Book Title: Gommatsara Jivkand
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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गाथा ३४४-३४५
जानमागंगा/४२३
चौदह पूर्षों में से प्रत्येक में कितनी यन्तु हैं, इसका कथन दस चोदसड अट्टारसयं बारं च बार सोलं च ।
बीसं तीसं पण्णारसं च दस चदुसु वत्थूणं ॥३४४॥ गाथार्थ-- चौदह पूर्त में से प्रत्येक में क्रम से दस, चौदह, पाठ, अठारह, बारह, बारह, सोलह, बीस, तीस, पन्द्रह, दस, दस, दस, दस वस्तु नामक अधिकार हैं ।।३४४।।
विशेषार्थ---चौदह पूर्वो के अधिकारों (वस्तुओं) के प्रमाण को बतलाने वाली गाथायें इस प्रकार हैं
वस चौद्दस अट्ठारस वारस य बोसु पुटवेसु । सोलस बोसं तीसं दसमम्मि य पण्णरस पत्थू ॥१४॥ एदेसि पुष्वाणं एवदियो यत्थुसंगहो भणिदो।
सेसाणं पुन्वाणं वस बस बर) परिणवयामि ॥८५' -दस, चौदह, पाठ, अठारह, दो पूर्षों में बारह, सोलह, बीस, तीस और दसवें में पन्द्रह, इस प्रकार क्रम से प्रादि के इन दस पूर्वो की इतनी मात्र वस्तुओं का संग्रह कहा गया है। शेष चार पूर्वी की दस-दस बस्तु हैं । इनको मैं नमस्कार करता हूं ।।८४-८५।।
यथावाम से इनके अंकों की रचना
| १० १४ | ८ | १८ ! १२ | १२ | १६ [२० | ३० : १५ | १० | १० : १० । १०।२
प्रतिपूर्व च वस्तुनि झासव्यानि यथाक्रमम् ॥७२।। दश चतुर्दशाष्टौ चाष्टादशवादशद्वयोः ।। दश षड्विंशतिस्त्रिंशत् तत्तत् पंचदशेष तु ।।७३॥ यशैवोत्तरपूर्वाणां चतुर्णा बरिणतानि वे ॥७४।। पूर्वाध
-प्रत्येक पूर्व में यथाक्रम वस्तुओं का प्रमाण जानना चाहिए-दस, चौदह, आठ, अठारह, दो स्थानों अर्थात् दो पूर्वो में बारह, सोलह, वीस, तीस, पन्द्रह, यह दस पूर्वो का प्रमाण है इसके पश्चात् चार पूर्बो में दस-दस जानना चाहिए।
चौदह पूर्वो के नाम उपायपुश्वगारिणय-विरियपबादस्थिरणत्थियपवादे । रणारणासच्चपवावे पादाकम्मप्पवावे य ॥३४५।।
१. घ.पु. ६ पृ. २२७ । २. घ.पु. ६ पृ. २२७ । ३. हरिवंशपुराण सन १० ।