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अद्धक्खन [] १ संज्ञा करना, इशारा करना, संकेत करना (दे १, ३४) । अद्धक्विअवि [अर्धाक्षिक ] विकृत प्रांख वाला (महानि ३ ) ।
अद्धजंत्री [दे. अर्धजङ्घा ] एक प्रकार अद्धजंधी ) का जूता, मोचक नामक जूता, जिसे गुजराती में 'मोड़ी कहते हैं (दे १, ३३, २५३६. १३९ ) ।
अद्धासिय वि[अभ्यासित]
प्रश्रित (सुर ७, २१४ उप २६४ टी) । २ प्रारूढ ( स ६३० ) । अद्धि देखो दि
'धरणा बहिरंधरा, ते चित्र जीनंति मासे लोए। रग सुरति खलवणं, खलाए अनि (७०४)।
अर[अ] यज्ञ याग ( पाच ) ।
अद्धरवि [दे] प्रच्छन्न, गुप्त 'तम्हा एयस्स अद्धि स्त्री [अधृति] धीरज का अभाव,
चिट्टियमद्धरट्टिश्रो वेब पिच्छामि, तो राया तम्पिट्टिलग्गो' (सम्मत १६१ ) |
अद्धा [. अद्धाद्धा ] दिन अथवा रात्रि का एक भाग (सत टी) ।
अपेडा श्री [अर्धपेटा ] सन्दूक के अर्थ भाग के प्राकवाली गृह-पंक्ति में भिक्षाटन (उत्त ३०, १६) ।
अविर [दे] १ मरडन भूषा 'मा कुरण श्रद्धविप्रारं (दे १, ४३ ) । २ मंडल, छोटा मंडल ( १ ४३ ) ।
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अद्धा स्त्री [दे. अद्धा ] १ काल, समय, वक्त, (ठा २, १ नव ४२ ) । २ संकेत ( भग ११, ११) । ३ लब्धि, शक्ति-विशेष (विसे) । प्र तत्त्वतः वस्तुतः । ५ साक्षात् प्रत्यक्ष (पिंग ) । ६ दिवस । ७ रात्रि ( सत्त εटी) । "काल [["काल] सूर्य आदि की क्रिया (परिभ्रमण) से व्यक्त होनेवाला समय, 'सूरकिरिया fafe गोदोहाकरियासु निरवेक्खो श्रद्धाकालो भराई (विसे)। छेय पुं [छेद ] समय का एक छोटा परिमारग, दो भावलिका परिमित काल ( पंच ) । पञ्चकखाण न [प्रत्याख्यान] अमुक समय के लिए कोई व्रत या नियम करना ( ६ ) । मीसय [] एक प्रकार की सत्य-मृपा भाषा (ठा १०) । मीसिया स्त्री ['मिश्रिता] देखो पूर्वोक्त अर्थ ( पण ११) । समय पुं [" सम] सर्व-सूक्ष्म काल ( पण ४) । अद्वाण [न] मार्ग, रास्ता (खाया १,
१४ सुर ३,२२७) । सीसय न [" शीर्षक ] मार्ग का अन्त, अटवी आदि का अन्त भाग (वव ४, बृह ३) ।
पाइअसहमणवो
अद्धक्खिअ - अधि
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अद्वाण पुं [अध्वन् ] मार्ग, रास्ता 'हवइ सलाभं नरस्स श्रद्धाणं' ( सुख ८, १३) । "सीसयन ["शीर्षक] जहां पर संपूर्ण साथ के लोग आगे जाने के लिए एकत्र हों वह मार्ग (वय ४)। अद्धाणिव वि [आधिक] पथिक, मुसाफिर (४) ।
अधई (शौ) [ अथाकम् ] १ हाँ। २ और क्या । ३ जरूर, श्रवश्य (कप्पू ) । अर्थ [ अधस् ] नीचे (पि २४०)। अधट्ठ वि [अधृष्ट] अ- ढीठ (कुमा) । अणवि [ अन ] निर्धन, गरीब 'रम विववि मेोयविरो महइ । मग्गइ सरीरमधरणो, रोई जीए चिय कयत्थो ।' (ग) अणि वि [ अधनिन् ] धन-रहित, निर्धन (था १४) ।
अण्ण वि [अन्य] अकृतार्थं निन्द्य ( परह (१,१) ।
अधम देखो अहम (उत्त ) । अधमण्णव [अधमर्ण] करार देनदार अधमन्न ) ( धर्मवि १४६; १३५) । अधम्म [अधर्म] पाकर्म
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( ११८३६) । अधुअवि [अर्धोदित] थोड़ा कहा हुआ (पि १५८ ) ।
अधुग्घाड वि [अर्धोद्घाट] श्राधा खुला 'मोरपाडा चना' (२०१०७) । अधुरि [अर्धचतुर्थ] हे सीन (सम १०१ विसे ६९३) ।
अदधुत्त वि [ अर्धोक्त ] थोड़ा कहा हुआ (१०) । अधुष वि [अ] १ मंगल परिवर विनश्वर ( स : ३९३ पंचा १६६ पउम २६, ३०)। २ अनियत ( आचा) । अजड वि [अ]
टुकड़ेवाला, खण्डित २ क्रिवि. आधा-आधा जैसे ही
विवेडा पाचवा महरा पति महरा (से६, ६६) ।
(दे
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अद्धोरु देखी अदोग (२, ४४ प } अद्धोरुग ६७६) । अद्धोवमिय वि [अद्धोपम्य, अद्धौपमिक ] काल का वह परिमारण जो उपमा से समझाया जा सके, पल्योपम श्रादि उपमा-काल (ठा २, ४८) ।
अथ [ अधस् ] नीचे (२०) | अथ (शी) [ अथ] अबाद (यू)।
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नीतिः 'अधम्मेण चैव वित्ति कप्पेमाणे विहर (गाया १, १८) २ एक स्वतन्त्र श्रीर जो वस्तु जो जीन वगैरह को स्थिति करने में सहायता पहुंचाती है (सम २; नव ५) । ३ वि. धर्म - रहित, पापी (विपा १, १) । केड [केतु] पापिष्ठ (खाया १, १८) । खाइ वि [ ख्याति ] प्रसिद्ध पापी (दिपा १, १ ) । खाइ वि [ख्यायिन् ] पाप का उपदेश देनेवाला (भग ३, ७ ) । 'स्थिकाय [स्तिकाय ] अधम्म का दूसरा अर्थ देखो (अणु) । 'बुद्धि वि [बुद्धि] पापी, पापिष्ठ (उप ७२८ टी) । अधम्मिट्ठ वि [ अधर्मिष्ठ ] १ धर्म को नहीं करनेवाला (भग १२, २) २ महापापी, पापिष्ठ (गाया १, १८ ) ।
अम्मिट्ठ वि [अधर्मेष्ट ] अधर्म-प्रिय, पाप( १२, २)
अम्मिट्ठे व [ अधमष्ट ] पापियों का प्यारा (भाग १२, २) । 1 अमिय देखो अहमिय(४१) अधर देखो अहर (उवा सुपा १३८ ) । अधवा (शौ) देखो अहवा (कप्पू) । अधा स्त्री [अधस् ] धो-दिशा, नीचली दिशा (डा ५)।
अधि देखो अहि = अधि ।
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