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पाइअसद्दमहण्णवो
असंगहिय-असणि असंगहिय वि [असंगृहीत] १ जिसका संग्रह | असंथरमाण वकृ [दे. असंस्तरमाण] देखो । असगाह ) पुं[असग्रह] १ कदाग्रह (उप
असग्गह। ६७२; सुपा १३४)। २ अतिन किया गया हो वह । २ अनाश्रित (ठा ८)। असंथरंत (वव ४ ओघ १८१)।
असग्गाह ) निबन्ध, विशेष प्राग्रह (भवि)। असंगहिय वि[असंग्रहिक] १ संग्रह न करने असंधिम वि [असंधिम] संधान रहित, अखण्ड
| असञ्च न असत्य] १ भूठ वचन (प्रासू वाला । २ पुं. नैगम नय का एक भेद (विसे)। (बृह ५)।
१५१) । २ वि. झूठा (पएह १,२)। मोस असंगिअ ' दे] १ अश्व, घोड़ा। २ वि. | असंभंत पुं [असंभ्रान्त] प्रथम नरक का
न [मृष भूठ से मिला हुमा सत्य (द्र २२)। • अनवस्थित, चञ्चल (दे १,५५)। । छठवां नरकेन्द्रक-नरक-स्थान विशेष (देवेन्द्र
वाइ वि [°वादिन] झूठ बोलने वाला (सम असंघयण वि [असंहनन] संहनन से रहित।
५०; पउम ११, ३४) । मोस न [मृप २ वज्र, ऋषभ, नाराच आदि प्राथमिक तीन असंभव्व वि [असंभाव्य] जिसकी संभावना
न सत्य और न भूठ ऐसा वचन (माचा)। संघयणों से रहित (निचू २०)। न हो सके ऐसा (श्रा १२)।
मोसा स्त्री [मृषा] देखो अनन्तरोक्त अर्थ असंजण न [अमअन] निःङ्गता, अनासक्ति असंभावणीय वि [असंभावनीय] ऊपर
(पंच १)। "संध वि [संध] १ असत्य(निचू १)। देखो (महा)।
प्रतिज्ञ । २ असत्य अभिप्राय वाला (महा; असंजम वि [असंयम] १ हिंसा, झूठ प्रादि असंलप्प वि [असंलप्य] अनिर्वचनीय
पएह १, २)। सावध अनुष्ठान (सूम १, १३)। २ हिंसा (अणु)।
असज्ज र वकृ [असजत् ] संग न आदि पाप-कार्यों से अनिवृत्ति (धर्म ३)। ३ असंलोय पुं [असंलोक] १ अप्रकाश । २ वह
असन्जमाण करता हुआ (प्राचा: उत्त १४)। अज्ञान (प्राचा)। ४ असमाधि (वव १)। । स्थान जिसमें लोगों का गमनागमन न हो,
असज्झाइय वि [अस्वाध्यायिक] पठन-पाठन असंजय वि [असंयत] १ हिंसा आदि पाप भीडरहित स्थान (आचा)।
का प्रतिबन्धक कारण (पव २६८)। कार्यो से अनिवृत्त (सूप १, १०)। २ हिंसा असंबर [असंवर पाश्रव, संवर का प्रभाव
| असज्झाय पुं[अस्वाध्याय] अनध्याय, वह प्रादि करने वाला (भग ६,३)। ३ पुं. साधु
काल जिसमें पठन-पाठन का निषेध किया गया भिन्न, गृहस्थ (आचा)। | असंवरीय वि [असंवृत] १ अनाच्छादित।
। है (गच्छ ३, ३०)। असंजल [असंज्वल] १ऐरवत वर्ष के
२ नहीं रुका हुआ (कुमा)। एक जिनदेव का नाम (सम १५३)।
असंवुड वि [असंवृत] असंयत, पाप-कर्म से असड्ढ वि [अश्रद्ध] श्रद्धारहित (कुमा)। अनिवृत्त (सूप १, १, ३)।
असढ वि [अशठ] सरल, निष्कपट (सुपा असंजोगि वि [असंयोगिन् १ संयोग
| असंसइय वि [असंशयित असंदिग्ध (सूप ५५०) । करण वि [करण] निष्कपट भाव रहित । २ पुं. मुक्त जीव, मुक्तात्मा (ठा २, २)
से अनुष्ठान करने वाला (बृह ६)। २,१)।
असंसद वि [असंसृष्ट] १ दूसरे से न मिला असण न [अशन] १ भोजन, खाना (निचू असंत वकृ. [असत् ] १ अविद्यमान (नव
हुमा (बृह २)। २ लेप-रहित (औप) । ३ ११)। २ जो खाया जाय वह, खाद्य पदार्थ ३३)। २ झूठ, असत्य (पग्रह १, २)। ३ ।
स्त्री. पिण्डैषरणा का एक भेद पव ६६)। (पव ४)। असुंदर, अचारु (पराह २, २)।
असंसत्त वि [असंसक्त] १ अमिलित (उत्त असण पुं [असन] १ बीजक नामक वृक्ष असंत देखो अस = प्रश् ।
२)। २ अनासक्त (दस ८: उत्त ३)। (पएण १; गाया १,१ौपः पामः कुमा)। असंत वि [अशान्त] शान्तरहित, क्रुद्ध (पएह असंसय वि [असंशया १ संशय-रहित (बृह। २ न. क्षेपण, फेंकना (विसे २७६५)। २,२)।
१) । २ क्रिवि. निःसंदेह, नकी (अभि ११०)। असणि पुंस्त्री [अशनि] १ एक प्रकार की असं वि [असत्व] सत्त्व-रहित, बल-शून्य असंसार पुं [असंसार संसार का प्रभाव,
बिजली (सुज २०) । २. पुं. एक नरक-स्थान (पग्रह १, २)। मोक्ष (जीव १)।
(देवेन्द्र २६)। असंथड वि [दे. असंस्तृत अशक्त, असमर्थ
असंसि वि [अस्र सिन् अविनश्वर (कुमा)। असणि पुंस्त्री [अशनि] १ वज्र (पाप)। २ (प्राचा; बृह ५)।
असक्क वि [अशक्य] जिसको न कर सके वह आकाश से गिरता अग्नि-कण (परण १)। ३ असंथरंत वकृ. [ दे. असंस्तरत् ] १ समर्थ (सुपा ६५१)।
वज्र का अग्नि (जी ६)। ४ अग्नि (स ३३२)। न होता हुआ। २ खोज न करता हुआ (वव
असक्क वि [अशक्त असमर्थ (कुमा)। । ५ अस्त्रविशेष (स ३८५)। पह पुं[प्रभ] ४) । ३ तृप्त न होता हुआ (ोध १८२)।
असक्कय वि [असंस्कृत संस्कार-रहित (पएह रावण के मामा का नाम (से १२, ६१) । अशरण न दे. असंस्तरण] १ निर्वाह का १, २)।
मेह पुं[मेघ] १ वह वर्षा जिसमें प्रोले अभाव (वृह १)। २ पर्याप्त लाभ का प्रभाव असक्कय वि [असत्कृत] सत्कार-रहित (पएह । गिरते हैं। २ अति भयंकर वर्षा, प्रलय-मेघ (पंचव:)। ३ असमर्थता, अशक्त अवस्था १, २)।
(भग ७, ६)। वेग मुं['वेग] विद्याधरों (धर्ममियू)।
असक्कणिज्ज वि [अशकनीय अशक्य(कुमा)। का एक राजा (पउम ६. १५७)।
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