरइ (भवि)।
य रइयं हलउक्खलमुसलपमुहमहिगरणं' (विवे | अहिज सक [अधि+इ] पढ़ना, अभ्यास अहिगंध वि [अधिगन्ध] अधिक गन्ध वाला
११)। कड़, कर वि [°कर] कलहकारक | करना । अहिजइ (अंत २) । वकृ. अहिजंत, (गउड)।
(सूत्र १, २, २, प्राचा)। "किरिया स्त्री अहिज्जमाण (उप १६६ टी; उवा)। संकृ. अहिगम सक [अधि+गम्] १ जानना ।
[क्रिया] पाप-जनक कृति, दुर्गति में ले | अहिन्जित्ता, अहित्ता (उत्त १; सूत्र १,१२) २ निर्णय करना । ३ प्राप्त करना। कृ.
जानेवाली क्रिया (परह १, २)। "सिद्धत | हेकृ. अहिन्जिङ (दस ४)। अहिगम्म (सम्म १६७)।
j["सिद्धान्त आनुषंगिक सिद्धि करनेवाला | अहिज्ज वि [अधिज्य] धनुष की डोरी पर अहिगम सक [अभि + गम् ] १ सामने सिद्धान्त (सूम १, १२)।
चड़ाया हुआ (बाण) (दे ७, ६२)। जाना २ आदर करना। कृ. अहिगम्म
अहिगरणी स्त्री [अधिकरणी] लोहार का अहिज वि[अभिज्ञ] जानकार, निपुरण (सरण)।
एक उपकरण (भग १६, १)। खोडि स्त्री अहिजग (पि २६६, प्रारू; दस)। अहिंगम [अधिगम] १ ज्ञान (विसे | [खोटि] जिसपर अधिकरणी रखी जाती
| अहिजण न [अध्ययन] पठन, अभ्यास (विसे
७ टी)। ६०८)।
है वह काष्ठ (भग १६, १)। 'जीवाईणमहिगमो मिच्छत्तस्स खोवसमभावे' | अहिगरणिया । स्त्री [आधिकरणिकी] देखो
अहिजाण (शौ) देखोअहिण्णाण (प्राकृ८७)। (धर्म २)। २ उपलम्भ, प्राप्ति (दे ७.१४)। अगिरणीया अहिंगरण-किरिया
| अहिज्जाविय वि [अध्यापित] पाठित, पढ़ाया
(सम ३ गुरु प्रादि का उपदेश (विसे २६७५)। ।
हुआ (उप पृ ३३)। १० ठा २, १; नव १७)। ४ सेघा, भक्ति (सम ५१) । ५ न. गुरु आदि | अहिंगरी [दे] अजगरिन, स्त्री अजगर (जीब
अहिन्जिय वि [अधीत] पठित, अभ्यस्त (सुर के उपदेश से होनेवाली सद्धर्म-प्राप्ति-सम्य
८, १२१, उप ५३० टी)। क्व (सुपा ६४८) । रुइ स्त्री [रुचि] १ अहिंगार पुं [अधिकार] १ वैभव, संपत्तिः ।।
अहिझिय वि [अभिध्यित] लोभ-रहित, सम्यक्त्व का एक भेद । २ सम्यक्त्व वाला "नियअहिगारणुरूवं जम्मरणमहिमं विहिस्सामो'
| अलुब्ध (भग ६,३)।
अहिट सक [अधि + ष्टा] करना । अहिट्ठए (पव १४५)।
(सुपा ४१)। २ हक, सत्ता (सुपा ३५०)। अहिंगम देखो अभिगम (औप; से ८, ३३; ३ प्रस्ताव, प्रसंग (विसे ४८७)। ४ ग्रन्थ
(दस ६,४,२)।
अहिट्ठग वि [अधिष्ठक] अधिष्ठाता, विधायक, गउड)।
विभाग (वसु)। ५ योग्यता, पात्रता (प्रासू अहिगमण न [अधिगमन] १ ज्ञान । २
कारक; १३५)। निर्णय । ३ प्राप्ति, उपलम्भ (विसे)।
'नासंदीपलिकेसु, न निसिजा न पीढए। अहिगारि रवि [अधिकारिन्] १ अमलअहिगमय वि [अधिगमक] जनानेवाला, अहिंगारिय दार, राज-नियुक्त सत्ताधीश
निग्गंथापडिलेहाए, बुद्धवुत्तमहिट्ठगा'
(दस ६,५५) । बतलानेवाला (विसे ५०३)। 'ता तप्पुराहिगारी समागमो तत्थ तम्मि खणे
अहिटण देखो अहिट्ठाण (पंचा ७, ३३) । अहिंगमिय वि [अधिगत १ ज्ञात । २ (सुपा ३५०; श्रा २७)। २ पात्र, योग्य (प्रासू
अहिट्ठा सक [अधि+स्था] १ ऊपर चलना। निश्चित (सुर १, १८१)। १३५; सण)।
२ आश्रय लेना। ३ रहना, निवास करना । अहिगम्म देखो अहिगम = अधि + गम् ।। अहिगिश्च म [अधिकृत्य] अधिकार करके
४ शासन करना । ५ करना। ६ हराना । ७ अहिगम्म देखो अहिगम = अभि + गम् । (उवर ३६ ६८)।
आक्रमण करना। ८ ऊपर चड़ बैठना । ६ अहिगय वि [अधिकृत] १ प्रस्तुत (रयण अहिघाय पुं[अभिघात] प्रास्फालन, आघात | वश करना । अहिट्ठइ (निचू ५); 'ता अहि३६) । २ न. प्रस्ताव, प्रसंग (राज)। (गउड)।
8 हि इमं रज्ज' (स २०४)। अहिट्ठजा (पि अहिगय वि [अधिगत] १ उपलब्ध, प्राप्त अहिछत्ता स्त्री [अहिच्छत्रा] नगरी-विशेष, २५२, ४६६)। वकृ. अहिटुंत (निचू ५)। (उत्त १०)।२ ज्ञात (दे ६, १४८)। ३ कुरुजंगल देश की प्राचीन राजधानी (सिरि कवकृ. अहिट्ठिजमाण (ठा ४, १)। संकृ. पुं. गीतार्थ मुनि, शास्त्राभिज्ञ साधु (वव १)। ७८)।
अहिटे इत्ता (निचू १२)। हेक. आहटित्तए अहिगर ' [दे] अजगर (जीव १)। । अहिजाइ स्त्री [अभिजाति] कुलीनता (प्राप्र)। (वृह ३)।
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