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असणी-असि
पाइअसहमण्णवो असणी स्त्री [अशनी] एक इन्द्राणी (ठा ४, असमवाइ न [असमवायिन् नैयायिक और असाढय न [असाढक] तृण-विशेष (AT
वैशेषिक मत प्रसिद्ध कारण-विशेष (विसे १, पत्र ३३)। असणी स्त्री [अशनी] जिह्वा, जीभ 'प्रवखा- २०६६)।
असाय न [असात] दुःख, पीड़ा (पराह १.१); णसणी कम्मारण मोहणं तह वयाण बंभं च असमजस वि [असमञ्जस] १ अव्यवस्थित,
'रागंधा इह जीवा, (सुख २, ४२)। गैरव्याजबी (प्राचाः सुर २, १३, सुपा
दुल्लहलोयम्मि गाढ़मणुरता। असण्ण वि [असंज्ञ] संज्ञारहित, अचेतन । ६२३, उप १०००)। २ क्रिवि. अव्यवस्थित
जं वेइंति असायं, कत्तो तं हंदि नरएवि' (लहुअ६)। रूप से (पास)।
(सुर ८, ७६)। अण्ण वि [असंज्ञिन्] १ संज्ञि-भिन्न, असमिक्खिय वि [असमाक्षित] अना- वेयणिज्ज न [°वेदनीय दुःख का कारणमनोज्ञान से रहित (जीव) (ठा २, २)। २ लोचित, अविचारित (पएह १, २)। कार भूत कर्म (ठा २, ४)। सम्यग्दृष्टि भिन्न, जैनेतर (भग १, २)। सुय वि [कारिन्] साहसिक । कारिया स्त्री
असार । वि [असार, क] निस्सार, सारन [श्रुत] जैनेतर शास्त्र (णंदि)। [कारिता] साहस कर्म (उस ७६८ टी)। असारय । रहित (महा: कुमा)। असत्त वि [अशक्त] असमर्थ (सुर ३, २४४; असरासय वि [दे] निर्दय, निष्ठुर हृदय | असारा स्त्री [दे] कदली-वृक्ष, केला का पेड़ १०,१७४)। वाला (दे १, ४०)।
(दे १,१२)। असत्त वि [असक्त] अनासक्त (प्राचा)। ।
असलील वि [अश्लील असभ्य भाषा (मोह | असालिय पुंस्त्री [दे] सर्प की एक जाति असत्त न [असत्व प्रभाव, असत्ता (णंदि)। ८७)।
(सूम २, ३, २४)। असत्ति स्त्री [अशक्ति] सामर्थ्य का प्रभाव ।
असव पुं [असु] प्राण, 'विउत्तासवो विन असासय वि [अशाश्वत भनित्य, विनश्वर 'मत वि [ मत् ] असमर्थ, अशक्त (पउम ठिो कंचि कालं' (स ३५७)।
(णाया १, १; गा २४७)। ६६, ३६)।
असवण्ण वि [असवर्ण] असमान, असाधारण | असाण न [असाधन] प्रसिद्धि (सुर ४, असत्थ वि [अस्वस्थ] अतंदुरुस्त, बीमार (सुर ३, १२७)। (सएण)।
२४८)। असत्य न [अशस्त्र] १ शस्त्र-भिन्न । २ संयम,
असवार पुं [अश्ववार] घुड़सवार (धर्मवि असाहारण वि [असाधार"] अतुल्य, अनुपम
४१)। निर्दोष अनुष्ठान (प्राचा)।
(भगः दस)। असह वि [असह] १ असहिष्णु (कुमा; सुपा असद्द पु[अशब्द] १ प्रकीत्ति, अपयश
असि [असि] ? खड्ग, तलवार (पान)। ६२०) । २ असमर्थ (वव १) । ३ खेद करने (गच्छ २) । २ वि. शब्दरहित (बृह ३)।
२ इस नाम की नरकपाल देवों की एक जाति वाला (पान)। असद्ध वि [अश्रद्ध] श्रद्धारहित । स्त्री. 'द्धी
(भग ३, ६)। ३ स्त्री. बनारस की एक नदी (उप पृ ३९४)।
असहण वि [असहन] असहिष्णु, क्रोधी का नाम (ती ३८)। कुंड न [कुण्ड] मथुरा असन्नि देखो असण्णि (भग जी ४३)। (पा)।
का एक तीर्थ-स्थान (ती ७)। चाय पुं असबल वि [अशबल] १ अमिश्रित । २
असहाय वि [असहाय] १ सहायरहित | [°घात] तलवार का घाव (पउम ५६, २५)। निर्दोष, पवित्र (पएह २, १)। (भग)। २ एकाकी (बृह ४)।
°चम्मपाय न [°चर्मपात्र] तलवार को अहिज्ज वि [असाहाय्य] १ सहायताअसब्भ वि [असभ्य] अशिष्ट, जंगली (स
म्यान, कोश (भग ३, ५)। धारा स्त्री ६५०)। भासि वि [भाषिन्] असभ्यरहित । २ सहायता का अनिच्छुक (उवा)।
[धारा] तलवार की धार (उत्त १९)। असहीण वि [अस्वाधीन] परतन्त्र, पराधीन
घेणु, "घेणुआ स्त्री [धेनु, धेनुका छुरी भापी (सुर ६, २१)।
(गउडा पाम)। पत्त न [पत्र] १ तलवार असब्भाव पुं [असद्भाव] १ यथार्थता का | (दस ८)।
(विपा १, ६)। २ तलवार के जैसा तीक्ष्ण अभाव, भूठ (पिंड)। २ वि. असत्य, प्रययार्थ असहु वि [असह्] १ असहिष्ण (उव)।
पत्र (भग ३, ६)। ३ तलवार की पतरी (जीव २ असमर्थ, अशक्त (प्रोघ ३६; भा)। ३ (उत्त ३; प्रौप)।
३)। ४ पु. नरकपाल देवों की एक जाति (सम असम्भावि वि [असद्भाविन] झूठा, असत्य | बीमार, ग्लान (निचू १)। ४ सुकुमार, कोमल
२६) । पुत्तगा स्त्री [°पुत्रिका] छरी (उप (महा)। (ठा ३, ३)।
पृ ३३४)। "मुट्ठि स्त्री [मुष्टि] तलवार असब्भूय वि [असद्भूत] असत्य (भग)। असहेज देखो असहिज्ज (भग)।
की मूठ (पान) । रयण न [रन चक्रवर्ती असम वि [असम] १ समान, असाधारण असागारिय वि [असागारिक] गृहस्थों के |
राजा की एक उत्तम तलवार (ठा ७)। लट्टि (सुर ३, २४)। २ एक, तीन, पांच प्रादि आवागमन से रहित स्थान (वव ३)।
स्त्री [यष्टि] खड्ग-लता, तलवार (विपा १, एकाई संख्या वाला विषम । सर पुं[ शर] असाढभूइ j [अषाढभूति] एक जैन मुनि ३)। वण न [वन] खड्गाकार पत्ते वाले कामदेव (गउड)। (पिंड ४७४)।
वृक्षों का जंगल (पण्ह १, १)। वत्त देखो
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