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'आण-आणाइ
पाइअसद्दमहण्णवो
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आणण न आम मुख, मुँह (कुमा),
मुख्य-शिष्य (सम
आण देखो जागयान (चारु ८) आणंदा स्त्री [आनन्दा] १ देवी-विशेष, आणयण न [आनयन] लाना, प्रानना (श्रा आणंछ देखो आअंछ । आणंछइ ( षड्)। मेरु की पश्चिम दिशा में स्थित रुचक पर्वत | १४ स ३७६) । आणंत देखो आणी।
पर रहनवाला एक दिक्कुमारा (ठा ८) आणव सक [आ+ज्ञपय] प्राज्ञा देना, आणंतरिय न [आनन्तर्य] १ अविच्छेद, २ इस नाम की एक पुष्करिणी (राज) फरमाना । पाणवइ, पाणवेसि (पउम ३३, व्यवधान का प्रभाव (ठा ४, ३) । २ अनुक्रम, |
आणादय विआनन्दित १ हषप्राप्त १००, १८)। वकृ. आणवेमाण (पि परिपाटिः 'पारणंतरियंति वा अणुपरिवाडित्ति (ौप)। २ रामचन्द्र के भाई भरत के साथ
५५१)। कृ. आगवेयव्व (महा) । वा अणुक्कमेत्ति वा एगठ्ठा' (प्राचू) । दीक्षा लेनेवाला एक राजा (पउम ८५, ३)।
आणव देखो आणावा + नायम् ।। आणंद अक [आ + नन्द् ] आनन्द पाना, आणंदिर वि [आनन्दिन् आनन्दी, खुश
आणवण न [आज्ञपन] आज्ञा, प्रादेश, फरखुश होना। रहनेवाला (भवि)।
माइश (उवाः प्रामा)। आणंद सक [ आ + नन्दय् ] खुश करना। आणक्ख सक [परि + ईक्ष ] परीक्षा पाणंदेदि (शौ) (नाट)। कृ. आणंदिअव्व करना । हेकृ. आणक्खेउं (ोष ३६) आणवण न [आनायन] मैंगवाना (सुपा (रयण १०) आणच्छ देखो आअंछ । आगच्छइ (षड् )
५७८) आणंद [आनन्द] १ अहोरात्र का सोल- आण? वि [आनष्ट] सर्वथा नष्ट (उत्त १८, आणवणिय वि [आज्ञापनिक] माज्ञा फरहवा मुहूर्त (सुज १०, १३)। २ एक देव- | ५०; सुख १८, ५०)।
मानेवाला (राय २५)। विमान (देवेन्द्र १३१)V
आणण न [आनन] मुख, मुँह (कुमा)। आणवणिया स्त्री [आज्ञापनिका, आनायआणंद पुं[आनन्द] १ हर्ष, खुशी (कुमा)। आणण न [आनयन] लाना (महा)। निका] देखो दोनों आणवणी (ठा २, १) २ भगवान् शीतलनाथ के मुख्य-शिष्य (सम आणत्त वि [आज्ञप्त] प्रादिष्ट, जिसको हुकुम आणवणी स्त्री [आज्ञापनी] १ क्रिया-विशेष, १५२)। ३ पोतनपुर नगर का एक राजा, दिया गया हो वह (गाया १, ८; सुर ४, हुकुम करना। २ हुकुम करने से होनेवाला जो भगवान् अजितनाथ का मातामह था
कर्मबन्ध (नव १६)। (पउम ५, ५२)। ४ भावी छठवाँ बलदेव आणत्ति स्त्री [आज्ञप्ति प्राज्ञा, हुकुम (अभि
आणवणी स्त्री [आनायनी] १ क्रिया-विशेष, (सम १५४) । ५ नागकुमार-जातीय देवों के ८१)। अर वि [ कर] प्राज्ञाकारक, नौकर
मँगवाना । २ मँगवाने से होनेवाला कर्म-बन्ध स्वामी धरणेन्द्र के एक रथ-सैन्य का अधिपति (से ११,६५)। किंकर वि [ किङ्कर]
(नव १९)। देव (ठा ५, १) । ६ मुहूर्त-विशेष (सम ५१)। नौकर (पएह)। हर वि [हर] प्राज्ञा
आणा स्त्री [आज्ञा] प्रादेश, हुकुम (प्रोष ७ भगवान् ऋषभदेव का एक पुत्र (राज)। वाहक, संदेश-वाहक (अभि ८१)
६०)। २ उपदेश, “एसा आणा निग्गंथिया' ८ भगवान् महावीर के एक साधु शिष्य का आणत्तिया स्त्री [आज्ञप्तिका] ऊपर देखो
(भाचा)। ३ निर्देश, 'उववानो रिणद्देसो प्राणा नाम (कप्प)। ६ भगवान् महावीर के दस (उवाः पि ८८)। मुख्य उपासकों (श्रावक-शिष्य) में पहला
विणो य होंति एगट्ठा' (वव)। ४ आगम, आणत्थ न [आनर्थ्य ] अनर्थता (समु (उवा)। १० देव-विशेष (जं; दीव)। ११ ।
सिद्धान्त (विसे ८६४ एंदि)। ५ सूत्र की १५०)।राजा श्रेणिक के एक पौत्र का नाम (निर |
व्याख्या (प्रौप)। ईसर पुं["ईश्वर प्राज्ञा आणप (अशो) देखो आणव = आ + ज्ञपय । २, १)। १२ 'उपासगदसा' सूत्र का एक
फरमानेवाला मालिक (विपा १, १)। जोग प्राणपयति (पि ४)। अध्ययन (उवा) । १३ 'अणुत्तरोपपातिक
पुं[योग] १ आज्ञा का सम्बन्ध (पंचा)। आणपाण देखो आणापाण (नव ६)। २ शास्त्र के अनुसार कृति, 'पावं विसाइतुल्लं दसा' सूत्र का सातवाँ अध्ययन (भग)। १४ 'निरयावली' सूत्र का एक अध्ययन | आणप्प वि [आज्ञाप्य प्राज्ञा करने योग्य | प्राणाजोगो अ मंतसमो' (पंचव)। रुइ स्त्री
[रुचि (सून १, ४, २, १५)। (निर २, १)। १५ ब. देश-विशेष (पउम
सम्यक्त्व-विशेष (उत्त)। २ वि. ६८, ६६) । पुर न [पुर] नगर-विशेष
आणम अक [आ + अन्] श्वास लेना। आगमों पर श्रद्धा रखनेवाला (पंच)। व वि (बृह)। रक्खिय पुं[रक्षित] स्वनामख्यात पारगमंति (भग)।
[वत् ] आज्ञा माननेवाला (पंचा)। वत्त एक जैन साधु (भग)V
आणमणी देखो आणवणी (भास १८ पि | न [°पत्र] प्राज्ञापत्र, हुकुमनामा (से १, आणंदण न [आनन्दन] १ खुशी, हर्ष (सुपा ८८ २४८)।
१८)। ववहार पुं[व्यवहार] व्यवहार४४०) । २ वि. खुश करनेवाला, आनन्द- आणय पुन [आनत] १ देवलोक-विशेष
विशेष (पंचा)। "विजय न [विचय, दायक (स ३१३, रयण ३; सण) (सम ३५)। २ पुं. उस देवलोक-वासी देव
"विजय] धर्मध्यान-विशेष, जिसमें प्राज्ञा
आगम के गुणों का चिन्तन किया जाता है आणंदवड पुंदे] पहली बार को रज- (उत्त)। आणंदवस स्वला का रक्त वन्न (गा ४५७; आणय पुन [आनत] एक देवविमान (देवेन्द्र । (आप) । दे १,७२ षड्)।
१३५)।
- आणाइ पु[दे] शकुनि, पक्षी (दे १,६४)।
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