Book Title: Gommatsara Jivkand
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
View full book text
________________
५२ / गो. सा. जीवकाण्ड
परिणामों की संख्या
और नम्बर
२२२
नं० ६११-६१२ २१८
नं० ६०-८५५
२१४ ५८६९० २१०
५३५ – ७४४
४६५६१०
२०२ ४३६६२० १६५
३०६ - ५६५ १६४ ३४१-५३४ १६०
२६५ – ४८४
१८६
२५० – ४३५
१८२ २०६३८७
ی؟
१६३ – ३४०
for
१२१ – २६४
१७०
८० -- २४६
१६६
२०४० २०५
१६२ १--१६२
नं ०
**
६९१-७४४
५३
६२८-६९०
५२ १६९-६२७
५१
५३५-५८५
५.० ४e५-५३४
YE
४३६-४८४
४८
३८८-४३५
૭
२४१-३०७
૬ २६५-३४०
४५ २५०-२१४
४४
२०६-२४६
४३ १६३-२०५
४२
१२१-१६२
४१
८०-१२०
४०
४०-१७६
३६
१-३६
अनुकृष्टि रचना
५५
७४५-७६३
૪
६११-७४४
५३
६३८-६९०
५२
५८६ - ६३७
노민
५३५-५८५
४०
४८५-५३४
xe
४३६-४८४
४८
३८८-४३५
४७
३४१-३८७
४६
२१५-३४० ४५ २५० - २६४ ** २०६-२४६ ४३ १६३ - २०५
४२ १२१-१६२
४१ ८०-१२०
४०
४०७६
५६
८०-८५५
५५.
७४५-७६६
५४
६६१-७४४
५३
६३८-६६०
५.२
५०५-६२७
५१
५३५-५५ ५० ४८५ - ५३४
४६ ४२६-४८४
४८
३८०-४३५
४७
३४१-३८७
૪૬ २५-३४०
૪૧ २५०-२१४
४४ २०६-२४६ ४३
१६३ - २०५ ४२ १२१-१६२ ४१ ८०-१२०
गाथा ४८-४९
५७
१६-१२
북두
८००-६८५
५५
७४५-७६६
५४
६६१-७४४
५३ ६३८-६६०
५२ ५०६-१३७ ५१ ५३५-५६५
५० ४६५-५३४
YE
४३६-४८४
४५ १८८-४३५
४७
३४१-३०७
YE
२९५-३४०
४५ १५०-२६४ ४४ २०६-२४६ ४३ १६३ - २०५ ४२ १२१-१६२
१६२ के २६, ४०, ४१
भावार्थ- जैसे प्रथम समय सम्बन्धी परिणाम र ४२ ये चार खण्ड इस क्रम से किये गये हैं कि नम्बर १ से ३६ तक २६ ऐसे परिणाम है जो ऊपर किसी भी समय में नहीं पाये जाते, इतने ही परिणाम' का नाम प्रथम खण्ड है। दूसरे खण्ड में नम्बर ४०७६ तक ४० परिणाम ऐसे है जो प्रथम और द्वितीय दोनों समयों में पाये जाते है। तीसरे खण्ड में नम्बर ८० १२० तक ४१ परिणाम ऐसे है जो प्रथम, द्वितीय और तृतीय इन तीनों समयों में पाये जाते हैं और चतुर्थ में नम्बर १२१-१६२ त ४२ परिणाम ऐसे हैं, जो प्रथम, द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ इन चारों समयों में पाये जाते हैं। इसी प्रकार अन्य समयों में भी जानना करण के ये समस्त परिणाम ऊपर पूर्व पूर्व परिणाम से उत्तर-उत्तर परिणाम अनन्त धनन्त गुणी विसृजता लिये हुए हैं।