Book Title: Gommatsara Jivkand
Author(s): Nemichandra Siddhant Chakravarti, Jawaharlal Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur

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Page 832
________________ ७९८/गो. सा. जीवकाण्ड माथा वेगुब्विय उत्तत्थं वे गुध्वियवरसं बेंजणपत्थ वेणवमूलोर वेदस्सुदीरगाए वेदादाहारोत्ति वेयणकसाय .at .w.w. पृष्ठ ७६६ १६५ ५०५ ६६३ ११४ w ७१६ ३५२ SV १०७ ३.४१ AP .. पृष्ठ - गाथा ३०४ सत्ताह पुढवीणं ३३७ । सतदिणा छम्मासा ! मनमखिदिम्मि सत्तादी अमृता ३४४ सदामिवसंखो संपुग्णां तु समग सहासदहरणं सम्भाबमरणो मच्चो ५८१ समो हु वट्टमा सम्मत्तदेसघादि ५०७ मम्मत्तदेस ससम्मतमिच्छपनि सम्मतरयण ४८६ | सम्मत्तुप्पनीए १२८ । समयत्तयसंखा सम्माइट्टी जीवो सम्मामिच्छुदये मन्वंगअंग संभव सव्वं च लोयणालि मन्दमरूत्री सध्वसमासेणवहिद | सब्वसमासो २८२ मध्वमुराणं प्रोच | सन्चावहिस्स एक | सब्वेपि पुटवभंगा | सब्वेसि सुहमारणं सम्वोहित्ति य के संसारी पंचक्खा ६०५ सागारी उवजोगो सांतररिणरंतरेण ७४३ | सामगाजीव सामण्णा गरइया मामण्णा पंचिदी सामोण य एवं सामगण तिपंती | मामरण पज्जत्तं . ५.०७ X संकमा छटाणा संकमगां सट्टाग सक्कीसाणा पढौ सक्को जम्बुदीब संस्खा नह पत्थागे संवानीदा सम संखावलय जोगी संखात्र लिहिद संखेग्रो प्रोघो संवेज्जपमे काले मंबेज्जासंस्नेज्जा संग्जेज्जासंग्वेसमजूगलम्हि सगमारणेहि विभत्ते सगसगअसंख समसगखेत सगसगग्रवहा संगहिय सयल संजलराणोकसा संजलगणोकसा सट्टाणसमुरघा संठाविदूरण एवं सपणालिग सणारासि सण्णिास्स वार सपणी प्रोत्रे मिच्छे सणी मणिप्प सत्ताह उबसमदो ३६६ Hurry: xx. ० mors 15 0" day॥

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