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अवलंब-अवसं
पाइअसद्दमण्णवो अवलंबित्तए (दसा ७)। कृ. अवलंबणिय, । अवलुअ देखो अवल्लय (प्राचा २,३,१,६)। अववक्कल वि [अपवलाल] त्वचारहित अवलंविअव्व (से १०, २६)। अवलुआ श्री [दे] क्रोध, गुस्सा (दे १,३६)। (गउड)। अवलंब [अनलम्ब, क] १ सहारा, अवत्त ति [अवलुप्त] लोप-प्राप्त (नाट)। अववक्का स्त्री [अवपाक्या] तापिका, छोटा अवलंबग आश्रय (श्रा १६) । २ वि. लट- अवलेअ) पुं[अवलेप १ अहंकार, गवं। तवा (भग ११, ११)। कनेवाला (प्रौप; वव ४) । ३ सहारा लेनेवाला | अवलेव । २ लेप, लेपन (पान) महा; नाट)। अववग्ग पुं[अपरगे] मोक्ष, मुक्ति (आवम)। (पच्च ८०)। ३ अवज्ञा, अनादर (गउड)।
अववट्टण न [अपर्सन १.सरण । २ अवलंबण न [अवलम्बन] १ लटकना । २ अवलेह पुं[अवलेह] चटनी (वजा १०४) ।
कर्मपरमाणुषों की दीर्घ स्थिति को छोटी पाश्रय, सहारा (ठा ५, २; राय)। अवलेहणिया स्त्री [अवलेखनिका] १ बांस
करना (पंच ५)। अवलंबणया स्त्री [अवलम्बनता] अवग्रह- ___ का छिलका (ठा ४,२)। २ धूलि आदि झाड़ने अववट्टणा स्त्री [अपवर्तना] ऊपर देखो (पंच ज्ञान (णंदि १७५)।
का एक उपकरण (निचू १)। अवलंबि वि [अवलम्बिन् ] अवलम्बन अवलेहि । स्त्री [अवलेखि, का] १ बांस
| अववत्त वि [अपवृत्त] १ वापस लौटा करनेवाला (गउड; विसे २३२६)। अवलेहिया का छिलका (कम्म १,२०)।
हुआ। २ अपसृत (दे १, १५२)। अवलंबिय वि अवलम्बित] १ लटका । २ लेह्य विशेष (पव ४)। ३ चावल के आटा हुआ । २ आश्रित (गाया १, १)। के साथ पकाया हुआ दूध (पभा ३२)।
अववरक अपवरक] कोठरी, छोटा घर अवलंबिर देखो अवलंबि (गा ३६७)।
अवलोअ सक [अव+लोक् ] देखना, अव- (मुद्रा ८१)। अवलक्खण न [अपलक्षण] खराब लक्षण, लोकन करना । वकृ. अवलोअंत, अवलोए- अववह सक [अप+वह. ] बाहर फेंकना, दूर बुरी आदत (भवि)।
माण (रयण ३६, रणाया १,१) संकृ. अव- हटाना । कर्म. अ उज्झइ (पंचा १६, ६)। अवलग्ग वि [अवलान] १ आरूढ़ । २ लगा लोइऊण (काल)। कृ. अवलोयणीय (सुपा अववाइअ वि [आपवादि] अपवाद-संबंधी हुपा, संलग्न (महा)। ७०)।
(अज्झ १०८)। अवलत्त वि [अपलपित] अपडत, छिपाया अवलोग) पुंअवलोक] अवलोकन, दर्शन
अववाइय वि [अपवादिक] अपवादवाला हुआ (स २१२)। अवलोय (उप ६८६ टी; सुपा ६ स २७६
(नाट)। अवलद्ध वि [अपलब्द्ध] अनादर से प्राप्त
गउड)।
| अववाय पुं [अपवाद] १ विशेष नियम, अपअवलोयण न [अवलोकन] १ दर्शन, विलो(ठा )।
वाद (उप ७८१)। २ निन्दा, अवर्ण-वाद अवलद्धि स्त्री [अवलब्धि] अप्राप्ति (भग)। कन (गउड)। २ स्थान-विशेष, 'तुंगं अव
(पएह २,२)। ३ अनुज्ञा, संमति (निचू १)। अवलय न [दे] घर, मकान (दे १, २३)। लोयणं चेव' (पउम ८०,४)। ३ शिखर-विशेष
४ निश्चय, निर्णय वाली हकीकत (निचू ५) । अवलव सक [अप + लप्] १ असत्य
(ती ४)। बोलना। २ सत्य को छिपाना। कवकृ. अवलोयणी स्त्री [अवलोकनी] देवी-विशेष
अववास सक [ अव+काश ] अवकाश देना,
जगह देना । अववासइ (प्राप्र)। अवलविज्जत (सुपा १३२)। कृ. अवलव- (सम्मत्त १६०)।
अववाह सक [अव + गाह. ] अवगाहन । अवलोव पुं [अपलोप] छिपाना, लोप करना णिज (सुपा ३१५)। (पएह १, २)।
करना । अववाहइ (प्राप्र)। अवलाव पुं[अपलाप] अपह्नव (निचू १)।
अवलोवणी स्त्री [अपलोपनी] विद्या-विशेष | अवविह पु [अवविध] गोशालक के एक अवलिअ न [दे] असत्य, झूठ (दे १,२२) । (पउम ७, १३६)।
भक्त का नाम (भग ८, ५)। अवलिंब पुं[अवलिम्ब] जीव या पुद्गलों से
अववीड पुं [अवपीड] निष्पीड़न, दबाना व्याप्त स्थान-विशेष (ठा २, ४)। अवल्लय न [दे. अवल्लक] नौका खेवने का |
(गउड)। अवलिच्छअ वि [दे] अप्राप्त, अनासादित उपकरण-विशेष (आचा २, ३, १)। अववीडण न [अवपीडन] ऊपर देखो (से ६, ७८)।
अवल्लाव [दे.अपलाप] असत्यकथन, (गउड)। अवलित्त वि [अवलित] व्याप्त (सूत्र १, | अबल्लावय । अपलाप (दे १, ३८)।
अवस वि [अवश] १ अस्वाधीन, पराधीन अवव न [अवव संख्या-विशेष, 'अववाङ्ग को | (सूम १, ३, १)। २ स्वतन्त्र, स्वाधीन (से अवलित्त घि[अवलित] १ लिप्त। २ गर्विता चौरासी लाख से गुरगने पर जो संख्या लब्ध १,१)। 'प्रासो सढोवलित्तो, प्रालंबण-तप्परो हो वह (ठा २, ४)।
अवस वि [अवश] अकाम, अनिच्छु (धर्मसं अइपमाई। | अवगन [अववाङ्ग] संख्या-विशेष, 'अडड' | एवं ठिोवि मन्नइ, अप्पाणं सुट्ठिभो मित्ति को चौरासी लाख से गुणने पर जो संख्या अवसं प्र[अवश्यम् ] अवश्य, जरूर, लब्ध हो वह (ठा २, ४)।
निश्चय (हे ४, ४२७)।
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