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पाइअसद्दमण्णवो
अपइट्ठाण-अपरिग्गह
२ राग-द्वेष आदि की इच्छा न रखकरन्दण- २ . मुक्तात्मा, अपय
१०)। काय पं. [°काय] पानी के जीव अपडिण्ण) वि [अप्रतिज्ञ] १ प्रतिज्ञा- २ पुं. प्रमाद का प्रभाव, सावधानी (पराह
अपडिन्न रहित, निश्चय-रहित (प्राचा)। २,१)। अपइट्ठाण देखो अप्पट्ठाण (प्राचा; ठा ४,
२ राग-द्वेष आदि बन्धनों से वजित (सून १, अपय वि [अपद] १ पांव-रहित, वृक्ष, द्रव्य, ३.३)। ३ फल की इच्छा न रखकर अनु- भमि वगैरह पैर रहित वस्त (गाय
भूमि वगैरह पैर रहित वस्तु (णाया १,८)। अपइटिअ पुं [अप्रतिष्टित १ नरक-स्थान
ष्ठान करनेवाला, निष्काम; 'गन्धेसु वा चन्दण- २पं. मुक्तात्मा, 'अपयस्स पयं नत्थि (प्राचा)। विशेष (देवेन्द्र २६) । देखो अप्पइट्टि।
माह सेटुं, एवं मुगीरणं अपडिन्नमा (सूम ३ सूत्र का एक दोष (बृह १; विसे)। अपइट्रिय देखो अप्पइट्रिय (ठा ४, १)।
अपय स्त्री [अप्रज] सन्तानरहित (बृह १)। अपएस वि [अप्रदेश] १ निरंश, अवयवअपडिपोग्गल वि [अप्रतिपुद्गल] दरिद्र, |
अपर देखो अवर (निचू २०)। २ वैशेषिक रहित (भग २०, ५)। २ पुं. खराब स्थान निर्धन (निचू ५)।
दर्शन में प्रसिद्ध अवान्तर सामान्य (विसे (पंचा ७)। अपडिबद्ध वि [अप्रतिबद्ध] १ प्रतिबन्ध
२४६१)। अपंग पुं[अपाङ्ग] १ नेत्र का प्रान्त भाग।
रहित, बेरोक; 'अपडिबद्धो अनलो व्य' (पराह
| अपरच्छ वि [अपराक्ष असमक्ष, परोक्ष २ तिलक । ३ वि. हीन अंग वाला (नाट)।
२,५)। २ आसक्ति-रहित (पव १०४)।
अपडिवाइ देखो अप्पडिवाइ (ठा ६; अोघ अपंडिअ वि [दे] अ-नष्ट, विद्यमान ( षड् )।
(पएह १, ३)। ५३२, रणदि)।
अपरद्ध देखो अवरज्म (कप्प)। अपंडिअ [अपण्डित] १ सद्बुद्धि-रहित (बृह
अपडिसंलीण वि [अप्रतिसंलीन] असंयत, अपरतिया स्त्री [अपरान्तिका] छन्द-विशेष १) । २ मूर्ख (अच्चु ५)।
इन्द्रिय आदि जिसके काबू में न हों (ठा ४, (अजि ३४)। अपकरिस पुं [अपकर्ष] ह्रास (धर्मसं
अपराइय वि [अपराजित] १ अ-परिभूत ८३७)।
अपडिहट्टु अ [अप्रतिहत्य न दे कर (पएह १, ४) । २ पुं. सातवें बलदेव के पूर्वअपगंड वि [अपगण्ड] १ निर्दोष । २ न. (कस; बृह ३)।
जन्म का नाम (सम १५३)। ३ भरतक्षेत्र फेन, पानी का झाग (सूत्र १, ३)।
अपडिय देखो अप्पडिहय (गाया १, का छठवाँ प्रतिवासुदेव (सम १५४)। ४ अपचय पुं[अपचय अपकर्ष, हीनता (उत्त
उत्तम-पंक्ति के देवों की एक जाति (सम५६)। अपडीकार वि [अप्रतीकार] इलाज-रहित, ५ भगवान् ऋषभदेव का एक पुत्र (राज)। अपञ्च देखो अवच्च; ‘अपञ्चणि व्विसेसारिण
उपाय-रहित (पएह १, १)। सत्ताणि' (पि ३६७)।
६ एक महाग्रह (ठा २,३)। ७ न, अनुत्तर देवअपडुप्पण्ण! वि [अप्रत्युत्पन्न] १ अ-वर्त- लोक का एक विमान–देवावास (सम ५६)। अपञ्चय पुं [अप्रत्यय] अविश्वास (पएह १, अपडप्पन्न , मान, अ-विद्यमान (पि १६३)। | ८ रुचक पर्वत का एक शिखर (ठा ८)।
६ जम्बूद्वीप की जगती का उत्तर द्वार (ठा २ प्रतिपत्ति में अ-कुशल (वव ६)। अपञ्चल वि [अप्रत्यल] १ असमर्थ । २
अपण? वि [अप्रनष्ट] नाश को अप्राप्त (सुर अयोग्य (नचू ११)।
४,२)। अपच्छ वि [अपथ्य] १ अ-हितकर (पउम
४, २४०)।
अपराइया स्त्री [अपराजिता] १ विदेह-वर्ष
की एक नगरी (ठा २, ३) । २ आठवें बलदेव अपत्त देखो अप्पत्त (बृह १, ठा ५, २, सूम ८२, ७२)। २ न. नहीं पचनेवाला भोजन,
की माता (सम १५२)। ३ अंगारक ग्रह की 'धेवेण अपच्छासेवणेण रोगुब्व वड्ढेई' (सुपा
१, १४)।
अपत्तिअंत वकृ. [अप्रतियत् ] विश्वास एक पटरानी का नाम (ठा ४, १)। ४ एक ४३८)। नहीं करता हुआ (गा ६७८; पि ४८७)।
दिशा-कुमारी देवी (ठा८)।५ प्रोषधि-विशेष अपच्छिम वि [अपश्चिम] अन्तिम (मंदिः
(ती ७)। ६ अञ्जनाद्रि पर्वत पर स्थित एक पाम उप २६४ टी)। अपत्तिय देखो अप्पत्तिय (भग १६, ३;
पुष्करिणी (ती २)। अपजत्त । वि [अपर्याप्त] १ अपर्याप्त, पंचा ७)। अपज्जत्तग) असमर्थ (गउड)। २ पर्याप्ति | अपत्थ देखो अपच्छ (उत्त ७; पंचा ७)। अपराजिय देखो अपराइय (कप्पः सम ५६ (आहारादि ग्रहण करने की शक्ति) से रहित
१०२ ठा २, ३)। अपभासिय देखो अवभासिय = अपभाषित (ठा २, १; नघ ४) । नाम न [नामन् ]
(वव १)।
| अपराजिया देखो अवराइया (ठा २, ३)। नाम-कर्म का एक भेद (सम ६७)।
अपमत्त देखो अप्पमत्त (प्राचा)। अपराजिया स्त्री [अपराजिता] १ भगवान अपज्जवसिय वि [अपर्यवसित] १ नाश
अपमाण न [अप्रमाण] १ भूठा, असत्य मल्लिनाथ की दीक्षा-शिविका (विचार १२९)। रहित (सम्म ६१) । २ अन्त-रहित (ठा १)। (श्रा १२)। २ वि. ज्यादा, अधिक (उत्त २ पक्ष की दशवीं रात (सुज १०, १४)। अपडिच्छिर वि [दे] जड़-बृद्धि, मूर्ख (द १, | २४)।
अपरिग्गह वि [अपरिग्रह] १ धन-धान्य | अपमाय वि [अप्रमाद] १ प्रमाद-रहित ।। मादि परिग्रह से रहित (पएह २, ३) । २
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